महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक की संपत्ति ED ने की जब्त, अर्जी पर SC में होगी सुनवाई

NCP नेता नवाब मलिक की अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गई है। नवाब मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी लगाई थी।

Written By :  aman
Update:2022-04-13 19:19 IST

नवाब मलिक (फाइल फोटो)

Nawab Malik Money Laundering Case: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) की परेशानियां फिलहाल कम होती नहीं दिख रही। मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में आज,13 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने ताजा घटनाक्रम में नवाब मलिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया।

वहीं, दूसरी ओर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक की अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सहमत हो गई है। नवाब मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी लगाई थी। इस अर्जी में नवाब मलिक की तरफ से प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत से रिहाई मंजूर किए जाने की मांग की गई। बता दें, कि एनसीपी नेता भ्रष्टाचार और कालेधन की जांच से जुड़े मामले में इस वक्त ईडी की हिरासत में हैं।

ED ने जब्त की ये संपत्तियां

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक अभी मुंबई के आर्थर रोड जेल (Arthur Road Jail) में बंद हैं। उन्हें इसी साल फरवरी महीने में गिरफ्तार किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, कि नवाब मलिक और उनके परिवार के सदस्य की 'सॉलिड इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड' और 'मलिक इंफ्रास्ट्रक्चर' की संपत्तियों को पीएमएलए कानून (PMLA Act) के तहत कुर्क किया गया है। कुर्क की गई संपत्तियों में मुंबई के उपनगर कुर्ला पश्चिम (Kurla West) में मौजूद गोवा वाला कंपाउंड, एक व्यावसायिक प्लॉट, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में 147.79 एकड़ कृषि भूमि, कुर्ला वेस्ट में तीन फ्लैट और बांद्रा वेस्ट में दो रिहायशी फ्लैट शामिल हैं।

मलिक के वकील सिब्बल का ये दावा

NCP नेता नवाब मलिक के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना (N.V. Ramana) के सामने दलील दी, कि लेन-देन के आधार पर ईडी की कार्रवाई आगे बढ़ रही है। वह वर्ष 2000 से पहले का है। जबकि, जिस कानून के तहत यह कार्रवाई हो रही है, वह साल 2005 में अस्तित्व में आया। ऐसे में, यह कार्रवाई कानूनन कैसे हो सकती है? इस पर सर्वोच्च अदालत में तुरंत विचार किए जाने की जरूरत है। जिस पर चीफ जस्टिस ने सहमति जताते हुए कहा, 'हम सुनवाई करेंगे।'

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