प्रधानमंत्री मोदी के नाम डॉक्टरों का पत्र, मांगा अपने लिए VIP ट्रीटमेंट

डॉक्टरों के एक संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

Published By :  Shivani
Update: 2021-04-14 17:32 GMT

डाॅक्टरों की मांग(Photo Social media)

लखनऊ: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक डॉक्टर का अपने माता पिता के साथ फोटो वायरल हो रहा था, जिसके साथ उस डॉक्टर की आपबीती लिखी थीं कि कैसे एक फ्रंटलाइन वॉरियर (Doctors), जो दिन रात कोरोना मरीजों (Covid-19) की जान बचाने के लिए तत्परता से जुटा रहा और जब उसके माता पिता कोरोना से संक्रमित हुए तो किसी अस्पताल में उसके माता पिता को इलाज के लिए जगह तक नहीं मिली। ऐसे में डॉक्टरों की एक एसोसिएशन (FAIMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिख सरकारी अस्पतालों में वीआईपी कल्चर का मुद्दा उठाया है।

डॉक्टरों के एक संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सरकारी अस्पतालों में बढ़ते वीआईपी कल्चर का मुद्दा उठाते हुए डॉक्टरों की स्थिति की जानकारी दी।

कोरोना टेस्टिंग की सुविधा को लेकर लिखे गए पत्र में मेडिकल एसोसिएशन ने पीएम मोदी को बताया कि कई सरकारी अस्पतालों में अलग से वीआईपी काउंटर हैं, जहां केवल नेताओं और मंत्रियों को ही कोविड टेस्ट की सुविधा मिलती है। लेकिन डॉक्टरों के टेस्ट कराने के लिए कोई अलग काउंटर नहीं है।


संक्रमित डॉक्टरों के इलाज के लिए अस्पताल में कोई सुविधा नहीं

पीएम मोदी को बताया गया कि डॉक्टर, जो कि इस महामारी के खिलाफ जंग में सबसे आगे हैं और उसे फ्रंट लाइन वॉरियर का दर्जा तक प्राप्त हैं, लेकिन जब उसी वॉरियर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है, तो ऐसे में उनके इलाज को लेकर अब तक अस्पतालों में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।

डॉक्टरों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए लिखा, कि महामारी से लड़ने में सबसे आगे रहने वाले डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, उसके बदले में डॉक्टरों को कुछ नहीं मिल रहा। कोविड टेस्ट कराना के लिए लंबी लाइनों में खड़े होने से लेकर पॉजिटिव आने पर इलाज के लिए बेड या आईसीयू तक के लिए भटक रहे हैं।

नेताओं के लिए सरकारी अस्पतालों में वीआईपी काउंटर

पीएम मोदी को डॉक्टरों के संगठन ने अपने पत्र से ये भी जानकारी दी कि भले ही राजनेताओं के लिए अस्पतालों में अलग से वीआईपी काउंटर हैं, बावजूद इसके कई राजनेता चेक-अप और टेस्ट के लिए डॉक्टरों को अपने घर पर बुलाते हैं। इसके लिए चिकित्सा अधीक्षक का कोई आदेश भी नहीं होता लेकिन अनौपचारिक तौर पर ऐसा डॉक्टरों से कराया जाता है।

परिणाम ये होता है कि अस्पतालों ने पहले से ही डॉक्टरों की कमी के बीच मेडिकल मैनपावर और अधिक सीमित हो जाता है। एसोसिएशन ने नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को दी जाने वाले इस तरह के वीआईपी कल्चर की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री से मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है।
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