Good News: भारत की प्रजनन दर घटकर 2% हुई, मगर इन 5 राज्यों में अब भी स्थिति चिंताजनक

रिपोर्ट की मानें तो 35 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है।19.6 फीसदी मर्द मानते हैं कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं 'स्वच्छंद' हो सकती हैं।

Written By :  aman
Published By :  Rakesh Mishra
Update: 2022-05-07 06:52 GMT

प्रतीकात्मक चित्र 

National Family Health Survey NFHS 5 Report : भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। मगर, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि देश की आबादी की रफ्तार में जबरदस्त कमी आई है।रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रजनन दर 2.2 प्रतिशत से घटकर 2 फीसदी रह गई है। इस सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं।

इस रिपोर्ट की मानें तो 35 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है। जबकि, 19.6 फीसदी मर्द ये भी मानते हैं कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं 'स्वच्छंद' हो सकती हैं।

गर्भनिरोधक पर क्या सोचते हैं पुरुष? 

बता दें, इस सर्वे में देश के 28 राज्यों तथा 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों को शामिल किया गया। इन जिलों से करीब 6.37 लाख सैंपल लिए गए। सर्वे की रिपोर्ट कहती है, कि चंडीगढ़ में सबसे अधिक 69 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना या इसका इस्तेमाल करना महिलाओं का काम है। इस बारे में पुरुषों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। जबकि, दक्षिणी राज्य केरल में सर्वे में शामिल 44.1 फीसदी मर्द मानते हैं कि गर्भनिरोधक का प्रयोग करने वाली महिलाएं 'स्वच्छंद' हो सकती हैं।

इन पांच राज्यों में प्रजनन दर ज्यादा 

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, 55.2 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि अगर कॉन्डम (Condom) का सही तरीके से इस्तेमाल हो तो यह अधिकतर मामलों में गर्भधारण (pregnancy) से बचाता है। आपको बता दें कि, देश के 5 राज्य ऐसे हैं जहां प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत से अधिक है। ये पांचों राज्य हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मेघालय और मणिपुर।

गर्भनिरोधकों को लेकर जागरूकता समान 

गौरतलब है कि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे जारी किया गया। इस सर्वे में यह बात भी निकलकर आई कि गर्भनिरोधकों को लेकर देश में जागरूकता का स्तर लगभग समान ही है। देश में 99 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं और पुरुषों को गर्भनिरोध का कम से कम एक आधुनिक तरीका पता था। ये अलग बात है कि उनमें से मात्र 54.6 फीसदी ने ही उसका इस्तेमाल किया।

गर्भनिरोधक पर क्या बोलीं कामकाजी महिलाएं? 

वहीं, ये भी पता चला कि, अधिकतर कामकाजी महिलाएं (working women) कॉन्ट्रासेप्शन (Contraception) इस्तेमाल करने में यकीन रखती हैं। इस सर्वे में शामिल हुई करीब 66.3 प्रतिशत महिलाओं का कहना था, कि उन्‍होंने आधुनिक गर्भनिरोधक इस्तेमाल किए हैं। इसकी तुलना में बेरोजगार महिलाओं (unemployed women) में यह आंकड़ा 53.4 फीसदी के करीब रहा।

आय के साथ बढ़ता है गर्भनिरोधक का इस्तेमाल

मंत्रालय की ओर से जारी इस सर्वे से पता चलता है कि, परिवार नियोजन (Family planning) की आवश्यकता आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े तबके में सबसे ज्यादा यानी 11.4 प्रतिशत और सबसे अमीर तबके में सबसे कम अर्थात 8.6 फीसदी है। रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की आय बढ़ती है, गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल बढ़ता जाता है।

'विकास ही सबसे अच्छा गर्भनिरोधक'

इस संबंध में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर पूनम मुतरेजा बताती हैं, कि 'यह डेटा साबित करता है कि विकास ही सबसे अच्छा गर्भनिरोधक है।' वो कहती हैं कि 'NFHS-5 के आंकड़ों में देशवासियों के खुश होने के लिए बहुत कुछ है। मगर, हमारी नजर उस ओर होनी चाहिए, जिसे हम हासिल नहीं कर सके हैं। हमें समाज के शोषित हिस्से के लिए और काम करना होगा।'

 बढ़ता मोटापा बनी चुनौती

इस सर्वे की रिपोर्ट में ये भी पता चला है, कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मोटापा बढ़कर करीब 24 प्रतिशत हो गया है। बढ़ते मोटापे के पीछे की वजह विलासिता भरी जिंदगी है। बता दें कि, इस सर्वे में 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया था।

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