Godhra Kand: ट्रेन की बोगी फूंकने के बाद धधक उठा था गुजरात, सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए थे सैकड़ों लोग

Godhra Kand: 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर उन्मादी भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी थी। इस घटना से पूरा देश दहल गया था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2022-02-27 10:30 IST

गोधरा कांड (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Godhra Kand: देश के इतिहास में आज का दिन एक दुखद घटना के लिए याद किया जाता है। 20 साल पहले आज ही के दिन में एक ऐसी घटना हुई थी जिसने बाद के दिनों में देश की सियासत पर भी काफी असर डाला। 27 फरवरी 2002 को गुजरात (Gujarat) के गोधरा स्टेशन (Godhra Railway Station) पर उन्मादी भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) की एक बोगी में आग लगा दी थी। ट्रेन की एस-6 बोगी में लगी आग ने 59 कारसेवकों की जान ले ली थी। इस घटना से पूरा देश दहल गया था और गुजरात के कई इलाकों में दंगे (Gujarat Danga) भड़क गए थे। सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में 12 सौ से अधिक लोगों की जान गई थी।

उस समय देश की कमान अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के हाथों में थी जबकि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) गुजरात के मुख्यमंत्री थे। संप्रदायिक हिंसा में काफी संख्या में लोगों के मारे जाने के बाद मोदी पर विपक्ष की ओर से कोई कदम न उठाए जाने का बड़ा आरोप भी लगाया गया था। आज भी उन घटनाओं को याद करके लोग सिहर उठते हैं।

साबरमती एक्सप्रेस बनी थी निशाना

गोधरा रेलवे स्टेशन (Godhra Railway Station) गुजरात के पंचमहल जिले (Panch Mahal) में स्थित है और यहीं पर कारसेवकों को जिंदा जलाने की दिल दहलाने वाली घटना को अंजाम दिया गया था। साबरमती एक्सप्रेस के गोधरा स्टेशन पर पहुंचने तक सब कुछ ठीक-ठाक था मगर जब ट्रेन वहां से खुली तो किसी ने चेन खींचकर ट्रेन को रोक लिया था। इसके बाद उन्मादी भीड़ में जबर्दस्त पथराव शुरू कर दिया और ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा (Godhra Train Burning) दी गई। 

आग इतनी भीषण थी कि बोगी में बैठे कारसेवकों को बाहर निकलने तक का मौका नहीं मिला और इस भीषण आगजनी में 59 कारसेवकों की मौत (Karsevako Ki Maut) हो गई थी। आगजनी का आरोप एक समुदाय विशेष के लोगों पर लगा था और यही कारण था कि गुजरात के विभिन्न इलाकों में भीषण सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं। 

आग बुझाते लोग (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

अयोध्या से लौट रहे थे श्रद्धालु

घटना का शिकार हुए लोग अयोध्या (Ayodhya) से वापस लौट रहे थे। दरअसल विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) की तरफ से अयोध्या में 2002 के फरवरी महीने में पूर्णाहुति महायज्ञ का आयोजन किया गया था। इस महायज्ञ में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गए थे। साबरमती एक्सप्रेस से लौटने वाले लोग इसी महायज्ञ से हिस्सा लेकर लौट रहे थे। तभी गोधरा स्टेशन पर यह घटना हुई थी। हालात इतने गंभीर हो गए थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी थी।

19 साल बाद पकड़ा गया मुख्य आरोपी

इस घटना के मुख्य आरोपी रफीक को 19 साल बाद पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। रफीक गोधरा स्टेशन पर मजदूरी का काम किया करता था मगर आगजनी की इस घटना के बाद वह फरार हो गया था। पुलिस काफी दिनों से उसकी तलाश में लगी हुई थी। पिछले साल उसे उस वक्त पकड़ा गया जब वह अपने परिवार को कहीं और शिफ्ट करने के लिए घर पर आया हुआ था।

पुलिस को इस बात की जानकारी मिल गई। तत्काल छापा डालकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। सुरक्षा एजेंसियां 19 साल से रफीक को तलाश रही थीं और यही कारण था कि रफीक की गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी माना गया था। इस घटना को लेकर 15 सौ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इस मामले में गिरफ्तार लोगों के खिलाफ पोटा लगाया गया था मगर बाद में केंद्र सरकार के दबाव में पोटा हटा लिया गया था।

आयोग ने घटना को बताया था साजिश

गोधरा कांड की जांच करने वाली यूसी बनर्जी समिति (UC Banerjee Committee) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में ट्रेन में हुई आगजनी को दुर्घटना बताया था मगर गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने समिति की इस रिपोर्ट को ठुकरा दिया था। बाद में इस बड़ी घटना की जांच के लिए नानावटी आयोग (Nanavati Commission) का गठन किया गया था और इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस घटना को बड़ी साजिश बताया था।

इस घटना के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए विपक्ष ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था मगर नानावटी आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट (Clean Chit) भी दी थी।

इस मामले में विशेष अदालत ने 22 फरवरी 2011 को 31 लोगों को दोषी पाया था जबकि 63 अन्य बरी कर दिए गए थे। विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 11 को फांसी की सजा और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

और ताकतवर बनकर उभरे नरेंद्र मोदी

गुजरात में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद केशुभाई पटेल को अपने मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी और इसी के बाद नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उनके सत्ता संभालने के लगभग 5 महीने बाद ही गोधरा कांड हुआ था जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों के बाद मोदी सबके निशाने पर आ गए थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मोदी को तत्काल पद से हटाने की मांग की गई थी।

वैसे मोदी की कुर्सी सलामत रही। दिसंबर 2002 में गुजरात विधानसभा के चुनाव हुए थे और उस चुनाव में मोदी ने एक बार फिर भाजपा को जीत दिलाकर आलोचकों को करारा जवाब दिया था। इसके बाद मोदी की अगुवाई में भाजपा 2007 और 2012 का चुनाव जीतने में भी कामयाब रही। इसी कारण मोदी पार्टी में काफी ताकतवर बनकर उभरे और 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की कमान संभाली। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की अगुवाई में बड़ी जीत हासिल की थी। 

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