जहां रोगी वहां नहीं पहुंच रही वैक्सीन, देश-विदेश सभी जगह असमान वितरण

वैक्सीन को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में भी सरकारी मशीनरी फेल दिखाई दे रही है, जिन राज्यों में कोरोना का प्रकोप फैला हुआ है उनमें कई ऐसे हैं जहां दो से पांच प्रतिशत आबादी को ही टीका मिल पाया है।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-05-10 12:08 IST

कोरोना वैक्सीन(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी से बचाने के लिए तैयार की गई वैक्सीन को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में भी सरकारी मशीनरी फेल दिखाई दे रही है, जिन राज्यों में कोरोना का प्रकोप फैला हुआ है उनमें कई ऐसे हैं, जहां दो से पांच प्रतिशत आबादी को ही टीका मिल पाया है।

इसमें भी दो बार टीका लेने वालों की तादाद तो एक प्रतिशत से भी कम है। दूसरी ओर भारत ने छह करोड से भी ज्यादा टीका उन देशों में वैक्सीन मैत्री के तहत भेज दिया जहां कोरोना का संक्रमण बेहद कम है। इसमें 14 देश तो ऐसे हैं जहां एक लाख की आबादी पर मौत का आंकडा एक से भी कम है।

वैक्सीन टीकाकरण की आनन—फानन घोषणा करने के मौके पर राजनीतिक लाभ के बारे में तो सोचा गया लेकिन सरकारी मशीनरी ने इसके वितरण की कोई ठोस योजना नहीं बनाई। इस वजह से देश में वैक्सीन टीके की बडी किल्लत महसूस की जा रही है। अधिकांश राज्यों में जरूरत के अनुसार टीके नहीं हैं।

आबादी में सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश में अब तक एक करोड 35 लाख लोगों को ही टीका मिल सका है उसमें भी दूसरा डोज पाने वालों की तादाद महज 2778728 ही है। यह हाल त​ब है जबकि उत्तर प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मामले 245736 हैं। देश के अंदर भी टीका करण में सरकार ने उन राज्यों को प्राथमिकता नहीं दी जहां कोरोना की महामारी फैली हुई है।

जहां पर संक्रमण रोकने के लिए अधिकांश लोगों को टीकाकृत करने की जरूरत महसूस की जा रही है। हालांकि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने अप्रैल माह की शुरुआत में जब कोरोना के मामले तेजी से सामने आ रहे थे।

तो टीकाकरण को लेकर कहा था कि जो लोग टीका मांग रहे हैं उन्हें देने के बजाय टीका उन्हें दिया जाएगा जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। गौरतलब है कि तब सबसे तेजी के साथ टीकाकरण करने वाले राजस्थान से और ज्यादा टीकों की मांग की जा रही थी।


वैक्सीन मैत्री में भी आपात आवश्यकता पर नहीं दिया जोर

केंद्र सरकार ने विदेश में वैक्सीन मैत्री के नाम पर छह करोड साठ लाख टीके भेजे हैं। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें भी विदेश मंत्रालय के सरकारी अधिकारियों ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। यह टीके दुनिया के 93 देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भेजे गए।

टीके भेजने के दौरान इस पर ध्यान नहीं दिया गया कि जिन्हें टीका मिलेगा क्या उन्हें ज्यादा जरूरत है या भारत के नागरिकों को। आज भारत में लोग तडप कर मर रहे हैं और पूरी दुनिया मदद भेज रही है। इससे पहले भारत ने कोरोना संक्रमित हो रहे।

लोगों को वैक्सीन दिलाने के बजाय 6.6 करोड वैक्सीन उन देशों को भेज दी जहां भारत की तुलना में कोरोना का प्रकोप बेहद कम था। इसमें 61 देश तो ऐसे भी हैं जहां भारत के मुकाबले प्रति लाख आबादी पर मौत की दर भी कम है।

टीका 3 करोड 57 लाख लोगों को मिला

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत सरकार ने फरवरी— मार्च 2021 के दौरान वैक्सीन मैत्री से विदेश में छवि निर्माण के बजाय देश में टीकाकरण पर जोर दिया होता तो महामारी ने जो प्रलयकारी रूप दिखाया है इसे कमजोर किया जा सकता था।

अब तक भारत अपनी आबादी के दो प्रतिशत लोगों को ही कोरोना संक्रमण की संभावना से पूरी तरह मुक्त किया है अगर 6.6 करोड टीकों से अपने देश में लोगों को टीकाकृत किया जाता तो पूरी तरह कोरोना से सुरक्षित लोगों की तादाद लगभग पांच प्रतिशत हो सकती थी।

अब तक देश में 17 करोड एक लाख टीके लगाए गए हैं जिसमें दो बार टीका केवल तीन करोड 57 लाख लोगों को ही मिल पाया है। पिछले 24 घंटे में केवल चार लाख पांच हजार 325 लोगों को ही टीके की पहली डोज दी जा सकी है।

टीकाकरण की संख्या/ राज्य /कोरोना संक्रमित रोगी

11891417 पश्चिम बंगाल 125164

13593961 उत्तर प्रदेश 245736

6480287 तमिलनाडु 139401

14019524 राजस्थान 199307

3836530 पंजाब 7 1948

215447 पुडुचेरी 13585

6159998 उड़ीसा 82724

17858864 महाराष्ट्र 630 467

8595188 मध्य प्रदेश 102486

7933903 केरल 417 448

10487851 कर्नाटक 548861

3269710 झारखंड 61195

2692880 जम्मू एंड कश्मीर 46535

2037743 हिमाचल प्रदेश 31893

4266748 हरियाणा 116109

13786185 गुजरात 143 421

3897189 दिल्ली 87907

5814814 छत्तीसगढ़ 130859

7687374 बिहार 112977

2990895 असम 38146

7294471 आंध्र प्रदेश 187392

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