टीकों का संकट दूर करने की बड़ी पहल, केंद्र सरकार कोवैक्सीन की तकनीक देने को तैयार

कोरोना वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार दूसरी कंपनियों को कोवैक्सीन बनाने की अनुमति देने की तैयारी कर रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  suman
Update: 2021-05-13 06:38 GMT

सांकेतिक तस्वीर (साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली देश में कोरोना वैक्सीन ( Corona Vaccine) की कमी के चलते कई राज्यों में हाहाकार मचा हुआ है। वैक्सीन की कमी का ही नतीजा है कि कई राज्यों में तमाम टीकाकरण केंद्र बंद हो गए हैं और जो केंद्र खुले भी हैं वहां से भी काफी संख्या में लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। वैक्सीन के इस संकट को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से बड़ी पहल की गई है। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वह अन्य कंपनियों को स्वदेशी टीके कोवैक्सीन  (Covaxine )के निर्माण की अनुमति देने के लिए तैयार है।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) का कहना है कि इस संबंध में टीका निर्माताओं से बातचीत भी की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन का भी कहना है कि केंद्र सरकार वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि विदेशों में बन रहे टीकों को भी आपात मंजूरी देने का फैसला किया गया है। सरकार को उम्मीद है कि इन कदमों से आने वाले दिनों में वैक्सीन का संकट काफी हद तक दूर होगा।

संसाधन होने पर तत्काल मिलेगी मंजूरी

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मंडाविया का कहना है कि यदि किसी दवाई या टीका निर्माता कंपनी के पास वैक्सीन के उत्पादन के लिए आवश्यक ढांचा और संसाधन मौजूद हैं तो उसे सरकार से तत्काल संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में तत्काल अनुमति देने के लिए तैयार है। सरकार का कहना है कि कोवैक्सीन स्वदेशी टीका है। इसलिए इसके निर्माण में अन्य कंपनियों की मदद लेने में एपीआई की कोई समस्या भी नहीं आएगी।

कई राज्यों ने की थी केंद्र से मांग

देश में टीके की जबर्दस्त किल्लत के कारण कई राज्यों ने केंद्र से मांग की है कि दूसरी कंपनियों को भी कोवैक्सीन के निर्माण की तत्काल अनुमति दी जाए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।

अब केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वह इस बाबत पहल कर रही है और कंपनियों से बातचीत की जा रही है। सरकार ने दवा और टीका निर्माता कंपनियों से भी अपील की है कि यदि उनके पास निर्माण की क्षमता है तो उन्हें तत्काल सरकार से संपर्क करना चाहिए।

विदेशी टीकों की खरीद बढ़ाने का प्रयास

केंद्रीय मंत्री मंडाविया का कहना है कि इसके साथ ही टीके की किल्लत दूर करने के लिए अन्य स्तरों पर भी प्रयास किए जा रहे हैं। विदेशों से टीके की खरीद बढ़ाई जा रही है और विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए रजामंद करने की कोशिश भी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने फाइजर तथा जॉनसन एंड जॉनसन से टीकों के आयात के संबंध में बातचीत शुरू कर दी है। इन कंपनियों से देश में उत्पादन शुरू करने के संबंध में भी बातचीत की जा रही है। फाइजर की ओर से उठाए गए मुद्दों के समाधान का प्रयास भी किया जा रहा है।

 कांसेप्ट फोटो (साभार-सोशल मीडिया)

विदेशी कंपनियों के सामने भी दिक्कत

उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों के पास भी टीके की सप्लाई की दिक्कत है क्योंकि उन्होंने कई देशों से आर्डर ले रखा है। पूरी क्षमता से उत्पादन करने के बावजूद वे सबका आर्डर जल्द पूरा करने में सक्षम नहीं दिखाई दे रही हैं। इसके साथ ही रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी की खरीद के लिए भी रूस के साथ बातचीत चल रही है।

विदेश मंत्रालय निभा रहा बड़ी भूमिका

विदेशी कंपनियों से बातचीत में विदेश मंत्रालय अहम भूमिका निभा रहा है। यदि मंत्रालय को टीकों की खरीद में कामयाबी मिलती है तो माना जा रहा है कि इससे राज्यों को भी काफी फायदा होगा क्योंकि विभिन्न राज्य इन दिनों टीकों के संकट से जूझ रहे हैं। इसके साथ ही विदेशों से उधार के तौर पर टीके हासिल करने की कोशिश भी की जा रही है। विदेशी कंपनियों से बातचीत चल रही है कि देश में उत्पादन बढ़ने पर उन्हें टीका लौटा दिया जाएगा।

वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने का फैसला

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बुधवार को आठ राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक में टीकाकरण अभियान पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने राज्यों में व्याप्त कोरोना संकट की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई है। इसके साथ ही विदेशी टीकों को आपात मंजूरी देने का भी फैसला किया गया है।

उन्होंने कहा कि देश के वैक्सीन उत्पादकों की क्षमता बढ़ाई जा रही है। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक दोनों उत्पादन बढ़ाने में जुटे हुए हैं ताकि टीकों का संकट दूर किया जा सके।

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