चुनाव से पहले राज्य के दर्जे की मांग पर अड़ा गुपकार, मोदी सरकार से भरोसे वाले कदम की उम्मीद

जम्मू-कश्मीर के सियासी दलों का गठबंधन गुपकार ने जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को अविलंब बहाल करने की मांग की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Priya Panwar
Update:2021-07-06 15:57 IST

गुपकार के सदस्यों की फोटो, क्रेडिट : सोशल मीडिया 

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के सियासी दलों का गठबंधन गुपकार ने जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को अविलंब बहाल करने की मांग की है। परिसीमन आयोग के दौरे से पहले गुपकार ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए मगर इन चुनावों से पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री की ओर से 24 जून को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद गुपकार की पहली बैठक में सरकार के रवैये पर निराशा जताई गई। गुपकार नेताओं का कहना था कि सरकार की ओर से अभी तक ऐसे कोई कदम नहीं उठाए गए जिनसे जम्मू-कश्मीर के लोगों का भरोसा बढ़ सके।

इस बीच मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन की कवायद तेज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग का चार दिवसीय दौरा इसी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। आयोग के सदस्य जम्मू-कश्मीर के नेताओं व समाज के विभिन्न समूहों से मुलाकात करके उनकी राय जानने की कोशिश करेंगे। आयोग के दौरे से पहले पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने सरकार के इस कदम पर असहमति जताते हुए आयोग से मिलने से इनकार कर दिया है।

भरोसा बढ़ाने वाले कदम उठाए सरकार

प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद सोमवार को गुपकार गठबंधन की पहली बैठक हुई। इस बैठक में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं। बैठक में नेताओं ने मांग की कि केंद्र सरकार की ओर से ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जिनसे राज्य के लोगों का भरोसा बढ़ सके। इस दिशा में सबसे बड़ा कदम राजनीतिक कैदियों की रिहाई है और इस बाबत केंद्र सरकार को जल्द से जल्द पहल करनी चाहिए। बैठक में नेताओं ने कहा कि भाजपा की ओर से संसद में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने की बात कही गई थी। भाजपा को संसद में किए गए अपने वादे पर खरा उतरना चाहिए। नेताओं ने कहा कि हमारा मकसद अपना लक्ष्य हासिल करना है और लक्ष्य हासिल होने तक गुपकार गठबंधन में शामिल नेता संघर्ष करते रहेंगे।

लक्ष्य हासिल होने तक जारी रहेगा संघर्ष

गुपकार की ओर से इस बैठक के आयोजन के पीछे परिसीमन आयोग के दौरे को भी बड़ा कारण बताया जा रहा है। बैठक में जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के संबंध में रणनीति पर भी चर्चा हुई। बैठक में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता एमवाई तारिगामी भी मौजूद थे। बैठक में नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में चुनाव कराने से पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। नेताओं ने कहा कि दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था और सरकार को जल्द से जल्द इस मांग को पूरा करना चाहिए। दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने दिल्ली और दिलों की दूरियां दूर करने पर जोर दिया था। प्रधानमंत्री का कहना था कि सरकार परिसीमन के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की कोशिश में जुटी हुई है और जम्मू-कश्मीर के सभी सियासी दलों को इसमें हिस्सा लेना चाहिए।

सियासी दलों की राय जानेगा परिसीमन आयोग

इस बीच परिसीमन आयोग के जम्मू-कश्मीर दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आयोग के सदस्य जम्मू-कश्मीर के दौरे के समय में विभिन्न सियासी दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करके उनकी राय जानेंगे। जम्मू-कश्मीर में नए विधानसभा क्षेत्रों के गठन पर भी आयोग राजनीतिक दलों की राय जानेगा। गुपकार की ओर से राज्य में विश्वास बहाली की दिशा में कोई कदम न उठाए जाने के आरोपों के बाद महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने आयोग से मिलने से इनकार कर दिया है। प्रधानमंत्री की सर्वदलीय बैठक के करीब एक पखवाड़े बाद राज्य में परिसीमन आयोग का यह दौरा हो रहा है। गुपकार ने आयोग से मिलने और अपनी बात रखने का फैसला सभी सियासी दलों पर छोड़ दिया है। ऐसे में पीडीपी की ओर से भले ही आयोग से न मिलने का फैसला किया गया हो मगर अन्य सियासी दलों के प्रतिनिधि आयोग से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं।

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