रूस में बोले विदेश मंत्री एस. जयशंकर, सीमा समझौतों को नहीं मानने से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद हुई गड़बड़

विदेश मंत्री एस जयशंकर फिलहाल तीन दिनों की रूस की यात्रा पर हैं। एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने गुरुवार को कहा कि बीते एक साल से भारत-चीन संबंधों को लेकर बहुत चिंता उत्पन्न हुई है, क्योंकि बीजिंग सीमा मुद्दे को लेकर समझौतों का पालन नहीं कर रहा है। जिसकी वजह से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद ‘गड़बड़ा’ रही है।

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Published By :  Satyabha
Update: 2021-07-08 17:36 GMT

 एस. जयशंकर फोटो (सोशल मीडिया) 

रूस की तीन दिवसीय दौर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि बीते एक साल से भारत-चीन संबंधों को लेकर बहुत चिंता उत्पन्न हुई है, क्योंकि बीजिंग सीमा मुद्दे को लेकर समझौतों का पालन नहीं कर रहा है। जिसकी वजह से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद 'गड़बड़ा' रही है।   

'चीन ने समझौते का नहीं किया पालन'

मॉस्को में 'प्राइमाकोव इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकनॉमी ऐंड इंटरनेशनल रिलेशन्स' में भारत और चीन के संबंधों के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि 'मैं कहना चाहूंगा कि बीते चालीस साल से चीन के साथ हमारे संबंध बहुत ही स्थिर थे। चीन दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार के रूप में उभरा। जयशंकर ने आगे कहा, 'लेकिन बीते एक वर्ष से, इस संबंध को लेकर बहुत चिंता उत्पन्न हुई क्योंकि हमारी सीमा को लेकर जो समझौते किये गये थे चीन ने उनका पालन नहीं किया।'

'बुनियाद गड़बड़ा गयी और संबंध भी'

जयशंकर ने कहा कि '45 साल बाद वास्तव में सीमा पर झड़प हुई और इसमें जवान मारे गये और किसी भी देश के लिए सीमा का तनावरहित होना। वहां पर शांति होना ही पड़ोसी के साथ संबंधों की बुनियाद होता है। इसीलिए बुनियाद गड़बड़ा गयी है और संबंध भी।'

दोनों पक्षों के बीच अभी चल रही वार्ता

पिछले वर्ष मई माह की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध बना। कई दौर की सैन्य और राजनयिक बातचीत के बाद फरवरी में दोनों ही पक्षों ने पैंगांग झील के उत्तर और दक्षिण तटों से अपने सैनिक और हथियार वापस बुला लिये। विवाद के स्थलों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों के बीच अभी वार्ता चल रही है।

उन्होंने कहा कि भारत फिलहाल हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को हटाने पर जोर दे रहा है। सेना के अधिकारियों के अनुसार, एलएसी पर ऊंचाई पर स्थित संवेदनशील क्षेत्रों में प्रत्येक पक्ष के लगभग 60 हजार सैनिक तैनात हैं। अन्य स्थलों से सैनिकों की वापसी की दिशा में कोई प्रगति अब नजर नहीं आ रही है, क्योंकि चीनी पक्ष ने 11वें दौर की सैन्य वार्ता में अपने रवैये में कोई नरमी नहीं दिखाई है।

दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों को लेकर जयशंकर ने कहा कि 'चीन के परमाणु कार्यक्रम का विकास भारत से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर है। मैं नहीं मानता कि भारत और चीन के बीच परमाणु हथियारों की होड़ है। चीन 1964 में परमाणु शक्ति बन गया था।' बता दें कि ऐस जयशंकर फिलहाल तीन दिनों की रूस की यात्रा पर हैं। वह कल यानी 9 जुलाई को जॉर्जिया की यात्रा पर रवाना होंगे। यह किसी भारतीय विदेश मंत्री की स्वतंत्र जॉर्जिया की पहली यात्रा होगी। 

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