भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं लघु उद्योग

भारत को सोने की चिड़िया जानते हैं क्यों कहा जाता है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था कुटीर उद्योग पर निर्भर है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-08-29 09:20 GMT

लघु उद्योग की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

नई दिल्ली: भारत को सोने की चिड़िया जानते हैं क्यों कहा जाता है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था कुटीर उद्योग पर निर्भर है। भारत का हर भारतीय शारीरिक श्रम और अपनी तीव्र बुद्धि से बड़ी से बड़ी चीजों को न केवल आकार दिया, बल्कि अपने बल से छोटे-छोटे उद्योगों को खड़ा किया। किसी भी देश की आर्थिक मजबूती उसके उद्योग होते हैं। हम सभी जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में लघु उद्योगों का क्या महत्व है। आज लघु उद्योग की वजह से भारत जैसे उपभोक्ता वादी देश में उपभोक्ता की मांग पूरी हो पाती है। यही एक लघु उद्योग है जो ज्यादा से ज्यादा रोजगार देता है, उत्पादन करता है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।

भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष 30 अगस्त को लघु उद्योगों को मजबूत करने के लिए, रोज़गार देने के लिए व उद्यमियों की परेशानियों को दूर करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार के सभी उपक्रम को मजबूत करने के लिए लघु उद्योग दिवस के रूप में मनाते हैं।

लघु उद्योग धंधे वे उद्योग कहलाते हैं, जो छोटे पैमाने पर छोटी पूंजी और कम श्रमिकों से बाहर से रॉ मटेरियल व तकनीकी का आयात करके एक नए उत्पाद को शक्ल देते हैं लघु उद्योग में 10 से लेकर 50 मजदूर काम करते हैं। समय-समय पर सरकार इसमें किए गए निवेश की की पूंजी निर्धारित करती है।

भारत सरकार द्वारा लघु उद्योग क्षेत्र के लिए इस वक्त छह योजनाओं को लागू किया गया है। यह राष्ट्र के प्रति व्यक्ति आय और संसाधन में भी मदद करते हैं। 59 मिनट में लघु उद्योग बिजनेस को लोन सूक्ष्म और लघु उद्यमी के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना

राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम द्वारा सब्सिडी प्रौद्योगिक उन्नयन के लिए क्रेडिट लिंक कैपिटल सब्सिडी रणनीति एक विकल्प उधार करता से तुरंत भुगतान की व्यवस्था।

भारत में 21 प्रमुख लघु उद्योग धंधे सरकार द्वारा अधिक उत्पादन के लिए चिन्हित किये हैं, जिसमें विनिर्माण किया जाता है, इसमें 7500 से अधिक उत्पादन भी निर्माण होते हैं।

लघु उद्योग मंत्रालय में विभिन्न उपक्रमों के माध्यम से लघु उद्योग को उत्थान और सहयोग किया जाता है। लघु उद्योग विकास संगठन राष्ट्रीय उद्योग निगम लिमिटेड उद्योग मंत्रालय ने तीन राष्ट्रीय उद्यम विकास संस्थानों की स्थापना की है जो प्रशिक्षण केंद्र उपक्रम अनुसंधान और लघु उद्योग के क्षेत्र में उद्यम विकास के लिए प्रशिक्षण और परामर्श सेवा में लगे हुए हैं। यह इस प्रकार हैं...

1- हैदराबाद में राष्ट्रीय लघु उद्योग विस्तार प्रशिक्षण संस्थान

2-नोएडा में राष्ट्रीय उद्योग एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान

3-गुवाहाटी में भारतीय उद्योग संस्थान

भारत सरकार का उपक्रम Msme संस्थान पूरे देश में अपनी सेवा देता हैं। हम सभी जानते हैं भारत में जब तक मज़बूत एकल विंडो सिस्टम नहीं होगा तब तक लघु उद्योगों का उत्थान होना और गतिशील होना, साथ ही बड़े उद्योगों से मुकाबला करना बहुत कठिन होगा। भारत के समग्र आर्थिक विकास में कार्यनीति महत्त्व को ध्‍यान में रखते हुए लघु उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए आवश्‍यकता पर विशेष बल दिया जाता गया है। पर धरातल पर देखने में सब से ज़्यादा शोषण लघु उद्यमियों का होता हैं।

भारत को कोविड-19 जैसी महामारी के बाद जिस आर्थिक परेशानियों से देश जूझ रहा है अगर उससे निपटना है तो उसे अपने देश के लघु उद्योगों को मजबूत करना होगा। उसे रियायत से ज्यादा इस बात पर ध्यान देना होगा कि उसके काम करने की शैली में सरकारी तंत्र द्वारा बाधा उत्पन्न नहीं की जाए और जो सरकारी तंत्र द्वारा भ्रष्टाचार का बोलबाला है उस पर सख्ती से निपटा जाए। अगर उद्योग धंधों को हम चोरों की निगाह से न देख कर उन्हें देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाला मानेंगे तो बहुत जल्द ही आर्थिक कमजोरी को हम दूर कर पाएंगे। निश्चित रूप से चीन जेसे उत्पादक देश को हम पीछे छोड़ देंगे। ऐसा हाल के आँकड़े बताते हैं। कोविड 19 के बाद भारत बहुत तेज़ी से मुक़ाबला करता जा रहा है। कभी जो 23वें पायदान से अब पहले पांचवें स्थान पर आ गया है। सरकार की नीति व नियति के साथ भारतीय कार्य कुशलता के बूते पर राज्य सरकार से व केंद्र सरकार से निवेदन है कि वास्तव में एकल विंडो, ऑनलाइन सिस्टम सभी प्रकार की नियमावली पूरी कराई जाए। केवल कहने को या खानापूर्ति करने को न की जाए। सरकार को बीच-बीच में उद्यमियों से बात भी करनी चाहिए और अपने सरकारी कार्यालयों और कर्मचारियों की गतिविधियों पर पूरी निगाह रखनी चाहिए। सरकार को लघु उद्यमियों को बिजली में रियायत अवश्य देनी चाहिए। इन सब से हम निर्यात में आगे बढ़ेंगे।

सभी भारतवर्ष के लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, मझौले उद्योग उद्योगपतियों को बहुत साधुवाद अगर आप नहीं होते तो भारत जैसे उपभोक्ता वादी देश में अपूर्ति करना बहुत मुश्किल होता। अंत में फिर सभी लघु उद्यमियों से एक बात 'वीर तुम बढ़े चलो, वीर तुम बढ़े चलो जहां तुम बढ़े चलोगे देश की प्रगति आगे बढ़ती चली जाएगी।

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