चीन की चालबाजी से निपटने को भारतीय सैनिक तैयार, लद्दाख में तैनात किए इतने जवान
India Army: चीन से भारत के विवादों का पुराना रिश्ता है। चीन हमेशा अपनी नाकाम कोशिश से भारत के भू भाग पर कब्जा करना चाहता है।
India Army: चीन से भारत के विवादों का पुराना रिश्ता है। चीन हमेशा अपनी नाकाम कोशिश से भारत के भू भाग पर कब्जा करना चाहता है। अभी हाल ही में पू्र्वी लद्दाख में चीन के आक्रमण को रोकने के लिए भारतीय सेना ने आतंकवाद विरोधी अभियान वाले अपनी टुकड़ियों को जम्मू-कश्मीर से पूर्वी लद्दाख भाग में ट्रांसफर किया है।
बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में स्थित आतंकवाद विरोधी संगठनों से लगभग 15,000 सैनिकों को कई महीने पहले ही लद्दाख क्षेत्र में चीन के आक्रमण को रोकने के लिए ले जाया गया था। कुछ समय पहले लद्दाख सेक्टर में सैनिकों को तैनात किया गया है। ये जवान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के द्वारा भविष्य में किसी भी प्रकार के कदम का अच्छे ढंग से मुकाबला करने के लिए लेह में स्थित 14 मुख्यालय की सहायता कर सकेंगे।
पूर्वी लद्दाख भाग में गत वर्ष अप्रैल महीने से चीन ने षडयंत्र रचने की शुरुआत की थी। कई महीनों तक बातचीत होने के बावजूद भी कुछ प्वाइंट्स पर ही चीनी सैनिक पीछे हटे। लेकिन अभी भी ऐसे कई प्वाइंट्स हैं जहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने की स्थिति में आ गई हैं। चीन की आक्रामकता को का अंदाजा लगाते हुए भारत ने सिर्फ एक डिवीजन के बजाय अतिरिक्त बख्तरबंद और अन्य तत्वों के साथ दो पूर्ण डिवीजनों पर जवानों की संख्या में बढ़ोतरी कर दी है।
आपको बता दें कि भारतीय सेना की 17 माउंटेन स्ट्राइक को चीनी सीमा पर किसी भी तरह की अनहोनी से निजात पाने के लिए 10,000 अतिरिक्त सैनिकों के तौर पर भारतीय सेना को एक नई ऊर्जा मिली है। इसमें 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर भारतीय सेना की एकमात्र ऐसी स्ट्राइक कोर है जो युद्ध की परिस्थिति में चीन के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने में सक्षम है। इस दस्ते की ताकत ऐसे वक्त बढ़ाई गई है जब भारत और चीन पिछले एक साल से भी अधिक काल से सैन्य गतिरोध में लीन हैं। आपको बता दें कि पिछले साल से ही सीमा पर बड़ी संख्या में भारतीय और चीनी सैनिक तैनात हैं। मथुरा में स्थित वन स्ट्राइक कोर को उत्तरी सीमा की ओर फिर से कर दिया गया है।जबकि इस कोर की एक बख्तरबंद फॉर्मेशन इसके पास ही बनी रहेगी।
अन्य सेक्टरों में भी फॉर्मेशन और सैनिकों की तैनाती को और भी मजबूत किया गया है। पैंगोंग झील के पास दक्षिणी किनारे पर भारत के सामरिक अभियानों के कारण ही भारतीय सेना, चीनी सेना को पीछे हटाने में कामयाब रही है। अब ऐसे में दोनों पक्षों के बीच क्षेत्र में अन्य प्वाइंट्स से डिस-एंगेजमेंट तथा आपसी तनाव को कम करने के लिए बातचीत अभी भी चल रही है।