Jewar Airport Inauguration: अटल विहारी वाजपेयी के इस सपने को पूरा करेगें नरेन्द्र मोदी

Jewar Airport Inauguration: वहीं दो दशक बाद अब जब दुनिया के सबसे बडे एयरपोर्ट का शिलान्यास होने जा रहा है तब भी केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार में भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-11-23 16:19 GMT

अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की तस्वीर (डिजाइन फोटो)

Jewar Airport Inauguration: पश्चिमी उत्तर प्रदेश (west Uttar Pradesh) के जेवर में जिस एयरपोर्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) 25 नवम्बर को करने जा रहे हैं उसे धरातल पर आने में बीस साल लग गए। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि इस एयरपोर्ट की जब 2001 में कल्पना की गयी थी तो उस समय केन्द्र  में एनडीए की सरकार (NDA Government) में प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी (Atal Vihari Vajpayee) थें और उत्तर प्रदेश में भी राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी।

वहीं दो दशक बाद अब जब दुनिया के सबसे बडे एयरपोर्ट का शिलान्यास होने जा रहा है तब भी केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार में भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री है।

दरअसल जेवर एयरपोर्ट की शुरुआत तब हुई थी जब देश और प्रदेश में राजनीतिक उठापटक का दौर बहुत तेजी से बदल रहा था।  इस कारण एयरपोर्ट का काम रुक गया। इसके बाद  प्रदेश में जब मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की सरकार बनी तो उन्होंने एक बार फिर  2004 में जेवरएयरपोर्ट बनाने की घोषणा की पर तब तक केन्द्र में एनडीए सरकार जा  चुकी थी और मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार आ चुकी थी।  इस कारण यह काम एक बार फिर लटक गया।

जेवर एयरपोर्ट की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

दरअसल जेवर एयरपोर्ट टलने के पीछे एक और मिथक नोएडा का भी जुडा था। कहा जाता था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है उसे सत्ता से हाथ धोना पडता है। इसलिए किसी मुख्यमंत्री ने इस पर अपनी दिलचस्पी भी नहीं दिखाई।

नोएडा के मिथक की शुरुआत 23 जून 1988 को हुई जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और उनकी कुर्सी चली गई। बस यहीं से इस अंधविश्वास ने जन्म ले लिया। इसके बाद कई मुख्यमंत्री यहां आने से डरते रहे। नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह के साथ भी ऐसा हुआ था। हांलाकि, मायावती ने भी इस मिथक को तोड़ा। पर बाद में उनकी कुर्सी चली गई। इसी अंधविश्वास के कारण समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान अखिलेश यादव भी पूरे पांच साल गौतमबुद्धनगर नहीं आए। उन्होने तो जेवर एयरपोर्ट बनाए जाने की परियोजना को ही रद्द कर दिया था।  

इससे पहले जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की पहल 2007 में तत्कालीन मायावती सरकार ने की थी। तब तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार ने यह कहते हुए जेवर एयरपोर्ट को मंजूरी नहीं दी थी कि इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से जेवर की दूरी 72 किमी है। इसलिए इस पर धन का इतना बड़ा निवेश नहीं किया जा सकता है। लेकिन जब प्रदेश में अखिलेश यादव (Akhlesh Yadav) की सरकार आई तो उन्होंने भी इसके लिए कई प्रयास किए लेकिन केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने और राजनीतिक टकराव के कारण आखिरकार अखिलेश यादव सरकार ने इस परियोजना को रद्द कर दिया था।

इसके बाद पष्चिमी उत्तर प्रदेष का सौभाग्य रहा कि केन्द्र और प्रदेश  में एक ही दल की सरकार होने से इसका काम तेजी से बढा। केन्द्र में मोदी सरकार और प्रदेश में योगी सरकार होने के कारण इस परियोजना को पंख लगे और साढे चार साल की कवायद के बाद अब इस एयरपोर्ट का शिलान्यास होने जा रहा है।

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