Johnson and Johnson: जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज़ वैक्सीन मिलने की उम्मीद, एडीनो वायरस से बनी है वैक्सीन
जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत के ड्रग कंट्रोलर से अपनी सिंगल डोज़ कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है।
Johnson and Johnson: अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत के ड्रग कंट्रोलर से अपनी सिंगल डोज़ कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। कंपनी की एक खुराक वाली वैक्सीन को 'जेनसेन' नाम से जाना जाता है। पिछले हफ्ते खबर आई थी कि कंपनी ने अपनी वैक्सीन की जल्द मंजूरी के लिए भारत में किया आवेदन वापस ले लिया है। लेकिन अब नए आवेदन की बात आई है।
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने अप्रैल में ड्रग कंट्रोलर के पास आवेदन कर भारत में वैक्सीन के ब्रिजिंग ट्रायल के लिए मंजूरी मांगी थी।
ब्रिजिंग ट्रायल में नियामक संस्था किसी भी वैक्सीन की सुरक्षा और इम्युनिटी की जांच करने के लिए कम संख्या में स्थानीय वॉलेंटियरों पर वैक्सीन के ट्रायल को कहती है। हालांकि अब सरकार ने यह शर्त हटा दी है। मंजूरी का आवेदन वापस लेने का कारण बताते हुए कम्पनी ने कहा है कि भारत में अब ब्रिजिंग ट्रायल करने की अनिवार्यता नहीं रही है इसलिए यह आवेदन वापस लिया गया था। कंपनी ने कहा है कि वह भारत में अपनी वैक्सीन लाने को प्रतिबद्ध है।
जॉनसन एंड जॉनसन ने आपात इस्तेमाल की मंजूरी ऐसे समय में मांगी है, जब भारत सरकार वैक्सीन कंपनियों के साथ कानूनी सुरक्षा गारंटी को लेकर बातचीत कर रही है। दरअसल, मॉडर्ना और फाइजर समेत कई कंपनियों ने वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स होने पर कानूनी पचड़ों से सुरक्षा मांगी है। कम्पनियां चाहती हैं कि कानूनी जिम्मेदारी सरकार ले। सरकार ने इसके लिए एक टीम का गठन किया है जो कंपनियों से कानूनी सुरक्षा समेत वैक्सीन लॉन्चिंग से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा कर रही है। इसी मसले के चलते अमेरिका से दान स्वरूप मिलने वाली वैक्सीनें भारत नहीं आ पा रही हैं।
जॉनसन एंड जॉनसन का दावा है कि उसकी वैक्सीन डेल्टा समेत कोरोना के सभी वेरिएंट के खिलाफ कारगर है और उसके खिलाफ मजबूत एंटीबॉडीज विकसित करती है। कंपनी ने बताया कि है कि फिलहाल इस वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अमेरिका, यूरोपीय संघ, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में इस वैक्सीन को आपात उपयोग की मंजूरी मिल चुकी है और इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है। अब तक के ट्रायल में यह वैक्सीन 66 फीसदी प्रभावी पाई गई है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन एडीनो वायरस पर आधारित है। ये वही तकनीक है जिससे सीरम इंस्टिट्यूट व रूसी वैक्सीनें बन रही हैं।