Female Travellers : अकेले घूम रहीं लड़कियां और दुनिया को सिखा रहीं घूमना

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-09-12 11:20 IST

सांकेतिक तस्वीर (फोटो- सोशल मीडिया)

Female Travellers : तान्या खनिजो, कृतिका गोएल, ध्रुवी भगत, स्वाति, मृदुल शर्मा, गरिमा बक्शी – इन सभी में एक चीज कॉमन है, ये सब घुमक्कड़ हैं। ये अकेले देश-दुनिया घूमती हैं और घूमना सिखाती हैं। ये सभी ट्रेवल व्लोगर (Travel Blogs) हैं। यूट्यूब (You Tube), इंस्टाग्राम (Instagram) आदि पर इनके हजारों लाखों फॉलोवर हैं। इनके वीडियोज सुपर हिट हैं।

इन घुमक्कड़ लड़कियों में ज्यादातर बजट ट्रैवलर ( Budget Travel ) हैं यानी कम से कम खर्चे पर यात्रा (Kam Karche Mai Ghumne Ki Jagah) करती हैं। देश के भीतर यात्रा हो तो स्लीपर क्लास में या सड़क पर बस से यात्रा या हिच हाईकिंग होती है। रहने के लिए हॉस्टल, होम स्टे या काउच सर्फिंग। खाना किसी ढाबे या सड़क किनारे वाले स्टाल में। यानी कम से कम खर्चे में घूमना, रहना और खाना। ये लड़कियां कई कई महीनों तक घूमती रहती हैं।

इन घुमक्कड़ों की कहानियां बताती है कि इस जनरेशन के लड़के – लड़कियां अपनी जिन्दगी को खुल कर और बन्धनों से मुक्त हो कर जीना चाहते हैं। अपना जो भी शौक, पैशन है उसे पूरा करना चाहते हैं। इनको रिटायर होने तक इन्तजार नहीं करना है।

कुछ साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि विदेशों की तरह भारत में भी युवाओं में अकेले यायावरी करने का जूनून पैदा होगा। घर से बाहर निकलना, अकेले दूसरे शहर जाना, आज से कुछ सालों पहले तक महिलाओं के लिए बहुत ही मुश्किल बात हुआ करती थी । लेकिन अब वो अपने घूमने-फिरने के पैशन को खुलकर न सिर्फ पूरा कर रही हैं बल्कि उसके बारे में दुनिया को भी बता रही हैं अलग-अलग मंचों के जरिए।

सांकेतिक तस्वीर (फोटो - सोशल मीडिया)

बजट यात्रा की प्लानिंग

यू ट्यूब पर ट्रेवल के वीडियो खूब देखे जाते हैं। इन लड़कियों की यात्राओं के विडियो बहुत हिट हुए हैं। जिसके वजह से इनको कई कंपनियों और ब्रांड्स का सहयोग भी मिलने लगा है। इन ब्लागर्स के अनुसार, कंपनियों के सहयोग से थोड़ी बहुत मदद हो जाती है, कुछ पैसे मिल जाते हैं लेकिन इतने नहीं कि पूरा खर्च निकल आये। बजट ट्रेवल प्लानिंग पर निर्भर करता है।

मिसाल के तौर पर अगर विदेश जाना है तो सस्ती एयरलाइन, सस्ते टिकट, उस देश में हॉस्टल या काउच सर्फिंग का इंतजाम- इन सबके के लिए काफी रिसर्च करनी पड़ती है। जिनको नहीं पता उनको बता दें कि 'काउच सर्फिंग' किसी के घर में मुफ्त में ठहरने को कहते हैं। काउच सर्फिंग का बाकायदा एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहाँ ऐसे लोग मिलते हैं जो ठहरना चाहते हैं और जो अपने घर में किसी को ठहराना चाहते हैं।

गरिमा बक्शी (Garima Bakshi)

गरिमा बक्शी को ही लीजिये, कहाँ कहाँ नहीं घूम रही है झारखण्ड की ये छोटी सी लड़की। इथियोपिया, सूडान, रूस, अल्बानिया, तंज़ानिया, यूगांडा, केन्या, लिस्ट काफी लम्बी है। दिखने में स्कूली बच्ची की तरह गरिमा बक्शी (Garima Bakshi Vlogger) अकेले घूमती है।

कोरोना काल में ही लम्बी लम्बी यात्राएँ कर डाली हैं। वो भारत में तमाम जगहों को एक्सप्लोर कर चुकी हैं। फिर कोरोना काल में अफ़्रीका घूमने निकल पड़ीं और पहुँच गईं तंज़ानिया। तबसे लगातार वह एक के बाद एक देश के चक्कर लगा रही हैं।

घूमना और पेंटिंग करना गरिमा का शौक है। अपने शौक को पूरी शिद्दत से पूरा करती हैं। गरिमा का यू ट्यूब चैनल है 'वाडरिंग विथ पेंट' (Wandering With Paints) जिस पर वो अपनी यात्रा की अनोखी कहानियां पोस्ट करती रहती हैं।

कायनात काज़ी ( Kaynat Kazi )

फिरोजाबाद की रहने वाली कायनात काज़ी वैसे तो टीचर हैं, लेकिन अब वह फुल टाइम यायावर हो गई हैं। लगभग छह साल पहले उन्होंने जोधपुर की अपनी पहली एकल यात्रा की थी।

बीते चार साल में कायनात भारत में दो लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुकी हैं। जिसके जरिए उन्होंने एक लाख तस्वीरों का संग्रह किया है। कायनात ने पूरा भारत लगभग देख, घूम और जी लिया है।

आज वह फोटोग्राफर, ट्रैवल राइटर और ब्लॉगर हैं। यायावरी के लिए उन्हें ढेरों पुरस्कार मिल चुके हैं। हाल ही में उन्हें पर्यटन रत्न सम्मान से नवाजा गया है। हिंदी साहित्य में पीएचडी कायनात 'राहगीरी' नाम से हिंदी का पहला ट्रैवल फोटोग्राफी ब्लॉग भी चलाती हैं। 

कायनात काजी बताती हैं कि अकेले यात्रा करने में अगर आजादी है तो आपके ऊपर जिम्मेदारी भी है। आपको अपना ख्याल रखना है। कैमरा, मोबाइल, लैपटॉप जैसे अपने उपकरणों का भी ख्याल रखना है।

प्रज्ञा श्रीवास्तव ( Pragya Srivastava )

प्रज्ञा श्रीवास्तव भी एक यायावर हैं। 2017 में उन्होंने अपनी पत्रकारिता की नौकरी छोड़ कर घूमना शुरू कर दिया । बीते चार साल में भारत के 34 राज्य घूम चुकी हैं।

प्रज्ञा बताती है कि सिर्फ लद्दाख ( Ladakh )और लक्षद्वीप ( Lakshadweep ) बचा है, वहां भी कोरोना के कारण जाना टल गया है। वो भारत के सुदूर क्षेत्रों में लगभग हर छोटी बड़ी जगह पर जा चुकी हैं।

सांकेतिक तस्वीर (फोटो- सोशल मीडिया)

वह बताती हैं कि आमतौर पर लोग घूमने को बहुत महंगा मानते हैं लेकिन ये गलत धारणा है। प्रज्ञा के अनुसार, बहादुरी और बेवकूफी में बहुत थोड़ा सा अंतर होता है। अगर आप अकेले हैं तो आपको सजग रहना होगा। बस आप थोड़ा ध्यान से रहिये।

मोनिका मरांडी ( Monika Marandi )

प्रज्ञा की दोस्त झारखण्ड की रहने वाली मोनिका मरांडी भी कुछ ऐसा ही कर रही हैं। मोनिका बताती हैं कि पढाई के दौरान ही दोनों ने फैसला किया था कि साथ में घूमने चलेंगे और एक दिन सफर शुरू हो गया।

मोनिका कहती हैं- हम लोगों ने सोचा कि इंग्लिश में बहुत सामग्री है और हिंदी में बहुत कम है तो फिर हम ने हिंदी में लिखने के लिए वेबसाइट बनाई। आज हमारी वेबसाइट पर आज 350 लेखक हैं जो अपनी यायावरी के किस्से साझा करते हैं।

शालू अवस्थी ( Shalu Awasthi )

लखनऊ की रहने वाली शालू अवस्थी फिलहाल मुंबई में नौकरी कर रही हैं । लेकिन यात्रा करना और घूमना इनका जूनून हैं। शालू ऐसी जगहों को चुनती हैं जो सस्ती और आसपास हों।

जैसे मुंबई के बीच में बनाया गया एक गांव या फिर भारत का सबसे छोटा हिल स्टेशन जहां पर किसी भी किस्म के वाहन का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। शालू बताती हैं कि यात्रा करने से काम के स्ट्रेस से राहत मिलती है। वह सिर्फ बजट यात्रा करती हैं ताकि कम पैसे और कम समय में ज्यादा घूम सकें।

शिव्या नाथ ( Shivya Nath )

एक अन्य टॉप ट्रैवल व्लागर हैं शिव्या नाथ। मात्र 23 साल की उम्र में नौकरी छोड़कर घूमने-फिरने के पैशन पर फोकस किया और आज दुनियाभर में उनकी पहचान बन चुकी है। शिव्या ने सोलो ट्रैवलिंग के लिए महिलाओं को इंस्पायर किया है।

लक्ष्मी शरथ ( Lakshmi Sharath )

लक्ष्मी शरथ ने 15 साल नौकरी करने के बाद सब छोड़ कर घूमना शुरू कर दिया। उन्हें लगा कि उनका सपना बैठकर काम करना नहीं बल्कि दुनिया घूमना है। लक्ष्मी अब तक 25 देशों का सफर तय कर चुकी हैं।

अनुराधा गोयल ( Anuradha Goyal )

अनुराधा गोयल कॉरपोरेट सेक्टर में अच्छी खासी नौकरी कर रही थीं। 12 साल काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और घूमने के अपने शौक को पूरा करने में लग गईं। उन्होंने जो पैसे जमा किये थे उसी से घूमने का खर्चा उठाया। अब अनुराधा घुमक्कड़ी के लिए महिलाओं की एक प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। अनुराधा अब तक 15 देशों की सैर कर चुकी है।

सांकेतिक तस्वीर (फोटो- सोशल मीडिया)

रुतवी मेहता (Rutvi Mehta )

रुतवी मेहता होटल उद्योग में काम करती थीं। सात साल काम करने के बाद रुतवी को लगा कि ये शायद उनकी मंजिल नहीं है। बस, वो बैग लेकर यूरोप की सैर पर निकल पड़ीं। एक के बाद एक सफर होता गया। रुतवी ने कई और महिलाओं को भी अकेले घूमने-फिरने की हिम्मत दी है। एडवेंचर पसंद रुतवी ने एवरेस्ट बेस कैंप का भी ट्रेक किया है। घूमने के साथ ही जगह जगह वालंटियर का काम भी करती हैं।

मृदुला द्विवेदी ( Mridula Dwivedi )

मृदुला द्विवेदी 18 सालों से ट्रैवल कर रही हैं। जगह-जगह घूमना, वहां की चीज़ों और अपने अनुभवों को लोगों तक पहुंचाना उनका पसंदीदा काम है। आईआईटी कानपुर से पीएचडी करके उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया, प्रोफ़ेसर बन गईं । लेकिन अपने शौक के आगे उन्होंने सब छोड़ दिया। वह कहती हैं कि बिना रिस्क कुछ नहीं हासिल होता। मृदुला अब तक 26 देशों का सफर कर चुकी हैं।

गजल गर्ग (Ghazal Garg )

गजल गर्ग के पास एक हाई प्रोफाइल नौकरी थी, बढ़िया क्वालिफिकेशन थी लेकिन उनकी योजना कुछ और ही थी। गजल अपने ट्रैवलिंग के सपनों को पूरा करने के साथ ही पूरी दुनिया एक्सप्लोर करना चाहती हैं। ट्रैवल ब्लॉगर और इंफ्लुएंसर होने के अलावा गजल की इंस्टाग्राम फैन फॉलोइंग भी काफी अधिक है।

गजल कहती हैं कि वो हमेशा से ही ट्रैवलिंग करना चाहती थीं और फिर एकदिन उन्होंने अपने सपने को प्राथमिकता देने का फैसला किया। गजल के अनुसार, नौकरियां आपकी जेबें भरती हैं, और एडवेंचर आपकी आत्मा को सुकून देता है। गजल ने फिलीपींस, साइप्रस, लंदन, बेल्जियम, आयरलैंड, तुर्की के अलावा भारत भर की यात्रा की है।

गजल का मानना है कि दुनियाभर में ट्रैवल करने से वह एक बेहतरीन इंसान बन गई है। मास्टर कार्ड, गो प्रो, गूगल, स्किलशेयर, स्क्वायर स्पेस डूडलग, हाउस ऑफ सनी और भाने जैसे कुछ ब्रांड गजल के साथ कोलाबोरेट कर रहे हैं, जिससे वह इस समय की जानी मानी कंटेंट क्रिएटर्स बन गई हैं।

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