Kisan Andolan: किसान आंदोलन से चुनावी फायदा तलाश रहा विपक्ष, क्रेडिट लेने के लिए रस्साकशी शुरू

Kisan Andolan: कांग्रेस (Congress) ने लोकसभा के अंदर अपनी रणनीति को बदलते हुए अपना पूरा जोर पेगासस हैकिंग विवाद से हटाकर किसानों के मुद्दे पर केंद्रित कर दिया है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shreya
Update: 2021-07-22 16:44 GMT

राहुल गांधी की अध्यक्षता में प्रदर्शन करते कांग्रेस सांसद (फोटो साभार- ट्विटर)

Kisan Andolan: नई दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) के कृषि सुधारों के खिलाफ किसानों को जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर प्रदर्शन की इजाजत दिये जाने के बाद कांग्रेस (Congress) ने लोकसभा के अंदर अपनी रणनीति को बदलते हुए अपना पूरा जोर पेगासस हैकिंग विवाद (Pegasus Hacking Case) से हटाकर किसानों के मुद्दे पर केंद्रित कर दिया है। खासकर पंजाब और उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव को देखते हुए पार्टी ऐसा महसूस कर रही है कि पैगासस के मुद्दे के बजाय किसानों के साथ खड़े होने से उसे ज्यादा लोकप्रियता मिल सकती है।

गौरतलब है कि किसान नेता राकेश सिंह टिकैत (Rakesh Tikait) पहले ही एलान कर चुके हैं कि पांच सितंबर को होने वाली महापंचायत किसान आंदोलन के राजनीतिक भविष्य पर फैसला लिया जाएगा जबकि किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को मिशन पंजाब को लेकर बात करने के आरोप में एक सप्ताह के लिए सस्पेंड किया जा चुका है। लेकिन चढ़ूनी यह दिखा रहे हैं कि उन्हें निलंबित किये जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है बल्कि वह सस्पेंड करने के लिए संयुक्त मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) का धन्यवाद भी अदा कर चुके हैं।

 गुरनाम सिंह चढूनी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

भाजपा को हराने के लिए किसान संगठन की रणनीति

अपने मिशन पंजाब को लेकर अडिग चढूनी का कहना है कि किसान यूनियन भाजपा को हराने के लिए पंजाब से अपनी कोशिश शुरू करेगी और उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। उधर राकेश टिकैत भी कह रहे हैं कि किसान नेताओं के लिए चुनाव लड़ने का विकल्प खुला है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस पर्दे के पीछे से किसान आंदोलन को समर्थन देती रही है और चुनाव के समय वह खुलकर सामने आती है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। यह बात सही है कि पिछले दिनों हुए पंचायत चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को किसान आंदोलन का लाभ मिला है। लेकिन विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) तक यह कितना बना रहेगा यह सोचने वाली बात है। 

पंजाब के कांग्रेस सांसद संतोष कुमार चौधरी का इस बाबत कहना है कि ये बिल किसान विरोधी हैं, और सरकार किसानों की चिंता को दूर करने के प्रति गंभीर नहीं है। वे केवल जुमलेबाजी कर रहे हैं... हमने कहा है कि हम किसानों के साथ हैं। सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आगे आना चाहिए।

एर्नाकुलम से कांग्रेस के एक सांसद का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमने पेगासस का मुद्दा छोड़ दिया है… पूरे राज्य में, विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। लेकिन चूंकि किसान विरोधी बिलों के विरोध में किसान जंतर-मंतर पर आए थे, इसलिए स्वाभाविक रूप से आज कृषि बिलों पर विरोध करने का निर्णय लिया गया। ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर सरकार को जवाब देना है... हम हर दिन एक-एक करके मुद्दों को उठाएंगे।

गौरतलब है कि भाजपा नेता पहले ही कहते रहे हैं कि दिल्ली का धरना किसानों के नाम पर राजनीतिक एजेंडा को लेकर है इसका किसानों से कोई लेना देना नहीं है। न ही इसे अधसंख्य किसानों का समर्थन हासिल है।

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