किसानों की बड़ी तैयारी, अब मॉनसून सत्र खत्म होने तक संसद के बाहर करेंगे प्रदर्शन
Kisan Andolan: किसान अब नए कृषि कानूनों के खिलाफ मानसून सत्र खत्म होने तक संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे।
Kisan Andolan: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) के खिलाफ बीते 7 महीने से किसान धरना दे रहे हैं। दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान कानूनों की वापसी की मांग के साथ आंदोलन (Farmers Andolan) कर रहे हैं। एक तरफ किसान (Farmer) अपनी मांग पर अड़े हैं, तो दूसरी ओर केंद्र (Central Government) अपनी बात पर।
बीते दिनों केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने आंदोलन को और तेज करने का एलान किया था। वहीं, अब संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी इसका एलान कर दिया है। SKM ने घोषणा की है कि 22 जुलाई से मॉनसून सत्र की समाप्ति तक हर रोज किसान संसद के बाहर 200 प्रदर्शनकारी प्रदर्शन करेंगे। इसमें हर किसान संगठन की तरफ से पांच सदस्य शामिल होंगे।
विपक्षी दलों को भेजा जाएगा चेतावनी पत्र
इस किसान संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए यह भी कहा है कि 17 जुलाई से सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी पत्र भी भेजा जाएगा। जिसमें विपक्षी पार्टियों को आगामी संसद सत्र में किसान आंदोलन की सफलता के लिए काम करने की चेतावनी दी जाएगी। संगठन ने साफ शब्दों में कहा है कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा इससे कम पर नहीं मानेंगे और इस बारे में सरकार को पहले ही बता दिया गया है।
बता दें कि किसान डीजल, एलपीजी गैस जैसी रोजमर्रा की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भी प्रदर्शन करने वाले हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की इससे हुई बैठक में यह तय किया गया था कि डीजल और रसोई गैस जैसी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
26 नवंबर को शुरू हुआ था Farmers Protest
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर किसान संगठन 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन को खत्म करने और कानून में बदलाव करने को लेकर सरकार और किसानों की जितनी भी वार्ताएं हुईं, सभी असफल रहीं। आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। केंद्र व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है।
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