सऊदी अरब को कैसे सबक सिखा रहा भारत, जानें पूरी कथा यहां
सऊदी और भारत के बीच इस समय कच्चे तेल को लेकर आन्तरिक संघर्ष जारी है। जहां भारत ने मिडिल ईस्ट से कच्चे तेल लेना कम कर..
नई दिल्लीः सऊदी और भारत के बीच इस समय कच्चे तेल को लेकर आन्तरिक संघर्ष जारी है। जहां भारत ने मिडिल ईस्ट से कच्चे तेल लेना कम कर दिया है। वहीं भारत में तेल की उत्पादन करने वाली इकाइयों से उत्पादन बढ़ाने को कहा। भारत की ओर से तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के लिए संदेश है
क्या है पूरा मामलाः
आप को बता दें कि तेल उत्पादक देशों ने जब अप्रैल माह में भारत के साथ तेल निर्यात में कटौती जारी रखी तो भारत ने भी अपना सख्त तेवर अपना लिया। बता दें कि जब केंद्रीय तेल और गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सऊदी अरब के तेल मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान से कच्चे तेल के दाम के कम को करने की अपील की थी तो अब्दुला अजीज ने कहा था कि भारत अपने रिजर्व रखे गए तेल का इस्तेमाल करे, जो उसने बीते साल तेल की गिरती कीमतों के दौरान खरीद कर जमा किया है।
भारत तेल उत्पादक इकाइयां बना रहाः
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार भारत की तेल उत्पादक इकाइयां सऊदी अरब से ईंधन के निर्यात में एक चौथाई कटौती की योजना बना रही हैं। भारत की योजना हर महीने औसतन 10.8 मिलियन बैरल तेल आयात करने की योजना है जबकि यह पहले 14.7-14.8 मिलियन बैरल था।
क्या कहा सचिव तरुण कपूर नेः
वहीं केंद्रीय तेल और गैस मंत्रालय के सचिव तरुण कपूर ने कहा कि भारतीय राज्यों में स्थित तेल उत्पादक रिफाइनरियों से तेल उत्पादकों के साथ संयुक्त रूप से बातचीत करने के लिए कहा है ताकि बेहतर डील की जा सके। वहीं उन्होंने सऊदी अरब से आयात में कटौती की योजना पर टिप्पणी देने से माना कर दिया।
'भारत एक बड़ा बाजारः
तरुण कपूर ने कहा की 'भारत एक बड़ा बाजार और तेल विक्रेताओं को हमारे देश की मांग के साथ लंबे समय तक संबंधों को बरकरार रखने के लिए सचेत रहना होगा।
भारत की उबरती अर्थव्यवस्था के लिए तेल की बढ़ती कीमतः
धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि वह ओपेक के इस फैसले से निराश है। वहीं भारत में ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं ओपेक ने अब तेल उत्पादन बढ़ाने की बात कही है लेकिन भारत ने जब अनुरोध किया था तो ओपेक देशों ने इसे नहीं माना।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने कहाः
भारत के तेल आयात में 2019 के अपेक्षा 2040 तक लगभग तीन गुना 250 बिलियन डॉलर तक वृद्धि होगी। यह देखते हुए तेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ओपेक की कटौती से लोगों के मन में इसे लेकर डर पैदा हुआ है। इस घटना ने रिफाइनरियों के लिए मूल्य निर्धारित करने की योजना को मुश्किल बना दिया है।
हाल ही में भारत ने मिडिल ईस्ट से कच्चे तेल के निर्यात में कटौती की है। पिछले सात वर्षो में भारत के तेल मांग में 25% बढ़ी है। भारत ने जापान को भी तेल निर्यात के मामले में पिछे छोड़ दिया है। बीते दिनों में भारत ने तेल आयात में लगभग 60 प्रतिशत की कमी की है।
कोरोना महामारी के दौरान ईंधन की मांग बढ़ गईः
जब कोरोना संकट में ईंधन की मांग बढ़ गई और भारतीय रिफाइनरियों को शर्तों के तहत मध्य पूर्व तेल खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।अधिकारियों का कहना है कि धर्मेद्र प्रधान के इस मामले में आगे आने के कारण भारत का दूसरे देशों पर तेल की निर्भता में भारी कमी आई है।
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