गौतम गंभीर मामला: ड्रग कंट्रोलर की खुली पोल, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
सेन्ट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। सीबीआई ने 2019 में डिप्टी ड्रग कंट्रोलर डॉ नरेश शर्मा को घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार भी किया था
लखनऊ। ड्रग कंट्रोलर विभाग किस तरह काम करता है, ये भाजपा सांसद गौतम गंभीर की संस्था के मामले में खुल कर सामने आ गया है। जहां ड्रग कंट्रोलर ने पहले इस संस्था को फैबिफ्लू खरीदने, जमा करने और वितरित करने के मामले में क्लीन चिट दे दी थी। वहीं हाई कोर्ट की सख्त नाराजगी के बाद उसी संस्था को दोषी ठहरा दिया।
क्या है पूरा मामला
कोरोना वायरस के चलते दिल्ली की बिगड़ती स्थिति के बीच गौतम गंभीर की संस्था ने अप्रैल में अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली फैबिफ्लू दवा मुफ्त में बांटी थी। गौतम गंभीर ने लोगों से डॉक्टर का पर्चा और आधार कार्ड लाकर उनके ऑफिस से दवा ले जाने को कहा था। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दवा इस तरह बांटे जाने पर सवाल उठाये थे और हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर को जमाखोरी के ऐसे ही मामलों की जांच करने और गौतम गंभीर की संस्था के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया।
जिसके बाद अपनी जांच में ड्रग कंट्रोलर ने संस्था और आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार को क्लीन चिट दे दी। कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर की जांच रिपोर्ट को कूड़ा करार देते हुए कहा था कि अगर ड्रग कंट्रोलर अपना काम नहीं करना चाहता है तो किसी और को जांच सौंप दी जायेगी। कोर्ट ने उसे फटकार लगाते हुए दोबारा जांच करने को कहा था। इसके बाद अपनी दूसरी रिपोर्ट में ड्रग कंट्रोलर ने इन दोनों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया है। ड्रग कंट्रोलर ने गौतम गंभीर की संस्था को दोषी तो पाया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
सेन्ट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। बीते वर्षों में इस संगठन पर फार्मा उद्योग से जरूरत से ज्यादा नजदीकियां र खने के आरोप लगे हैं। 2012 में संसदीय कमेटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 'दशकों से ये संगठन औषधि उद्योग के प्रचार और उनकी सहायता में लगा हुआ है और उपभोक्ताओं की अनदेखी करता रहा है।
सीबीआई ने 2019 में डिप्टी ड्रग कंट्रोलर डॉ नरेश शर्मा को घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। डॉ शर्मा बड़ी औषधि कंपनियों में काम कर चुके थे और उसके बाद इस संगठन से जुड़ गए थे। सीबीआई ने इसी साल मई में दो मेडिकल डिवाइस ऑफिसर्स को घूस मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पराग भूषण गौतम और आर. मोहन नामक इन अधिकारियों ने मेडिकल उपकरण बनाने के लिए लाइसेंस जारी करने के बदले घूस ली थी। सीबीआई ने इनके घर से 25 लाख रुपये नकद बरामद भी किये हैं।