रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला, 238 मिलिट्री डॉक्टरों का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ाया
रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। कोरोना संकट के इस मौके पर सशस्त्र बल चिकित्सा विज्ञान (AFMS) में तैनात डॉक्टरों के कार्यकाल को बढ़ाने का आदेश जारी किया गया है।
लखनऊ: कोरोना वायरस से जंग में अभी तक डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, नगर निगम जैसे फ्रंट लाइन वॉरियर्स लगातार सेवारत रहे लेकिन अब मोर्चा रक्षा मंत्रालय ने संभाला है। एक तरह डीआरडीओ यूपी की राजधानी लखनऊ में 300 बेडों को कोविड अस्पताल बनाने में जुटा है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय वायुसेना ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर मोर्चे पर हैं। ऑक्सीजन के लिए कंटेनरों को लेकर उड़ान भर रहे हैं तो जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट एयरलिफ्ट कराने की तैयारी में हैं।
इसी कड़ी में अब रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। कोरोना संकट के इस मौके पर सशस्त्र बल चिकित्सा विज्ञान (AFMS) में तैनात डॉक्टरों के कार्यकाल को बढ़ाने का आदेश जारी किया गया है। इनमे शार्ट सर्विस यानी कम अवधि (अल्पकालीन) अवधि के लिए कमीशन पर नियुक्त डॉक्टरों की सेवा को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है। रक्षा मंत्रालय के इस फैसले के बाद अब आर्मी डॉक्टरों की लिस्ट में 238 डॉक्टरों का नाम और जुड़ गया है, जो कोरोना संकट की इस खड़ी में AFMS की ताकत को बढ़ाने के साथ ही देश सेवा में कार्यरत रहेंगे।
जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट आयात
बता दें कि आरएफएमएस जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट आयात करने वाला है, ताकि सेना के हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन कमी ना हो। जानकारी के मुताबिक, जर्मनी से लाए जाने वाले इन सभी 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स को सेना के हॉस्पिटल में लगाया जाएगा। वहीं से सेना के कोविड हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन को भेजा जाएगा। जर्मनी से एयरलिफ्ट कर इन प्लांट्स को इंडिया में लाया जा रहा है। इसके पहले सीएम केजरीवाल भी ऑक्सीजन सप्लाई का जिम्मा सेना के हाथों दिए जाने की मांग कर चुके हैं, ताकि समय से राज्यों में ऑक्सीजन पहुँच सकें और कालाबाजारी की सभावना भी न हो।
अस्पताल से ऑक्सीजन तक उपलब्ध कराएगी सेना
इसके अलावा आर्मी डॉक्टरों की दिल्ली स्थित बेस हॉस्पिटल को अब 1000 बेड में तब्दील करने की तैयारी है। दिल्ली कैंट स्थित बेस हॉस्पिटल में अभी 258 ऑक्सीजन बेड हैं और सभी भरे हुए हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अगले एक हफ्ते में ये काम पूरा कर लिया जाएगा। जिसके बाद देश में ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से सेना ने सीधे जर्मनी से ऑक्सीजन प्लांट आयात करने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को जरूरी मेडिकल उपकरण खरीदने की इजाजत दी थी।
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