संसद गतिरोध पर मनोज झा के 8 सवाल
सांसद मनोज झा ने मानसून सत्र के दौरान संसद में हुए गतिरोध को लेकर 8 सवाल पूछे हैं...
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने मानसून सत्र के दौरान संसद में हुए गतिरोध को लेकर 8 सवाल पूछे हैं। उन्होंने संसद में दो पूर्व प्रधान मंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में नहीं आने को मुद्दा बनाते हुए कहा कि क्या यह देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों और ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक जैसे गंभीर मुद्दे की अनदेखी का मामला नहीं मानना चाहिए ।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से विपक्ष पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने संसदीय परंपरा को नुकसान पहुंचाया है ।मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के सांसदों ने संसद नहीं चलने दी। राज्यसभा में हंगामे को लेकर भी विपक्ष के सदस्यों पर निशाना साधा गया है। केंद्र सरकार के आठ मंत्रियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा है कि विपक्ष ने मानसून सत्र के दौरान सड़क से संसद तक अराजकता का माहौल बनाया। इसके लिए विपक्ष को पूरे देश से माफी मांगने चाहिए। केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस दौरान यह भी कहा है कि विपक्ष के सांसदों ने मानसून सत्र को बर्बाद करने की एक पहले से ही साजिश कर रखी थी सरकार की ओर से बार-बार चर्चा की अपील की गई लेकिन विपक्ष ने हंगामे का सहारा लेकर सदन को चलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि महंगाई, कोरोना संकट और कृषि संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार तैयार थी लेकिन विपक्ष ने संसद को हाईजैक कर लिया और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं होने दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, प्रहलाद जोशी, मुख्तार अब्बास नकवी, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव ,अनुराग ठाकुर ,अर्जुन मेघवाल, वी मुरलीधरन शामिल हुए। इन मंत्रियों ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 तक कई ऐसे बिल संसद से पारित पारित हुए हैं जिन पर कोई चर्चा नहीं हुई। विपक्ष के सदस्यों ने संसद में रिपोर्टर टेबल पर चढ़कर हंगामा किया है रूल बुक को चेयर की ओर फेंका। महिला सांसदों ने लेडी मार्शल के साथ धक्का-मुक्की की।
केंद्रीय मंत्रियों की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो जारी किया है जिसमें केंद्र सरकार के 8 मंत्रियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस की निंदा की गई है। उन्होंने आठ मंत्रियों का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी से 8 सवाल पूछे हैं। राजद सांसद ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान संसद में भाजपा की ओर से स्थापित परंपराओं व मान्यताओं को नष्ट किया गया है। भाजपा और उसके मंत्रियों ने संसदीय परंपरा को तार-तार किया है इसके बाद अब चौड़े होकर सवाल पूछ रहे हैं तो उन्हें हमारे सवालों का भी जवाब देना चाहिए।
सवाल पूछने के क्रम में उन्होंने कहा कि ओबीसी संशोधन विधेयक के दौरान जब सदन में दो पूर्व प्रधानमंत्री मौजूद थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में क्यों नहीं आए। इस सवाल का जवाब भाजपा की ओर से आना चाहिए उन्होंने कहा कि इसे दो पूर्व प्रधानमंत्रियों की अनदेखी के साथ ही ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक की उपेक्षा क्यों ना माना जाए। उन्होंने कहा कि सदन में जो बिल पारित कराए गए उनको पेश करने और पारित होने में कितना समय लिया गया । सात और 10 मिनट के अंतर अगर विधेयक को पारित कराया जाता है तो इससे समझा जा सकता है कि सरकार संसदीय परंपरा के निर्वहन के लिए कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि किसी भी विधेयक को संसद की स्थाई समिति को क्यों नहीं पाया जाता है। केंद्र सरकार आखिर किन लोगों के दबाव में ऐसा कर रही है।
उन्होंने केंद्र सरकार के अध्यादेश पर भी सवाल उठाए और कहा कि सरकार क्यों संसद की उपेक्षा और अवहेलना कर अध्यादेशों के दम पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने बीते सालों में एक भी सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया। लोकसभा में डिप्टी स्पीकर बनाने की क्या वजह है। पूरे विपक्ष को महंगाई, किसानों के मुद्दे और पेगासस पर सरकार की ओर से चर्चा नहीं करने दी गई। संसद को चलाने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष की होती है लेकिन सत्ता पक्ष ने जानबूझकर संसद में गतिरोध उत्पन्न होने दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए 1952 से लेकर अब तक संसद की कार्यवाही का अध्ययन करने की आवश्यकता है इससे पता चलेगा कि संसद को चलाने की जिम्मेदारी किस पर है उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार जिस तरह से काम कर रही है। वह संसद को म्यूजियम बनाने पर आमादा है।