Demonetisation: नोटबंदी कब और क्यों हुई, क्या हुआ देश पर इसका असर, जानें सबकुछ
नोटबंदी कब हुई थी: 8 नवंबर 2016 की रात PM मोदी ने अचानक से राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी।
नोटबंदी, विमुद्रीकरण या Demonetization कहिये, इन तीनों शब्दों का मतलब एक ही है। सिर्फ और सिर्फ 'नोटबंदी', जिसकी चर्चा आज भी होती है। हो भी क्यों न...? ये मोदी सरकार का एक ऐसा फैसला था जिससे हर एक भारतीय का सामना हुआ था। आठ नवंबर 2016 को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक से राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी।
नोटबंदी से देश को क्या फायदा हुआ ये बताने से खुद मोदी सरकार भी कतराती है, लेकिन पीएम मोदी की घोषणा के बाद पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। हालांकि प्रधानमंत्री के फैसले के बाद लोगों को अपने पुराने नोट बदलने की इजाजत दी गई थी, जिसके बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लाइने लगनी शुरु हो गई थी। तो आईये आज जानते हैं आखिर क्यों लिया गया था नोटबंदी का फैसला और इससे जुड़े सभी सवाल जी आज भी लोगों के दिमाग उठते हैं, लेकिन जवाब नहीं मिलता.....
नोटबंदी (Demonetization) होता क्या है?
आठ नवंबर, 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रत्याशित रूप से 500 और 1000 रुपये के करेंसी नोट को प्रचलन से बाहर करते हुए उनके लीगल टेंडर यानी वैध मुद्रा नहीं होने की घोषणा की थी। नोटबंदी को ही विमुद्रीकरण कहा जाता है। नोटबंदी या विमुद्रीकरण का अर्थ है किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना जिससे वे किसी भी काम के नही रहते। न ही उनसे कोई लेन देन किया जा सकता है, न ही कुछ खरीदा जा सकता है। उस रात के बाद से 500 और 1000 रुपये के नोट कागज के टुकड़े के बराबर हो गए थे।
क्यों लिया गया था नोटबंदी का फैसला?
देश में Demonetization यानी नोटबंदी लाने के लिए मोदी सरकार ने कई वजहें बताईं। सबसे पहला था कालेधन का खात्मा करना। इसके अलावा सर्कुलेशन में मौजूद नकली नोटों को खत्म करना, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने समेत कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने जैसे कई वजहें गिनाई गई थीं।
क्या हुआ फायदा ?
नोटबंदी से क्या फायदा ये किसी को नहीं पता। हालांकि सरकार का तर्क है कि नोटबंदी के बाद टैक्स कलेक्शन बढ़ा और कालेधन में इस्तेमाल होने वाला पैसा सिस्टम में आ चुका है, लेकिन इससे जुड़े कोई आंकड़े इतने साल बाद भी सामने नहीं आए हैं। हालांकि RBI के आंकड़े कहते हैं कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए 99.30 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट बैंक में वापस आ गए।
देश को लाइन खड़ा कर दिया था नोटबंदी ने
नोटबंदी के फैसले ने पूरे को लाइन में खड़ा कर दिया था। पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। पुराने नोट बदलने की इजाजत और एक तय सीमा की वजह से बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लाइने लगनी शुरु हो गई थी। किसी के घर में शादी थी तो किसी को इलाज के लिए पैसों की जरुरत थी। यहां तक कि नोट बदलने के लिए देर तक लाइन में खड़े होने से कई लोगों की जानें भी चली गयीं।
छोटे उद्योगों को नुकसान
देश में नोटबंदी से हुई परेशानी को लोग अब तक भूले नहीं हैं। नोटबंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव उन उद्योगों पर पड़ा, जो ज्यादातर कैश में लेनदेन करते थे। इसमें ज्यादातर छोटे उद्योग शामिल होते हैं। नोटबंदी के दौरान इन उद्योगों के लिए कैश की किल्लत हो गई, जिससे उनका कारोबार ठप पड़ गया।
नोटबंदी कब हुई थी और कितने बजे
8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने नोटबंदी की घोषणा की थी। उस दिन के बाद से 500 और 1000 के नोट सिर्फ कागज से टुकड़े के बराबर हो गए थे।
नोटबंदी से पहले 500 और 1000 के नोटों की संख्या
जिस समय देश में नोटबंदी को घोषणा हुई थी, उस समय बाजार में करीब 8 लाख करोड़ रुपये की राशि 500 और 1000 रुपये के नोटों के रूप में मौजूद थी।
नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
नोटबंदी के फायदे-नुकसान पर किये गए एक सर्वे में बहुत से लोग देश में आर्थिक सुस्ती की बड़ी वजह नोट बंदी को मानते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद जीडीपी को झटका लगा। नोटबंदी की घोषणा के बाद की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई थी।
पीएम मोदी की नोटबंदी पर स्पीच
8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी से होने वाले फ़ायदों में काले धन से लेकर आतंकवाद पर अंकुश लगाने तक को शामिल किया था। साथ ही उन्होंने कैशलेश इकोनॉमी को बढ़ावा देने की बात कही थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान करते हुए था कि जितना कैश सर्कुलेशन में होगा, उतना ही करप्शन व्यवस्था में होगा। PM मोदी ने कहा था, ' बहनो भाइयो... हमारा यह कदम देश में भ्रष्टाचार, काला धन एवं जाली नोट के खिलाफ हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं, सामान्य नागरिक जो लड़ाई लड़ रहा है, उसको इससे ताकत मिलने वाली है।'
भारत में 3 बार हुई है नोटबंदी
भारत में 2016 से पहले भी दो नोटबंदी हो चुकी थी। पहली बार अंग्रेज सरकार ने 1946 में नोटबंदी की थी। इसके बाद 1978 में भी नोटबंदी की गई थी।
पहली नोटबंदी
पहली बार भारत में सन 1938 में 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोट जारी हुए थे, लेकिन जनवरी 1946 में अंग्रेज सरकार ने डिमॉनेटाइजेशन (demonetization) का फैसला लिया और इन नोटों को अचानक बंद कर दिया।
दूसरी नोटंबंदी
दूसरी बार नोटबंदी वर्ष 1978 में हुई थी। उस समय की मोरारजी देसाई सरकार ने नोटबंदी का फैसला लागू किया था। उस दौरान भी 1000, 5000 और 10,000 रुपये के नोट बंद किए गए थे।
तीसरी नोटबंदी
भारत में तीसरी बार नोटबंदी 8 नवंबर 2016 को हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान 500 और 1000 रुपए का नोट बंद कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे टेलीविजिन पर ऐलान कर दिया की 500 और 1000 रुपये के नोट आज के बाद नहीं चलेंगे।