Pegasus Jasoosi Case: सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगी पेगासस मामले की जांच

Pegasus Jasoosi Case: पेगासस जासूसी मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा ,"बोलने का अधिकार प्रेस के लिए जरूरी है।

Written By :  Neel Mani Lal
Written By :  Rajat Verma
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-10-27 13:55 IST

पेगासस जासूस केस-सुप्रीम कोर्ट (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Pegasus Jasoosi Case: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके अनाधिकृत जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त कर दी है। तकनीकी विशेषज्ञों की यह समिति अदालत की निगरानी में काम करेगी। समिति में तीन तकनीकी विशेषज्ञ होंगे और सेवानिवृत्त जज जस्टिस आरवी रवींद्रन समिति के काम की देखरेख करेंगे। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली एक पीठ ने दिया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस हीमा कोहली शामिल थे। जांच समिति जासूसी के सभी आरोपों का अध्ययन करेगी और अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर आठ सप्ताह बाद फिर से सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 12 याचिकाओं पर हो रही है जिन्हें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पत्रकार एन राम, शशि कुमार और परंजॉय गुहा ठाकुरता, तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिंह और एडीआर संस्था के सह-संस्थापक जगदीप छोकर जैसे लोगों ने दायर किया था।

पूरी जानकारी के लिए क्लिक करें लिंक पर -

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि-"हमारा मुख्य प्रयास राजनीतिक बयानबाज़ी से दूरी बनाए रखते हुए संवैधानिक आकांक्षाओं और कानून के शासन को बनाए रखना है, जिसके अन्तर्गत सभी नागरिक एक समान हैं। देश की सर्वोच्च अदालत हमेशा राजनीतिक घेरे में न आने के प्रति सचेत रही है लेकिन इसी के साथ ही यह सभी नागरिकों को उनका मौलिक अधिकार दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहती है।"

शीर्ष अदालत द्वारा नामित पूर्व न्यायाधीश आरवी रवीन्द्रन की अध्यक्षता वाली कमेटी में तकनीकी समिति के सदस्य निम्न हैं-

1. डॉ. नवीन कुमार चौधरी

प्रोफेसर (साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक) और डीन, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात

2. डॉ. प्रभारन पी

प्रोफेसर (इंजीनियरिंग स्कूल), अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरी, केरल

3. डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते

इंस्टीट्यूट चेयर एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे, महाराष्ट्र

पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन कमेटी की अध्यक्षता में तकनीकी समिति के काम की निगरानी करेंगे तथा पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी आलोक जोशी और डॉ संदीप ओबेरॉय पूर्व न्यायाधीश आरवी रवीन्द्रन के सहायक के तौर पर कमेटी के सदस्य के रूप में उपलब्ध रहेंगे।

पेगासस जासूस केस क्या है (Pegasus Jasoosi Case Kya Hai)

पेगासस एक इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर है। नवंबर 2019 में खुलासा हुआ था कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से व्हाट्सऐप के जरिए भारत में कम से कम 24 नागरिकों की जासूसी की गई। इसके बाद फिर जुलाई 2021 में एक ग्लोबल मीडिया पड़ताल में सामने आया कि पेगासस के जरिए भारत में 300 से ज्यादा मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई। ये पड़ताल 'फोर्बिडन स्टोरीज' संस्था की टीम ने की थी और मामले को उजागर किया गया। बताया गया था कि दो केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के तीन नेता, एक संवैधानिक अधिकारी, कई पत्रकार और कई व्यापारी जासूसी की जद में शामिल थे।

इजरायली कम्पनी

पेगासस की मालिक इजरायली कंपनी एनएसओ यह मानती है कि यह एक स्पाईवेयर यानी जासूसी का सॉफ्टवेयर है और इसका इस्तेमाल फोनों को हैक करने के लिए किया जाता है। लेकिन कंपनी ने यह भी बताया कि वो इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारों और सरकारी एजेंसियों को ही बेचती है। भारत सरकार पर भी इसका इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं लेकिन सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है। कई अलग अलग केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों ने कहा है कि उन्होंने कभी इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन सरकार ने अभी तक यह खुल कर नहीं कहा है कि किसी भी केंद्रीय मंत्रालय या विभाग ने इसका इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन जांच समिति बनाने के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को नकार दिया है और कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं का हवाला देकर सरकार को हर बार खुली छूट नहीं दी जा सकती।

अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त समय मिला लेकिन उसे सिर्फ सीमित स्पष्टीकरण दिया। इसलिए अब अदालत के पास याचिकाकर्ताओं की अपील मान लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। अपने आदेश में पीठ ने निजता के अधिकार के महत्व को भी बताया है।

Tags:    

Similar News