PM Modi-J&K Leaders Meet: जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ PM मोदी की बैठक, जानिए क्या रहा खास? प्वाइंट में समझें

PM Modi-J&K Leaders Meet: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के करीब दो साल बाद आज पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के आठ राजनीतिक दलों के 14 नेताओं के साथ बैठक की।

Newstrack :  Network
Published By :  Ashiki
Update:2021-06-24 16:49 IST

जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ PM मोदी की बैठक (Photo-Social Media)

PM Modi-J&K Leaders Meet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जम्मू-कश्मीर को लेकर आज अहम बैठक हुई है। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के करीब दो साल बाद आज पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के आठ राजनीतिक दलों के 14 नेताओं के साथ बैठक की। राजधानी दिल्ली में PM आवास पर पीएम मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, रविन्द्र रैना, कवींद्र गुप्ता, निर्मल सिंह, सज्जाद लोन, भीम सिंह समेत अन्य कई नेता शामिल हुए।   

इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, NSA अजीत डोभाल, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा केंद्र के अन्य कई अफसर भी मौजूद रहे। मीटिंग में पहुंचे नेताओं का पीएम मोदी ने स्वागत किया।

प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई बैठक के एजेंडे को लेकर अटकलों का दौर नहीं थम रहा है। खबरों के मुताबिक, इस बैठक में केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पर होने की बात कही जा रही है। 

''केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा लोगों को पसंद नहीं''

बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को जो कुछ भी हुआ, उसे हम मानने के लिए तैयार नहीं हैं, हालांकि हम कानून नहीं तोड़ेंगे। इसे हम कानूनी तरीके से लड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री को समझाने का प्रयास किया है कि राज्य और केंद्र के बीच विश्वास हिल गया है। केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा लोगों को पसंद नहीं है। वह चाहते हैं कि पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होय़ जेके कैडर को बहाल करना चाहिए। परिसीमन ने बहुत सारे संदेह को जन्म दिया है, इसलिए फिर से देखने की आवश्यकता है।

कांग्रेस ने की ये मांग

बैठक में कांग्रेस ने मांग की कि जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए। इसके साथ कांग्रेस ने राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की भी मांग की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करने की कोशिश की जाए। 5 अगस्त, 2019 के आसपास गिरफ्तार किए गए सभी सामाजिक और राजनीतिक बंदियों को रिहा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कांग्रेस ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में भूमि अधिकारों और नौकरियों पर गारंटी सुरक्षा प्रदान करने की मांग की।

''गैरकानूनी तरीके से 370 हटाया''

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर अनुच्छेद 370 का मामला उठाया। पूर्व सीएम ने कहा कि सरकार ने गैरकानूनी तरीके से 370 हटाया था। उन्होंने कहा कि सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए है। उनका मामना है कि पाकिस्तान से जब बातचीत होती है, तो कश्मीरियों को भी सुकून मिलता है।

जम्मू कश्मीर की मौजूदा संवैधानिक स्थिति और भविष्य को आसानी से इन बिंदुओं में समझा जा सकता है.....

- जम्मू कश्मीर के भारत गणराज्य में विलय की प्रक्रिया, विलय पत्र और विशेष दर्जे को खत्म करने की प्रक्रिया पर उठाए गए सवाल अभी भी जवाब के इंतजार में हैं। मामला कोर्ट में लंबित है।

- केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कश्मीर के नेताओं के साथ राज्य के भविष्य और हालात पर बात होगी और सुधार के उपाय तेज होंगे। लेकिन जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35a को फिर से बहाल करने का कोई सवाल नहीं।  

- पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात करें तो उसके लिए विधान सभा बहाल करनी पहली शर्त होगी। केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि इसके लिए प्रक्रिया चालू है, लेकिन इसके पूरा होने में दो से तीन साल लग सकते हैं। 

- वहीं विधानसभा बहाल करने के लिए चुनाव जरूरी है। चुनाव कराने के लिए राज्य विधान सभा के हलकों का नए सिरे से परिसीमन कराना होगा। परिसीमन आयोग इस बाबत काफी आगे बढ़ गया है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के सभी बीस जिलों के अधिकारियों को पूरे हलके के आंकड़े और जानकारियां विस्तार से तलब की गई हैं।  

- सूत्रों के मुताबिक आयोग के परिसीमन मसौदे को जनता के सुझाव और आपत्तियों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। फिर उन सुझाव, आपत्तियों और जनता की समस्याओं या शिकायतों को ध्यान में रखते हुए उसे अंतिम रूप दिया जाएगा। फिर विधान सभा क्षेत्रवार मतदाता सूची अपडेट की जाएगी। दिवंगत मतदाताओं के नाम हटाना से लेकर नए मतदाताओं के नाम जोड़ने और फाइनल वोटर लिस्ट की पूरी प्रक्रिया में अभी डेढ़ से दो साल और लगने का अनुमान है। 

- परिसीमन और मतदाता सूची के अपडेट के बाद विधान सभा चुनाव का आयोजन भी एक चुनौती होगा। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव और फिर जिला विकास परिषदों के चुनाव से सुधरते हालात का अंदाजा लग रहा है।  

- 5 अगस्त 2019 को संसद में जम्मू कश्मीर के प्रशासनिक इंतजाम में बदलाव का प्रस्ताव पारित होते ही राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया था। दोहरी नागरिकता का प्रावधान ख़त्म हुआ। उस दिन के बाद से जम्मू कश्मीर भी देश के अन्य राज्यों की तरह सामान्य राज्य हो गया।  

- अब पूरे देश के लिए संसद जो भी कानून बनाती है वो कश्मीर में भी समान रूप से लागू होते हैं। पहले ऐसा नहीं था। पहले कोई भी कानून जम्मू कश्मीर में लागू होगा या नहीं ये फैसला वहां की विधानसभा तय करती थी, जिसमें घाटी के नेताओं का बहुमत होता था और वो अपने हिसाब से राज्य के अवाम का मुस्तकबिल यानी भविष्य तय करते थे।

- पूरे देश की तरह अब जम्मू कश्मीर में भी भारतीय दण्ड संहिता यानी आईपीसी लागू हो गई है। पहले ऐसा नहीं था। शिक्षा और सूचना का अधिकार भी अवाम को मिला। सफाई कर्मचारी एक्ट 1950 लागू होने के बाद अब राज्य में पीढ़ियों से रह रहे अनुसूचित जातियों के सफाई कर्मचारियों को नागरिकता और नागरिक अधिकार मिल गए हैं।  

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