NHRC अध्यक्ष जस्टिस मिश्रा के बयान पर विवाद, अमित शाह की तारीफ पर प्रशांत भूषण ने घेरा,बताया शर्मनाक
Rashtriya Manavadhikar Aayog : NHRC के जस्टिस मिश्रा ने अमित शाह की ओर से किए जा रहे कामों की तारीफ की थी। जिसको वकील प्रशांत भूषण ने शर्मनाक बताया है।
Rashtriya Manavadhikar Aayog : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) की तारीफ किए जाने पर विवाद पैदा हो गया है। एनएचआरसी (NHRC) के कार्यक्रम के दौरान जस्टिस मिश्रा ने गृह मंत्री के रूप में अमित शाह की ओर से किए जा रहे कामों की तारीफ की थी। देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan tweet) ने जस्टिस मिश्रा के बयान की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस मिश्रा पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की तारीफ कर चुके हैं। अब उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की है, जो नई गिरावट का संकेत है। प्रशांत भूषण ने कहा कि जस्टिस मिश्रा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद पर बैठे हुए हैं। उनसे देश में मानवाधिकारों की रक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
मोदी और शाह ने लिया था हिस्सा
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के 28वें स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लेते हुए जस्टिस मिश्रा ने गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की थी। इस समारोह में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर देश की छवि को बिगाड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सियासी नफा-नुकसान के तराजू से मानवाधिकारों को तौलना लोकतंत्र के लिए काफी नुकसानदेह है। समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिस्सा लिया था। उनका कहना था कि पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार समाज के पिछड़े, गरीब और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए काम करने में जुटी हुई है।
कार्यक्रम में शाह की जमकर तारीफ
इसी कार्यक्रम के दौरान जस्टिस मिश्रा ने अमित शाह की तारीफ की थी। उनका कहना था कि अमित शाह की ओर से किए गए प्रयासों के कारण ही जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व के इलाकों में शांति का नया अध्याय लिखा गया है। उन्होंने यहां तक कहा था कि गृह मंत्री शाह का स्वागत करते हुए वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि देश में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बेहतर तरीके से काम किया जा रहा है। आयोग की ओर से कई ऐसी योजनाओं को लागू किया गया जो लोगों के कल्याण से जुड़ी हुई हैं। उनका यह भी कहना था कि देश का लोकतांत्रिक ढांचा विवादों को शांतिपूर्ण और कानूनी तरीके से हल करने में मददगार साबित होता है।
पीएम मोदी की भी कर चुके हैं प्रशंसा
गृह मंत्री अमित शाह से पहले जस्टिस मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सार्वजनिक रूप से खुलकर प्रशंसा कर चुके हैं। इसी साल 22 फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पीएम मोदी की खुलकर प्रशंसा की थी। उनका कहना था कि सशक्त नेतृत्व के कारण पीएम मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा हासिल हुई है। उन्होंने पीएम मोदी को दूरदर्शी व्यक्ति बताते हुए कहा था कि उनके नेतृत्व में भारत की दुनिया में छवि बनी है । अब भारत की पहचान जिम्मेदार और दोस्ताना रुख रखने वाले देश के रूप में बनी है। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को लोकतंत्र की रीढ़ बताया था। जस्टिस मिश्रा के मुताबिक न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के तालमेल से ही लोकतंत्र को कामयाबी मिलती है।
जस्टिस मिश्रा की ओर से पीएम मोदी की तारीफ किए जाने के बाद भी खासा विवाद पैदा हुआ था। सियासी हलकों में उनके बयान को लेकर काफी चर्चाएं हुई थीं। यह भी मांग उठी थी कि जस्टिस मिश्रा को सरकार के खिलाफ अपनी अदालत में चल रहे मामलों से खुद को अलग कर लेना चाहिए।
मानवाधिकारों की रक्षा की उम्मीद कैसे
अब जस्टिस मिश्रा की ओर से अमित शाह की तारीफ किए जाने पर भी खासा विवाद पैदा हो गया है। प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस मिश्रा के बर्ताव को शर्मनाक बताया है। उनका कहना है कि जस्टिस मिश्रा से इस बात की कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह देश के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा में कामयाब होंगे। सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद मोदी सरकार की ओर से जस्टिस मिश्रा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के पैनल की ओर से जस्टिस मिश्रा के नाम की सिफारिश की गई थी।
हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती रही हैं। उन्होंने चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर आयोग के रवैये पर आपत्ति जताई थी।