Russia Ukraine Crisis: भारत के लिए अमेरिका और रूस में से एक को चुनने की चुनौती

Russia Ukraine Crisis: रूस कि यूक्रेन, इनमें से किसी को चुनना निश्चित रूप से भारत के सामने इस समय एक कठिन कार्य है। भारत जिस भी पाले में जाएगा, वह किसी न किसी को नाराज ही करेगा। अभी तक तो भारत ने बहुत नरम बयान दिए हैं और शांति की अपील करते हुए सभी देशों के हितों के सम्मान का आह्वान किया है।;

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-02-25 23:43 IST

 भारत के लिए अमेरिका और रूस में से एक को चुनने की चुनौती। (Social Media) 

Russia Ukraine Crisis: रूस कि यूक्रेन, इनमें से किसी को चुनना निश्चित रूप से भारत के सामने इस समय एक कठिन कार्य है। भारत जिस भी पाले में जाएगा, वह किसी न किसी को नाराज ही करेगा। अभी तक तो भारत ने बहुत नरम बयान दिए हैं और शांति की अपील करते हुए सभी देशों के हितों के सम्मान का आह्वान किया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि सिर्फ इतने से काम नहीं चलने वाला है।

भारत के दोनों पक्षों के साथ अच्छे संबंध

भारत के दोनों पक्षों के साथ अच्छे संबंध हैं। खासकर रूस से तो ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। रूस की विदेश नीति काफी हद तक एक पश्चिम विरोधी धारणा पर आधारित है। चीन के साथ इसकी निकटता उल्लेखनीय है और काफी आगे बढ़ी है। व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की हालिया चीन (China) यात्रा यह साबित करती है। भारत को अमेरिका (America) और रूस (Russia) के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। भारत दोनों पक्षों में से किसी के साथ अपने संबंधों को खतरे में नहीं डालने वाला है और भारत जमीनी हकीकत को नहीं बदलेगा।

अब, भारत एक कठिन मुकाम पर है और यह स्थिति राजनयिक दुविधा के कारण है। सबसे पहले, पश्चिमी जगत इसे ने रूस के कार्यों को नजरअंदाज करने और डबल स्टैण्डर्ड अपनाने के रूप में देख रहा है क्योंकि भारत जब चीन की बात करता है तो "क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता" का मुद्दा उठाता है। दूसरा, यह भारत की राजनयिक दुविधा है। ये रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों और सैन्य आपूर्ति के लिए रूस पर इसकी निर्भरता की वजह से है। भारत के पास सैन्य उपकरणों 9का 60 से 70 प्रतिशत रूसी मूल का है। भारत और चीन के बीच तनातनी के इस दौर में यह महत्वपूर्ण मुद्दा है।

भारत ने रूस द्वारा डोनेट्स्क और लुहान्स्क के दो अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने की घोषणा की निंदा भी नहीं की है। भारत इस विषय में अपने आप को तटस्थ दिखाना चाहता है लेकिन अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी ब्लॉक इसे उस नजरिये से नहीं देखता है। भारत बीच का रास्ता अख्तियार किये हुए है। लेकिन अब रूस ने साफ कहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र में रूस के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। ऐसे में अब क्या रुख भारत अपनाता है ये देखने वाली बात है।

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