नारायण राणे के जरिये शिव सेना को काउंटर करने की कवायद !
शिव सेना, कांग्रेस और अब भाजपा। बीच में खुद की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष - ये है नारायण राणे का सफर।
नई दिल्ली। शिव सेना, कांग्रेस और अब भाजपा। बीच में खुद की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष - ये है नारायण राणे का सफर। भाजपा में 70 पार के नेताओं को एक्टिव रोल से रिटायर करने की बात होती है। और अब 69 वर्ष की उम्र में नारायण राणे केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किये गए हैं। राणे को इस पड़ाव में लाना भाजपा की बड़ी प्लानिंग कहा जा सकता है क्योंकि इसके जरिए भाजपा ने शिवसेना की काट निकाली है।
बाल ठाकरे के खास सिपहसालार
नारायण राणे मूलतः शिवसैनिक ही रहे हैं और एक समय वे बालासाहब ठाकरे के खासमखास थे। वे कोंकण क्षेत्र के हैं और ये क्षेत्र शिवसेना का गढ़ माना जाता है। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गठबंधन की पहली सरकार में मनोहर जोशी के बाद राणे मुख्यमंत्री बने लेकिन सिर्फ छह माह के लिए कुर्सी संभाल सके। उसके बाद उनको दुबारा मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला।
बाला साहेब ठाकरे के बाद शिवसेना में राणे की उद्धव ठाकरे से पटरी भी नहीं खाई, और जब रिश्ते काफी खराब हो गए तो वे शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस में उन्होंने राजस्व मंत्री का कार्यभार संभाला था। उनको लगा था कि उन्हें जल्दी ही मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बाद में जब कांग्रेस का जनाधार गिरने लगा तो उन्होंने भाजपा से दोस्ती कर ली। बीस महीने पहले राणे बाकायदा भाजपा में शामिल भी हो गए। उनके दोनों बेटे, नीलेश और नितेश भी भाजपा में हैं।
कुछ दिन पहले नारायण राणे के निमंत्रण पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कोंकण का दौरा किया था। शाह के दौरे के बाद से ही भाजपा में नारायण राणे के बढ़ते कद की चर्चा शुरू हो गई थी। फिलहाल शिवसेना, भाजपा के निशाने पर है। ऐसे में राणे को और भी मजबूत कर शिवसेना को और भी ज्यादा टारगेट किया जाएगा। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर भी नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाड़ी पर भी निशाना साधा था। राणे के साथ भाजपा ने महाराष्ट्र में अपनी नई राजनीतिक चौसर बिछा दी है। देखने वाला होगा कि इस खेल में अब शिवसेना क्या चाल चलती है। खेल का सबसे नजदीकी इम्तिहान बीएमसी का चुनाव होगा।