सुप्रीम कोर्ट ने शरद यादव को दी 31 मई की डेडलाइन, खाली करना होगा सरकारी बंगला
Sharad Yadav Govt Bungalow: शरद यादव को चार साल पहले ही राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा चुका है मगर अभी तक वे दिल्ली में सरकारी बंगले पर काबिज हैं।
Sharad Yadav Govt Bungalow: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) को सरकारी बंगला खाली करने के लिए 31 मई तक का समय दिया है। शीर्ष अदालत ने मानवीय आधार पर शरद यादव को संसद सदस्य के रूप में आवंटित बंगला खाली करने के लिए यह समय सीमा दी है। शरद यादव को चार साल पहले ही राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा चुका है मगर अभी तक वे दिल्ली में सरकारी बंगले पर काबिज हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आज शरद यादव को एक हलफनामा दाखिल करके यह बताने का भी निर्देश दिया है कि वह कब तक सरकारी बंगला खाली कर देंगे। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल न करने पर शरद यादव को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के आदेश के मुताबिक तत्काल बंगला खाली करना होगा।
एक सप्ताह में दाखिल करना होगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से शरद यादव को थोड़ी राहत मिलती दिख रही है क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने गत 15 मार्च को शरद यादव को 15 दिनों के भीतर दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की दो सदस्यीय बेंच ने कहा था कि अयोग्य घोषित होने के चार साल बाद भी सरकारी बंगले में रहने का कोई औचित्य नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की एक याचिका पर यह फैसला सुनाया था।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस से डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि मानवीय आधार पर शरद यादव को 31 मई तक का समय दिया जाता है। इसके साथ तह शर्त जुड़ी होगी कि उन्हें 31 मई या इससे पूर्व बंगले को खाली करना होगा। उन्हें एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर बंगला खाली करने की तारीख भी बतानी होगी नहीं तो दिल्ली हाईकोर्ट का तत्काल बंगला खाली करने का आदेश लागू माना जाएगा। अदालत के इस आदेश से साफ हो गया है कि शरद यादव अब सरकारी बंगले को लंबे समय तक अपने कब्जे में नहीं रख पाएंगे।
एनडीए के संयोजक रह चुके हैं शरद यादव
शरद यादव ने पिछले दिनों अपने लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया था। इस मौके पर दिल्ली में एक सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था जिसे शरद यादव के अलावा बिहार राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी संबोधित किया था। शरद यादव पहले एनडीए में शामिल थे और उन्हें 2008 में एनडीए का कार्यकारी संयोजक भी बनाया गया था। बाद में उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो गई थी और उन्होंने संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया था। शरद यादव के सियासी दुर्दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद शुरू हुए हैं और इसी कारण उनकी संसद सदस्यता पर भी ग्रहण लग गया।
2017 में अयोग्य घोषित हुए
शरद यादव जदयू उम्मीदवार के रूप में 2017 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे और उनका कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त होने वाला था। जदयू नेता आरपी सिंह ने शरद यादव और उनके सहयोगी अली अनवर को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। उनका कहना था कि पार्टी नेतृत्व के निर्देश की अनदेखी करते हुए शरद यादव ने पटना में आयोजित विपक्षी दलों की रैली में हिस्सा लिया था।
बाद में शरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। शरद यादव ने खुद को अयोग्य घोषित किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी और उसे कई आधारों पर चुनौती दी थी। अयोग्य घोषित किए जाने के बावजूद वे सरकारी बंगले पर काबिज थे। उनके बंगले को लेकर लंबे समय से मुकदमेबाजी चल रही है और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साफ हो गया है कि उन्हें अब सरकारी बंगला खाली करना ही होगा।
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