किसान आंदोलन से सड़कों की समस्या को लेकर SC ने दिए निर्देश, केंद्र सरकार ढूंढ़ें समाधान
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के चलते आवाजाही के लिए बंद की गई सड़कों के चलते लोगों को काफी समय से समस्या हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से इस समस्या का हल ढूंढने के लिए कहा है।
किसान आंदोलन की वजह से नोएडा-दिल्ली के बीच सड़क पर लगाए गए बैरियर को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि सड़क किसी भी सूरत में ब्लॉक नहीं होनी चाहिए।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि हम इस बात से चिंतित नहीं हैं कि आप विरोध प्रदर्शनों से कैसे निपटें, लेकिन सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए।
SC ने हरियाणा और UP सरकार को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिरी लंबे समय से आंदोलन के कारण सड़कें क्यों बंद है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकार को पहले नोटिस जारी किया था और कहा था कि अन्य राज्यों को मामले में पक्षकार होना चाहिए। मामले पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।
नोएडा की युवती ने उठाया सवाल
दरअसल, नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि दिल्ली-नोएडा में लगे बैरिकेड के कारण उसे दिल्ली जाने में 20 मिनट के बजाए दो घंटे का सफर तय करना पड़ता है। याचिकाकर्ता ने ये भी किया है कि वो नोएडा में रहती हैं और उन्हें अपनी मार्केटिंग की नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आना- जाना पड़ता है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट पहले भी सड़कों को बाधित ना किए जाने को लेकर कई दिशा-निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन अभी भी प्रशासन बैरिकेड नहीं हटाए है।
शुक्रवार को याचिका की सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए. याचिका में नोएडा-दिल्ली के बीच बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सड़क खाली कराने का दिशा-निर्देश देने की मांग की थी। याचिका पर कोर्ट ने कहा कि सड़कों पर यातायात मुक्त होना चाहिए।
SC ने ने शाहीन बाग में सड़क जाम को लेकर दिए थे सख्त निर्देश
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में सड़क जाम को लेकर सख्त निर्देश दिए थे। शाहीन बाग में CAA विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़क रोके जाने को सुप्रीम कोर्ट ने गलत कहा था। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए थी, जो उसने नहीं की। कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी।