Supreme Court: किराए पर ली गाड़ी तो बीमा भी ट्रांसफर, हादसे पर इंश्योरेंस कंपनी को देना होगा मुआवजा- SC

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी वाहन मालिक से कोई व्यक्ति एग्रीमेंट के तहत किराए पर गाड़ी लेता है, तो गाड़ी के साथ-साथ उसका बीमा भी ट्रांसफर माना जाएगा।

Newstrack :  Network
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-07-22 05:44 GMT

सुप्रीम कोर्ट (फोटो - सोशल मीडिया)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले को बदलते हुए कहा है कि यदि किसी वाहन मालिक से कोई व्यक्ति एग्रीमेंट के तहत किराए पर गाड़ी लेता है, तो गाड़ी के साथ-साथ उसका बीमा भी ट्रांसफर (Insurance Transfer)  माना जाएगा। किराये के समझौते (Hire Agreement) के दौरान यदि वाहन चालक किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उसके परिजनों को मुआवजा देने की पूर्ण जिम्मेदारी बीमा कंपनी (Insurance Company) की होगी, इस जिम्मेदारी से वह मुंह मोड़ नहीं सकती। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक बस एक्‍सीडेंट से जुड़े मामले के दौरान सुनाया है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh Road Transport Corporation) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें कोर्ट ने बीमा कवरेज करने वाली कंपनी निर्देश देते हुए कहा है कि, "कंपनी मृतक के परिजनों को मुआवजे के तौर पर एक लाख 82 हजार रुपये का भुगतान करे। इसके साथ ही कंपनी क्लेम की तारीख से भुगतान की तारीख तक 6% ब्याज भुगतान करे।"

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि, "यदि मोटर वाहन को परिवहन निगम द्वारा एक समझौते के तहत किराए पर लिया जाता है, तो बीमा कवरेज को भी वाहन के साथ ट्रांसफर के रूप में माना जाएगा।" बता दें कि कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने एक बस एक्‍सीडेंट से जुड़े मामले को लेकर फैसला सुनाया था कि, "बीमा कंपनी तीसरे पक्ष को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगी क्योंकि वाहन परिवहन निगम द्वारा संचालित किया जा रहा था।"

ये है पूरा मामला

आपको बता दें कि एक बस के मालिक ने उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम के साथ एग्रीमेंट साइन किया था, जिसके तहत उसने बस को किराए पर लिया था। परिवहन निगम को निर्धारित परमिट रूट पर बस चलानी थी। बस मालिक के पास उस समय के लिए वाहन का बीमा कवरेज था जिस समय के लिए एग्रीमेंट साइन हुआ था। इसी बीच 25 अगस्त 1998 को बस एक हादसे की शिकार हो गई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने बहराइच के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal) में एक याचिका दायर की और मुआवजे की मांग कीं।

इस मामले में परिवहन निगम की ओर से कहा गया, "बस मालिक के साथ उसका किराये के लिए एक समझौता हुआ था। उसी के समझौते के आधार पर बस चलाई जा रही थी। बस मालिक ने बीमा कराया था।" इस पर मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने बीमा कंपनी से कहा था, "कंपनी मृतक के परिजनों को मुआवजे के रूप में 1 लाख 82 हजार रुपये और छह प्रतिशत ब्याज अदा करे।"

इस मामले को लेकर बीमा कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, "बीमा कंपनी मुआवजे के भुगतान के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि बस का संचालन यूपी सड़क परिवहन निगम द्वारा किया जा रहा था।" हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी सड़क परिवहन निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसके बाद सुप्री कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।

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