UP Election 2022: जाट नेताओं के साथ हुई बैठक में बोले अमित शाह, मैं आप से जब भी मिला हूं आप ने मेरी झोली भर दी है

UP Election 2022: गृह मंत्री अमित शाह आज वेस्ट यूपी और हरियाणा के जाट नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। मतदान से पहले शाह की जाट बिरादरी के नेताओं से मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-01-26 17:18 IST

जाट नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह की बैठक। 

UP Election 2022: वेस्ट यूपी में प्रभावशावी माने जाने वाले जाट मतदाताओं की बीजेपी से नाराजगी दूर करने की कमान स्वयं गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने अपने हाथों में ले ली है। इसी को लेकर शाह आज से वेस्ट यूपी के प्रभावी जाट नेताओं से मिले। सूत्रों के अनुसार बैठक में गृहमंत्री (Home Minister Amit Shah) ने जाट नेताओं से कहा, मैं आप से जब भी मिला हूं आप ने मेरी झोली भर दी है। 2014 और 2019 में आपने देश में सरकार बनवाई। उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी अपने सबाब पर है। सियासतदां विभिन्न जातीय समूहों के नेताओं को अपने पक्ष में लामबंद करने में जुटे हुए हैं। बीजेपी, सपा समेत राज्य के अन्य सभी विपक्षी दल इन कवायदों में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) आज वेस्ट यूपी (West UP) में जाट नेताओं से मुलाकात की है। 

गृहमंत्री शाह ने यूपी से अपने जुड़ाव को जाहिर करते हुए कहा कि उनकी राष्ट्रीय राजनीति भी उत्तर प्रदेश से ही शुरू हुई है। बीजेपी को जाटों का भरोसेमंद बताते हुए उन्होंने कहा कि आप ही के बदौलत दिल्ली और यूपी में कमल खिला है। जाट समाज हमेशा से बीजेपी के साथ रहा है। शाह ने किसानों की नाराजगी को भांपते हुए कहा कि भाजपा किसानों की सुनती है। कांग्रेस शासनकाल में चीनी मिलें या तो बंद हो गईं थीं या बंद होने के कगार पर थी। बीजेपी सरकार आने के बाद इन मिलों को चालू करवाया गया औऱ किसानों को समय पर गन्नों की बढ़ी हुई कीमतों पर भूगतान किया गया।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एकबार फिर हिंदूत्व का कार्ड चलते हुए जाट समूदाय को दंगों की याद दिलाते हुए कहा कि योगीराज में प्रदेश में कभी दंगे नहीं हुए। साथ ही इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि मुगलों से लड़ाई में हमारी साझी विरासत है। वहीं वेस्ट यूपी में जाटों के सबसे बड़े नेता चौधरी चरण सिंह के विरासत के वारिस जयंत चौधरी को लेकर नरम रूख अख्तियार करते हुए कहा कि हम उन्हें अपने साथ रखना चाहते थे। लेकिन उन्होंने गलत रास्ता चुन लिया। इसी के साथ उन्होंने जाट समुदाय को ये भरोसा दिलाने की कोशिश की कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भी जयंत का सियासी भविष्य खराब नहीं होने दिया जाएगा। 

10 फरवरी को वेस्ट यूपी (West UP) के उन अधिकांश सीटों पर मतदान होना है जहां जाट वोट एक मजबूत फैक्टर है। पहले किसान आंदोलन (Kisan Andolan) और फिर सपा (SP) - रालोद (RLD) के गठबंधन ने बीते तीन चुनावों से चले आ रहे बीजेपी के मजबूत सामाजिक समीकरण को दरका दिया है। जाट वोटों में भाजपा के खिलाफ व्यापत नाराजगी की धार को अमित शाह (Home Minister Amit Shah) खूद कूंद करने अखाड़े में कूद पड़े हैं। वेस्ट यूपी (West UP) के प्रभारी शाह ने बीते दिनों कैराना सीट से चुनाव प्रचार की शुरूआत कर बीजेपी के पुराने वोटों को रिवाइवव करने की कोशिश शुरू कर दी है।

दरअसल 2017 में विधानसभा चुनाव (2017 assembly Election) से पहले तब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह ने वेस्ट यूपी (West UP) के कई जाट नेताओं से मुलाकात कर बीजेपी की राह आसान कर दी। इस बैठक का नतीजा ये रहा कि पार्टी 143 में से 108 सीटें जीतने में सफल रहीं। वहीं लोकसभा चुनाव में भी जाट वोटों के बल पर पार्टी वेस्ट यूपी के 29 मे से 21 सीटें जीत पाईं।

सपा - रालोद गठबंधन

गौरतलब है कि अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) ने जाट बिरादरी में प्रभाव रखने वाले रालोद (RLD) के साथ गठबंधन कर वेस्ट यूपी (West UP) में जाट मुस्लिम समीकरण का एक मजबूत समीकरण खड़ा कर दिया है। बगैर जाट वोट के बीजेपी के लिए अपना पिछला प्रदर्शन दोहराना मुश्किल है। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के कारण उपजी नाराजगी का सबब ये है कि भाजपा नेताओं को अब भी काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि हिंदूत्व के बहाने एकबार फिर बीजेपी जाट को अपने छाते के नीचे लामबंद करनी की कवायद कर रही है। गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने इसकी बागडोर स्वयं अपने हाथों में ले ली है।

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