Vaccine: वैक्सीन की किल्लत की जिम्मेदार केंद्र सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट ने किया बड़ा खुलासा

Vaccine: देश में वैक्सीनेशन शुरू होने पर अलग अलग कैटेगरी के लोगों को चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन लगाई जा रही थी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update: 2021-05-22 05:56 GMT

वैक्सीन स्टॅाक खत्म होने पर अस्पताल के बाहर खड़े लोग (Photo Social Media)

Vaccine: कोरोना त्रासदी (Coronavirus Crisis) से लोगों को बचाने के लिए व्यापक वैक्सीनेशन की तत्काल जरूरत है लेकिन देश में पर्याप्त वैक्सीनें (Covid-19 Vaccine Shortage) हैं ही नहीं। देश में वैक्सीन की किल्लत की पूरी जिम्मेदारी अब केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ दी गई है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India)  ने साफ कह दिया है कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टॉक (Vaccine Stock) के बारे में जाने बगैर और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन पर विचार किए बिना 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के टीकाकरण को इजाजत दे दी, जिसकी वजह से ऐसे हालात बन गए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड वैक्सीन बनाता है।

दरअसल, देश में वैक्सीनेशन शुरू होने पर अलग अलग कैटेगरी के लोगों को चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन लगाई जा रही थी। इसमें आयुवर्ग के हिसाब से पहले 60 वर्ष के ऊपर के लोगों फिर बाद में 45 के ऊपर वालों को शामिल किया गया। लेकिन जब अप्रैल में अचानक कोरोना की दूसरी लहर का रौद्र रूप सामने आया तो उस अफरातफरी के बीच अचानक वैक्सीनेशन 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए खोल दिया गया। 60 वर्ष से ऊपर के लोग तो जोखिम आयुवर्ग में बताए गए थे लेकिन 45 और फिर 18 वर्ष से ऊपर वालों के लिए किस आधार पर वैक्सीनेशन खोला गया, ये बताया नहीं गया।

SII के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव का बयान

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने एक स्वास्थ्य संबंधी वर्चुअल समिट में कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टॉक के बारे पता नहीं किया। यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन पर भी ध्यान नहीं दिया। और सबके लिए टीकाकरण को इजाजत दे दी। डब्लूएचओ की गाइडलाइन है कि सबसे पहले ज्यादा जोखिम वाले लोगों को कोरोना का टीका लगाया जाना चाहिए। इसमें 60 वर्ष से ऊपर के लोग, किन्हीं बीमारियों से ग्रसित लोग आदि शामिल हैं। सुरेश जाधव ने कहा कि देश को डब्लूएचओ के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और इसी के अनुसार टीकाकरण किया जाना चाहिए।

जाधव ने कहा कि शुरुआत में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाना था, जिसके लिए 60 करोड़ खुराक की जरूरत थी, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही केंद्र सरकार ने 45 साल और फिर 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने की इजाजत यह जानते हुए दे दी कि इतनी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

वैक्सीन की कमी पर बहुत बड़ा सबक

जाधव ने कहा कि 'हमने सबसे बड़ा सबक सीखा है कि उत्पाद की उपलब्धता को ध्यान में रखना चाहिए और फिर उसका विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।' सुरेश जाधव ने यह भी कहा कि टीका लगने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं, इसलिए सबको बहुत सावधान रहना चाहिए और कोरोना से बचाव नियमों का पालन करना चाहिए। नए वैरिएंट के डबल म्यूटेंट को न्यूट्रलाइज कर दिया गया है फिर भी अन्य वैरिएंट वैक्सीनेशन में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। जाधव के अनुसार, यह कहना जल्दबाजी होगा कि कौन सा टीका असरदार प्रभावकारी है और कौन सा नहीं। अभी इस पर पर्याप्त डेटा का अध्ययन किया जाना होगा।
सीरम का बयान ऐसे वक्त में आया है जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन कह चुके हैं कि देश में सभी व्यस्कों को इस साल के अंत तक टीका लग जायेगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पूर्वानुमान लगाया है कि अभी वैक्सीन सप्लाई की जो हालात है उसमें भारत इस साल अपनी 33 फीसदी जनसंख्या को ही टीका लगा पायेगा। एक अनुमान के अनुसार भारत में 19 वर्ष से ज्यादा आयु के लोग कुल जनसंख्या के करीब 73 फीसदी हैं।

वैक्सीन की कमी दूर होने की फिलहाल उम्मीद नहीं

भारत को दो डोज़ वाली वैक्सीन की कम से कम 60 करोड़ डोज़ चाहिये और जनवरी से अभी तक सप्लाई हुईं हैं मात्र 12 करोड़ डोज़। कोरोना की तीसरी लहर चंद महीनों में आने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। जो हालत है उससे तीसरी लहर के पहले सबको वैक्सीन लग पाने की उम्मीद कम ही है। भारत में अभी सिर्फ दो वैक्सीनें लग रहीं हैं - सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन। तीसरी वैक्सीन की मंजूरी रूसी स्पूतनिक 5 को मिली है। सीरम इंस्टीट्यूट सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है और उसकी क्षमता 6 से 7 करोड़ डोज़ प्रतिमाह की है जिसे बढ़ा कर जुलाई तक 10 करोड़ डोज़ प्रतिमाह किया जा सकता है। सीरम जो वैक्सीन बना रहा है वह आस्ट्रा जेनका द्वारा डेवलप की गई है। केंद्र सरकार ने अब तक सीरम इंस्टीट्यूट को कुल 26 करोड़ 60 लाख डोज़ का आर्डर दिया है। अभी तक जितनी सप्लाई हुई है उसके अनुसार जुलाई तक 20 करोड़ डोज़ से कम ही मिल पाएगी।

जहां तक भारत बायो टेक की बात है तो उसकी कैपेसिटी बेहद कम है। अप्रैल में उसने मात्र एक करोड़ डोज़ बनाई। जुलाई तक भारत बायोटेक द्वारा 6 से 7 करोड़ डोज़ प्रतिमाह और सितंबर तक 10 करोड़ डोज़ प्रतिमाह बनाई जाएगी।स्पूतनिक 5 वैक्सीन की बात करें तो उसकी कितनी खेप रूस से आएगी और कितनी डॉ रेड्डीज लैब में बनेगी और कब बनेगी इसका खुलासा नहीं हुआ है।
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