World No Tobacco Day 2021: मानव जनित महामारी तंबाकू सेहत के लिए अभिशाप
World No Tobacco Day 2021: तंबाकू के सेवन से बीमारियों की वजह से मृत्यु वृद्धि को देखते हुए इसे महामारी घोषित किया।
World No Tobacco Day 2021: "तंबाकू उत्पादों द्वारा प्राप्त राजस्व से कई गुना ज्यादा है, तंबाकू उत्पादों (Tobacco products) द्वारा होने वाली बीमारियों पर खर्च। देश में होती है,तंबाकू नियंत्रण अधिनियम (Tobacco Control Act) (कोटपा-2003) की अनदेखी"। तंबाकू और तंबाकू उत्पादों से होने वाले दुष्प्रभावों और नकारात्मक स्वास्थ्य विकृतियों की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए 31 मई को दुनिया भर में हर साल "विश्व तंबाकू निषेध दिवस" मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए हर साल थीम भी रखी जाती है। इस साल 2021 में इसकी थीम है "छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध(कमिट टू क्विट-Commit to quit)"।
दरअसल तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की वजह से मृत्यु दर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक महामारी घोषित किया। इसके बाद 7 अप्रैल 1988 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्षगांठ पर इसे मनाया गया और फिर हर साल 31 मई को "विश्व तंबाकू निषेध दिवस" मनाया जाता है। इस दिन लोगों को तंबाकू सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाता है। अध्ययनों से यह पता चला है कि जितने अधिक युवा तंबाकू के विज्ञापन के संपर्क में आते हैं उतनी ही अधिक धूम्रपान करने की संभावना होती है।
तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने की अपील
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व के सभी देशों से तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने की अपील की है ताकि नए लोगों को तंबाकू सेवन का आदी होने से बचाया जा सके और जो लोग पहले से सेवन कर रहे हैं वे इसका कम मात्रा में सेवन करें। भारतवर्ष दुनिया भर में तंबाकू और तंबाकू आधारित उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है। विश्व में तंबाकू के सेवन से होने वाली मौतों का 1/16 हिस्सा भारत से ही होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का आंकड़ा कहता है कि दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों की संख्या में 12 फीसद लोग भारत के हैं। दुनिया के किसी अन्य देश के मुकाबले भारत में तंबाकू से होने वाली बीमारियों से मरने वालों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है।आंकड़ों की मानें तो पूरे भारत में 10 फीसद महिलाएं किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं जिसके परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य विसंगतियों के साथ-साथ उनके प्रजनन क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है। अगर पुरुषों की बात की जाए तो हर तीसरा भारतीय पुरुष तंबाकू का सेवन करता है।
तंबाकू का सेवन कई रूपों में होता है
भारत में तंबाकू का सेवन कई रूपों में होता है लोगों के शौक और कंपनियों के उत्पाद के अनुसार इसका रूप बदलता रहता है,अधिकांशत: तंबाकू का सेवन सिगरेट,बीड़ी,शिगार और पान-मसाले के रूप में होता है। यह चिंता का विषय है कि भारतवर्ष में किशोरों में तंबाकू के सेवन के प्रति लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। तंबाकू का सेवन अनपढ़ बच्चों और किशोर बच्चों में ज्यादा है। तंबाकू में "निकोटीन" नामक पदार्थ होता है। निकोटीन एक ऐसा पदार्थ होता है जो शुरुआत में कुछ समय के लिए तो अच्छा महसूस कराता है,लेकिन धीरे-धीरे जब इसकी आदत पड़ जाती है तो लंबे समय तक उपयोग करने से ह्रदय,फेफड़े,पेट और तंत्रिका तंत्र पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। तंबाकू का सेवन बहुत सारे रोगों जैसे-कैंसर,फेफड़ों की बीमारी,ह्रदय और मानसिक रोगों आदि के मुख्य कारकों में से एक है।
लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में बढ़ रही तंबाकू सेवन प्रवृति
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों को मुंह का कैंसर होने की संभावना 50 गुना ज्यादा होती है। तंबाकू में 25 ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार 91% मुंह के कैंसर तंबाकू से ही होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के कई देशों में किए गए सर्वे से यह तथ्य सामने निकल कर आता है कि लड़कियों में तंबाकू सेवन की प्रवृति लड़कों के मुकाबले ज्यादा बढ़ रही है जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
सिगरेट एंड दर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट
तंबाकू उत्पादों के सेवन से हो रहे दुष्प्रभावों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने 2003 में तंबाकू नियंत्रण कानून "सिगरेट एंड दर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट (कोटपा)" बनाया,जिसको 2004 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लागू किया गया।इस कानून के अंतर्गत तंबाकू या उससे बने पदार्थों का प्रचार-प्रसार,खरीद-फरोख्त एवं वितरण पर सख्ती से रोक लगाने की बात कही गई है।इस कानून के तहत सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने और खुलेआम तंबाकू से संबंधित सामग्री बेचने पर कार्यवाही की जाती है। इसके तहत 200 से 10000 तक जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रावधान है,लेकिन दुर्भाग्यवश पुलिस प्रशासन संगीन अपराध पर ज्यादा ध्यान देता है,जबकि धूम्रपान नियमों की अनदेखी करता है।
चूंकि भारत सहित आज पूरा विश्व कोरोना महामारी के कहर से कराह रहा है। तमाम शोध और अध्ययन से यह निष्कर्ष निकल रहा है कि तंबाकू व्यसनियों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता है और उनके ठीक होने में भी अधिक समय लगता है। चूंकि धूम्रपान के कारण फेफड़े पहले ही सिकुड़ गए होते हैं,ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने पर सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा धूम्रपान करने वालों के शरीर को अधिक क्षति पहुंचती है। खांसी भी सामान्य लोगों की अपेक्षा जल्दी होती है, जिससे फेफड़ों को नुकसान होता है। युवाओं में इस बार संक्रमण तीव्र गति से फैल रहा है इसके पीछे सबसे अहम वजह धूम्रपान है।तंबाकू सेवन सेहत के साथ-साथ एक सामाजिक बुराई भी है,किसका दूरगामी सामाजिक और आर्थिक दुष्प्रभाव पड़ता है।अतः इसके नियंत्रण में समाज को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
सरकार को चाहिए कि न सिर्फ कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में बल्कि लोक स्वास्थ्य सुरक्षा और सतत विकास के लिए तंबाकू पर रोकथाम के लिए बनाए गए नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करवाए । सरकार और समाज के सम्मिलितल प्रयास से ही तंबाकू जैसे मानव जनित महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।