बरेली: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन तलाक को अवैध घोषित किये जाने के बाद से शुरू हुआ विवाद पूरी तरह से अभी थमा भी नहीं था कि एक बड़ा ही संवेदनशील मामला सामने आ गया। तलाक का ये मामला पांच वर्ष पुराना बताया जा रहा लेकिन अब इस मामले ने विवाद का बड़ा रूप ले लिया है।
मियां-बीवी के बीच झगड़ा हुआ तो शौहर ने गुस्से में आकर उसे पांच वर्ष पहले तलाक दे दिया। नाराजगी दूर हुई तो दोनों ही आपसी रजामंदी से साथ रहने को तैयार हो गये, लेकिन धार्मिक बाध्यता ने हलाला में उलझा दिया।
शौहर ने मजबूरीवश 65 वर्षीय बुजुर्ग से पत्नी का हलाला कराया। लेकिन रात गुजरने के बाद भी बुजुर्ग ने युवती को तलाक नहीं दिया। वह अपनी बात से सीधे मुकर गया। परेशान युवक बीते दो साल से अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भटक रहा है। उसने अब मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी से मदद की गुहार लगाई है।
ये है पूरा मामला
अकील अहमद की बेटी जूही उत्तराखंड के खटीमा की रहने वाली है। उसका निकाह यहीं के मोहम्मद जावेद के साथ 2010 को हुआ था। शुरुआत में तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन बाद में मियां बीवी के बीच छोटी –छोटी बातों पर झगड़ा होने लगा। नौबत तलाक तक पहुंच गई।
2013 को जावेद ने जूही से अलग रहने का फैसला करते हुए उसे तलाक दे दिया। लेकिन कुछ दिनों तक अलग रहन एके बाद दोनों ने आपसी रजामंदी से फिर से साथ रहने का फैसला किया। लेकिन उसी समय हलाला की रस्म आड़े आ गई। रिश्तेदारों ने बरेली के रहने वाले ऑटो चालक बब्बू उर्फ सरताज के साथ हलाला कराने के लिए रजामंदी दी।
25 नवंबर 2016 को जूही के साथ हलाला की रस्म अदा करने के लिए निकाह करा दिया गया। शर्त यह थी कि हलाला करने के बाद बब्बू तलाक दे देगा। लेकिन 65 वर्षीय बब्बू की नियत बिगड़ हो गई और उसने महिला को तलाक देने से इंकार कर दिया।
मेरा हक फाउंडेशन का मिला साथ
मेरा हक फाउंडेशन के अध्यक्ष फरहत नकवी ने बताया कि लड़की पक्ष और पहले शौहर की तरफ से शिकायत हुई है। हलाला करने वाले से बातचीत की जा रही है। महिला अब खुला करने के लिए शहर काजी के पास अपनी मांग रखने के लिए सोमवार को जाएगी।
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