Manish Hatyakand: आरोपी पुलिसकर्मियों की नहीं होगी गिरफ्तारी, दबंग इंस्पेक्टर के रहते अब निष्पक्ष जांच पर सवाल हुए खड़े
Gorakhpur Manish Hatyakand: व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच करने के लिए गोरखपुर के कृष्णा होटल में पहुंचे। जांच में एडीजी अखिल कुमार के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है।;
मनीष हत्याकांड (डिजाइन फोटो- न्यूज ट्रैक)
Vyapari Manish Hatyakand: सूबे में इस समय सबसे चर्चित रियल स्टेट मनीष गुप्ता व्यापारी हत्याकांड में ऐसा लग रहा है कि जैसे पुलिस विभाग के आला अफसर आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह समेत अन्य पुलिस कर्मियों को बचाने की रणनीति पर अमल करने पर अड़े हैं।इस चर्चित मामले की जांच को लेकर जिस तेजी से सीएम से लेकर पुलिस के आला अफसरों के बयान आये हैं, उसकी तुलना में जांच इस तीव्र गति से होती नजर नहीं आ रही है ।ऐसा समझ में आ रहा है कि कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के वर्कआउट के लिये सीएम योगी जितनी सख्ती से आदेश दे रहे है,उतनी सख्ती व चुस्ती महकमे के पुलिस अधिकारियों में इस केस को लेकर देखने को नहीं मिल रही है।
तीन दिन के अवकाश के बाद वापस आये एडीजी अखिल कुमार गत दिवस व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच करने घटनास्थल गोरखपुर के कृष्णा होटल में पहुंचे।सूत्र बताते हैं कि इस जांच में एडीजी अखिल कुमार को इस हत्याकांड से सम्बंधित कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।उसका कारण यह है कि एडीजी के पहुंचने से पहले ही आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह व आरोपी अन्य पुलिस कर्मियों ने साक्ष्य मिटा दिए हैं।
अगर होटल कर्मी की माने तो आरोपी इंपेक्टर जेएन सिंह समेत उस रात मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने कमरे में पड़े खून को पानी डालकर साफ करने के साथ कुछ अन्य साक्ष्यों को मिटा दिया था।तब कमरे को सील किया गया था।होटल कर्मी ने यह भी बताया कि आरोपी पुलिसकर्मी व क्राइम ब्रांच की टीम जाते जाते होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर भी अपने साथ ले गए हैं।इसीलिए इस कांड की जांच करने पहुंचे एडीजी को को ऐसा कुछ खास नही मिला जिसे देख कर वे कुछ खास समझ पाते।
व्यापारी मनीष गुप्ता (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)
एडीजी अखिल कुमार ने यह जरूर स्पष्ट कर दिया कि जांच पूरी होने से पहले आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नही होगी।उन्होंने कहा कि सिर्फ एफआईआर दर्ज हो जाने पर गिरफ्तारी नहीं होती।उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी न करने के पीछे तर्क दिया कि कोर्ट में घटना से सम्बंधित साक्ष्य दिखाने होते हैं।उन्होंने बताया कि पहले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की जांच जरूरी है।किस गोपनीय सूचना के आधार पर पुलिस होटल मे आई थी?सूचना क्या थी? चेकिंग के दौरान ऐसी क्या स्थितियां बनी कि इतनी बड़ी घटना घट गयी?उन्होंने कहा कि इस मामले में की निष्पक्ष व तेजी से जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जा रहा है।
एसआईटी का गठन कब तक?
सोमवार/मंगलवार को यह कुख्यात घटना घटी है।आज शुक्रवार है।अखिर इस वीभत्स घटना की जांच के लिये कब तक एसआईटी का गठन हो पायेगा?अब तक इस बारे में पुलिस के आला अधिकारी भी यह नही बता पा रहे हैं कि इस जघन्य घटना की जांच के लिये जो एसआईटी गठित किये जाने की बहुत तेजी से चर्चाएं हैं , वास्तव में इस एसआईटी टीम में किस किस अधिकारी को रखा गया है।सूत्र बताते हैं कि गोरखपुर व्यापारी हत्याकांड की जांच के लिए जिस एसआईटी का गठन किया जा रहा है, वह एडीजी अखिल कुमार के नेतृत्व में जांच करेगी।
आरोपियों की गिरफ्तारी न होने की एसआईटी की जांच पर भी सवाल
एडीजी अखिल कुमार के यह स्पष्ट कर देने के बाद कि अभी आरोपी पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी सम्भव नहीं है।तो अब सवाल यह है कि जांच भी एसआईटी को करनी है(जिसका अब तक गठन तक नही हो सका है), एसआईटी टीम में भी जो सदस्य होंगे वो भी पुलिसकर्मी ही होंगे।इस कांड के आरोपी भी इंस्पेक्टर जेएन सिंह व अन्य पुलिसकर्मी ही हैं। यह तो अब सभी को पता चल चुका है कि इस बर्बरतापूर्ण केस के मुख्य आरोपी जेएन सिंह गोरखपुर में खाकी पतलून में लिपटा वो दबंग चेहरा है, जिसके सामने जाने पर हर होटल मालिक समेत आम आदमी की रूह कांपती है।
अब इंस्पेक्टर जेएन सिंह के बाहर खुले आम घूमते रहने की स्थिति में क्या होटल वाला इस घटना से सम्बंधित सच बयान देने का साहस जुटा पायेगा?जबकि कृष्णा होटल का मालिक यह बता चुका है कि इंस्पेक्टर जेएन सिंह कैसे आदमी हैं, यह किसी भी पूछ लीजिये।बस हमसे मत पूँछिये।उसके इस बयान से ही एडीजी अखिल कुमार को समझ लेना चाहिये कि इंस्पेक्टर जेएन सिंह व अन्य आरोपी पुलिसकर्मियों के इस तरह से खुले आम घूमते रहने से इस केस की जांच की निष्पक्षता पर भी अब सवाल खड़े हो गए हैं?फिर उस परिस्थितियों में जब गोरखपुर के डीएम व एसएसपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह व अन्य आरोपी पुलिस कर्मियों को बचाने के लिये लगे हुए हों।इन दोनों अधिकारियों की स्थिति तो उस वायरल वीडियो से समाज के सामने आ गयी है । लेकिन अंदरखाने गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक कितने बड़े अधिकारी इस केस के आरोपियों को बचाने में अब तक लग चुके होंगे यह तो सिर्फ इस गंभीर केस में अब तक बरती जा रही शीतलता से ही समझा जा सकता है।एडीजी अखिल कुमार को यह भी कानून तो पता ही होगा कि जिन मामलों के आरोपी दबंग होते हैं उन केसों की जांच निष्पक्ष तभी सम्भव हो पाती है,जब उन्हें जेल भेज दिया जाय।क्या व्यापारी मनीष गुप्ता की पीएम रिपोर्ट इन आरोपियों को जेल भेजने के लिये पर्याप्त नहीं?
पुलिस की छपेमारी से लोगों ने होटल में रुकना किया बन्द
गोरखपुर कांड के घटनास्थल होटल कृष्णा होटल के मालिक सुभाष शुक्ला ने बताया कि उनके होटल में पुलिस की छापेमारी की अब तक तीन घटनाएं हो चुकीं हैं।दो बार तो इंस्पेक्टर जेएन सिंह ही छपेमारी कर चुके हैं।पहले 10 से 12 रूम बुक हो जाया करते थे। लेकिन जब से पुलिस की छापेमारी शुरू हो गयी तब से अब ग्राहकों का आना कम हो गया है।अब चार से पांच रूम ही बुक होते हैं।मीडिया के एक सवाल पर होटल मालिक ने कहा कि इंस्पेक्टर जेएन सिंह कैसे इंसान है य, यह उसे नहीं पता है।उनके बारे मे जो चर्चा है वो आप सभी जानते हो।मसलन इंस्पेक्टर जेएन सिंह एक दंबग किस्म का पुलिस इंस्पेक्टर है जिससे उसकी गिरफ्तारी होने से पूर्व इस कुख्यात केस की जांच निष्पक्ष होना सम्भव ही नहीं।ये बात सीएक योगी को समझनी होगी।