Hathras Satsang Hadsa: हाथरस के भोले बाबा के कोरोना काल में भी हुए थे चर्चे, किया था ये काम

Hathras Satsang Hadsa Update: हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे के बाद हर जानना चाहता है की आखिर कौन हैं ये भोले बाबा और क्यों इतनी तादाद में उमड़ती है उनके धार्मिक कार्यक्रमों में भीड़।

Update: 2024-07-03 04:50 GMT

Hathras Hadsa (Image Credit-Social Media)

Hathras Satsang Hadsa Update: 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने सभी के होश उड़ा दिए। जिसने भी इस हादसे की तस्वीर देखी वो हक्का-बक्का रह गया। इस दिल दहला देने वाले हादसे के हर कोई यही जानना चाहते है कि आखिर इतने लोग किस बाबा के सत्संग में गए थे। तो आइये विस्तार से जानते हैं कौन हैं नारायण हरि बाबा या 'भोले बाबा' और आखिर कोरोना काल में ऐसा क्या हुआ था जो बाबा के हुए थे खूब चर्चे।

कोरोना काल में "भोले बाबा" के हुए थे चर्चे 

जब बाबा नारायण हरि सत्संग करने जाते हैं तो वहां लाखों लोगों की संख्या की भीड़ इकट्ठा हो जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ हाथरस में जहाँ बाबा के पैर की मिटटी पाने के लिए और उनके दर्शन करने के लिए उनके अनुयायियों में होड़ लग गयी लेकिन वहां की जमीन कीचड़ और फिसलन भरी हुई थी जिसकी वजह से भगदड़ मच गयी। इसकी जानकारी प्रत्यक्षदर्शियों ने भी दी।

आपको बता दें कि हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलरई गांव में बाबा नारायण हरि के सत्संग की तैयारी काफी समय से चल रही थी पुलिस प्रशासन ने काफी इंतज़ाम भी किये थे लेकिन जहाँ आयोजकों ने 80 हज़ार लोगों के आने के बारे में बताया था वहीँ लोगों की संख्या इससे कई ज़्यादा थी। जिसके बाद ये हादसा हुआ और लगभग 116 लोगों की जान चली गयी जिसमे सबसे ज़्यादा बच्चे और महिलाएं थे। कई लोग इस हादसे में घायल भी हुए।

नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध बाबा का जन्म एटा शहर के पटियाली तहसील में गांव बहादुर में हुआ था। बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। लेकिन 26 साल पहले उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और सत्संग करना प्रारम्भ कर दिया। बाबा के अनुयायी पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में मौजूद हैं।

सोशल मीडिया के इस युग में हैरानी की बात ये है कि बाबा किसी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं है और न ही उनका कोई आधिकारिक अकाउंट है उनके अनुयायी ज़मीनी स्तर पर हैं और उनसे जुड़ते हैं।

करोना काल में बाबा सत्संग कार्यक्रम आयोजित करके चर्चा में आये थे। वहीँ आपको बता दें कि बाबा के अनुयायी उन्हें सुनने हज़ारों की संख्या में आते हैं इसके अलावा पश्चिमी यूपी के अलीगढ़, हाथरस जिलों में बाबा के ये धार्मिक कार्यक्रम हर मंगलवार को होते हैं और यहाँ भी हज़ारों लोग बाबा के दर्शन करने और उन्हें सुनने आते हैं। गौरतलब है कि नारायण हरि बाबा से कई स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं जुड़े हैं जो लोगों को खाने पीने से लेकर कई ज़रूरी इंतज़ाम मुहैया करवाते हैं।

हाथरस हादसे पर क्या बताया प्रत्यक्षदर्शियों ने

इस दर्दनाक हादसे के बाद कई प्रत्यक्षदर्शियों ने इसकी जानकारी दी एक व्यक्ति ने बताया कि सद्भावना कार्यक्रम पूर्वाह्न करीब 11.30 बजे शुरू हुआ था जिसके बाद धक्का-मुक्की होने लगी जिसके बाद ये हादसा हुआ।" कई लोगों ने इसके लिए वहां की व्यवस्थाओं को दोषी बताया लोगों ने कहा कि ख़ास इंतज़ाम नहीं किये गए थे जिसकी वजह से ये घटना हुई।

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि , ‘‘पानी की टंकियों और बारिश के पानी की वजह से सभी नालियां भर गईं थी जिससे पानी सतह पर आ गया और सब जगह फिसलन हो गयी।

वहीँ एक और व्यक्ति ने बताया," जब गुरूजी वहां से निकलने लगे तो कुछ लोग अचानक उनके पैर छूने के लिए दौड़ पड़े। बाबा की कार जैसे ही वहां से निकलने लगी लोग ज़मीन पर झुकने लगे जिसके बाद ये हादसा हुआ।"

फिलहाल प्रशासन द्वारा इसकी जाँच की जा रही है और पुलिस को हर पहलू पर विस्तार से रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा गया है।

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