जेल से आपराधिक गतिविधियों पर लगेगी लगाम, हाईकोर्ट ले सकता है स्वत:संज्ञान
जेल से आपराधिक हगतिविधियां चलाने के मामले में न्यायालय ने कहा कि अग्रिम सुनवाई पर इन पहलुओं पर विचार किया जाएगा और न्यायालय यह भी देखेगी कि क्या इसके मद्देनजर बतौर जनहित याचिका मामले का स्वतः संज्ञान लिए जाने की आवश्यकता है।
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच जेल से माफियाओं और अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए बतौर जनहित याचिका इसका स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई पर विचार कर रही है। न्यायालय ने इसके लिए 3 जनवरी को प्रमुख सचिव गृह को उपस्थित होने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति डीके अरोड़ा और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने यह आदेश सुल्तानपुर जनपद में एक अधिवक्ता की हत्या के मामले को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट ले सकती है संज्ञान
-न्यायालय ने सुनवाई के दौरान याचिका में उठाए गए इस तथ्य का संज्ञान लिया कि अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह की हत्या के मामले के एक अभियुक्त ने घटना के एक दिन पूर्व किसी अन्य मामले में कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जेल की राह पकड़ ली थी।
-न्यायालय से कहा गया कि अक्सर आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग और यहां तक कि दोषसिद्ध अपराधी जेल ही नहीं, खुद को अस्पतालों में बीमारी का बहाना बनाकर भर्ती करवा लेते हैं और वहीं से अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं।
जेल से आपराधिक गतिविधियां
-न्यायालय ने कहा कि अग्रिम सुनवाई पर इन पहलुओं पर विचार किया जाएगा और न्यायालय यह भी देखेगी कि क्या इसके मद्देनजर बतौर जनहित याचिका मामले का स्वतः संज्ञान लिए जाने की आवश्यकता है।
-न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अखबारों आदि से लगभग हर दिन पता चलता है कि अपराधी खास तौर पर तथाकथित माफिया खुद को जेल में सुरक्षित कर लेते हैं और वहीं से आपराधिक गतिविधियां संचालित करते हैं।
-न्यायालय के 21 दिसम्बर के आदेश के अनुपालन में सचिव गृह मनीप्रसाद मिश्रा गुरूवार को न्यायालय के समक्ष पेश हुए।
प्रमुख सचिव तलब
-प्रार्थना पत्र देते हुए कैबिनेट बैठक के कारण प्रमुख सचिव गृह को उपस्थिति से छूट देने का अनुरोध किया गया था, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
-सचिव ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि वह मामले को देखेंगे व याचिका में उठाई गई सभी शिकायतों के निवारण के लिए कदम उठाएंगे।
-न्यायालय ने सुल्तानपुर के अधिवक्ताओं से भी हड़ताल समाप्त करने की उम्मीद जताई और कहा कि अब हम इस मामले की निगरानी करेंगे।
-न्यायालय ने अग्रिम सुनवाई की तिथि 3 जनवरी तय करते हुए प्रमुख सचिव गृह को उपस्थित रहने के निर्देश दिए।
अगली स्लाइड में जानिए हाई कोर्ट ने क्यों किया सीबीआई के डीआईजी को तलब...
सीबीआई के डीआईजी तलब
-सीबीआई के न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने हत्या के एक मामले में अभियुक्त की गिरफ्तारी से नब्बे दिन पूरे हो जाने के बाद भी उसके खिलाफ आरोप पत्र या फाइनल रिपेार्ट न पेश करने पर अभियुक्त को तकनीकी आधार पर जमानत देते हुए सीबीआई के डीजीआई को 2 जनवरी को तलब कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
-हत्या का यह मामला हरदेाई के अतरौली थाने का है। मृतका सरिता सिंह तोमर नाराण सिंह इंटर कालेज की प्रधानाचार्या थीं। उनके पुत्र अभिनव ने अपनी मां की हत्या की प्राथमिकी 16 जनवरी 2012 को लिखाई थी।
-केस हाईकोर्ट के 30 मई 2014 के आदेश से सीबीआई को ट्रांसफर हो गया था। इस मामले में सीबीआई ने अभियुक्त विनेाद सिंह तोमर को गत दिनों हिरासत में लिया था जिसकी रिमांड अवधि बुधवार को नब्बे दिन पूरी हो गयी थी।
-पंरतु इस बीच सीबीआई की ओर से सीआरपीसी की धारा 173 के तहत कोई रिपोर्ट पेश नही की गयी थी।