Jhansi : अंतर्राज्यीय गिरोह का खुलासा, एक करोड़ के 18 ट्रैक्टर जब्त
एसओजी और टोड़ीफतेहपुर पुलिस ने फाइनेंस किए ट्रैक्टरों को औने-पौने दामों पर बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है।
झांसी: एसओजी और टोड़ीफतेहपुर पुलिस ने फाइनेंस किए ट्रैक्टरों को औने-पौने दामों पर बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी निशानदेही पर 18 ट्रैक्टर जब्त किए गए हैं। जब्त किए गए वाहनों की कीमत एक करोड़ से अधिक बताई गई है। पुलिस आरोपियों का रिमांड लेने का प्रयास कर रही है। वहीं, ट्रैक्टरों के मालिकों का पता भी लगाया जा रहा है। वाहन खरीदने वालों को भी आरोपी बनाया जाएगा।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीणा ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया है कि राजस्थान व अन्य राज्यों से ट्रैक्टर चुराकर व हेराफेरी कर लाकर जिले के किसानों को सस्ते दामों में बेचने की शिकायतें मिल रही थीं। इस मामले की तहकीकात करने के लिए एक विशेष टीम बनाई गई थी। टीम में एसओजी प्रभारी, सर्विलांस प्रभारी व टोड़ीफतेहपुर थानाध्यक्ष को रखा गया था। यह टीम टोड़ीफतेहपुर थाना क्षेत्र के में ट्रैक्टर बेचने वाले गिरोह की तलाश में लगी थी। सूचना मिली कि कुछ व्यक्ति चोरी का ट्रैक्टर लेकर बेचने जा रहे हैं। इस सूचना पर गई टीम ने टोड़ीफतेहपुर थाना क्षेत्र के पंडवाहा तिराहा, गुरसरांय रोड पर घेराबंदी कर तीन बदमाशों को पकड़ लिया। पूछताछ करने के बात तीनों ने चोरी करने की बात स्वीकार की है। पकड़े गए लोगों से पूछताछ के बाद फर्जी आरसी से वाहन बेचने के बड़े नेटवर्क का खुलासा होने की पूरी संभावना है।
इनको किया गिरफ्तार
मथुरा के थाना छाता के ग्राम भदावल निवासी राजेश पांडेय, जालौन के थाना कोंच के ग्राम भेड निवासी प्रताप सिंह व समथर थाना क्षेत्र के ग्राम दतावली निवासी गौरीशंकर को गिरफ्तार किया।
ऐसे करते थे आरोपी गोरखधंधा
गिरोह का सरगना फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत से राजस्थान में ऐसे वाहनों पर नजर रखता था जो कि फाइनेंस कराए गए हैं, लेकिन उनकी किश्तें जमा नहीं हो रही हैं। तीनों छाता के किसानों से यह ट्रैक्टर लाये हैं। किसान फर्जी फाइनेंस कराकर 10 रुपये के स्टाम्प पर फर्जी विक्रय नामा तैयार करके उसे देते हैं। हम लोग ट्रैक्टरों की खरीद फरोख्त में दलाली लेते हैं। तीन लोगों ने मिलकर मथुरा के कन्हैयालाल, ओमप्रकाश, मुरारी प्रधान, भूदेव, घनश्याम दास, सुखदेव के माध्यम से ट्रैक्टर खरीदकर जिनकी लिखा पढ़ी स्टाम्प में कराकर ले आते थे। इसी क्षेत्र में बेचने के लिए कई गांव की सीमा के पास खड़ा कर गए थे।
कंपनी को पता नहीं कहां है वाहन
दूसरी ओर जो कंपनी वाहनों को फाइनेंस करती थी, उसे पता ही नहीं होता था कि वाहन है कहां। इसके चलते कंपनी भी कुछ करने की स्थिति में नहीं रहती थी। दूसरी ओर राजस्थान के नियमों के अनुसार कुछ सालों बाद ऐसे मामलों में सेटलमेंट हो जाता था। इसलिए बहुत ज्यादा बवाल भी इन मामलों में नहीं मचता था। पुलिस अब गिरोह के हत्थे चढ़ने पर वाहनों के असली मालिकों की तलाश कर रही है। पुलिस के अनुसार जिन लोगों ने वाहन खरीदे थे, उनके संबंध में यदि स्पष्ट होता है कि उन्होंने जानबूझ कर वाहन खरीदे हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
10-15 हजार मिलते एक वाहन पर
गिरोह के सदस्य ने बताया कि एक वाहन पर उसे 10 से 15 हजार रुपये बेचते थे। वहीं, उन्ही किसानों को बेचता था जो उसके परिचित रहते थे। वह शपथ पत्र बनाकर देता था कि आरटीओ क्लियरेंस होते ही कागजात बनाकर दे देगा। गिरोह के सदस्य ने बताया कि किश्त ना चुका पाने वाले मालिक खुद ही वाहन बेचते थे. अभी तक दर्जनों वाहन उसने इस तरह से बेचे हैं।
इस टीम को मिली सफलता
टोड़ीफतेहपुर थानाध्यक्ष अजमेर सिंह भदौरिया, एसओजी प्रभारी राजेश पाल सिंह, सर्विलांस प्रभारी प्रेमसागर सिंह,एसआई मानेंद्र सिंह, मुख्य आरक्षी एसओजी योगेंद्र सिंह चौहान, पदम गोस्वामी, आरक्षक प्रदीप सेंगर, चंद्रशेखर, शैलेंद्र सिंह चौहान, चालक राजेश कुमार, प्रदुम्न तिवारी, सत्यवीर सिंह, विजय कुमार त्रिपाठी, दीपक कुमार व रोहित कुमार शामिल रहे हैं। इस टीम को एसएसपी ने 11 हजार का इनाम दिया है।