प्रतापगढ़: सिनेमा रोड की सीसी सड़क किसी तरह 6 माह खुदने के बाद बनी, तो पाइप लाइन डालने के लिए नगरपालिका के जलकर विभाग ने उसे खुदवा कर फिर से यातायात बाधित कर डाला। सीसी सड़क न बनने के पीछे ठेकेदार और नगरपालिका प्रशासन का
जबकी इस बात की जानकारी नगर पालिका प्रशासन को हो गई थी कि सिनेमा रोड की पाइप लाइन सड़क के बीचों-बीच पड़ी है, जिसे सीसी सड़क बन जाने के बाद सड़क के दोनों किनारे सप्लाई के लिए पानी की पाइप लाइन डालना होगा। तभी पानी की आपूर्ति संभव हो सकेगी। फिर उस कार्य का ठेका करने में और कार्य कराने में इतना विलंब क्यों किया? पाइप लाइन डालने में मौरंग का महंगा होने का बहाना न तो नगरपालिका के पास है और न ही नगरपालिका के ठेकेदारों के पास। कुल मिलाकर जनता परेशान हो रही है।
सड़क के बाद नाले और सड़क के बीच जो जगह बची है, उस पर इंटर लाकिंग बनना है। इसे विडम्बना नहीं तो और क्या कहे, यानि स्थान एक, कार्य तीन और तीनों कार्यों के लिये ठेकेदार भी तीन। यदि यही कार्य एक ठेकेदार को दिया गया होता तो अब तक सारे कार्य खत्म हो गए होते। जनता को अभी तक सिनेमा रोड के सभी कार्यों से राहत मिल चुकी होती, परंतु नगरपालिका में लोगों का अड़बंगे काम ने आम लोंगो का जीना दुश्वार कर दिया है।
आगे की स्लाइड में जानिए सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही
सरकारी कार्यालय में रिश्वत के बिना जैसे कोई कार्य नहीं होता, ठीक उसी तरीके से एक बार में आसानी से नगरपालिका का कोई काम भी नहीं होता। नगरपालिका की सबसे बड़ी समस्या है कि ठेका किसी के नाम का, ठेकेदार कोई और, ऐसे में नगरपालिका का कोई काम समय से हो जाए तो समझिए गंगाजी में जौ बोने जैसे है। ऐसा इसलिये कहा जा सकता है कि जब नौसिखिये ठेकेदार टेक्निकल काम कराने के लिये आएंगे, तो उसमें भी गड़बड़ी होना लाजिमी है।
पानी की आपूर्ति के लिए जो पाइप लाइन बिछाई जा रही है, उसकी गुणवत्ता पर नगरपालिका प्रशासन और कथित ठेकेदार बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। कभी भी पानी आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने के पहले खुदाई किए गड्ढे में पाइप की सुरक्षित हेतु उसमें नीचे और अगल-बगल बालू डालकर ही उस पर पाइप लाइन डालने की व्यवस्था है। ताकि दबाव में कंक्रीट वाली मिट्टी पाइप को नुकसान न पहुंचा सके। परंतु सिनेमा रोड के उत्तरी साइड बिछाई गई पाइप लाइन के नीचे कहीं-कहीं बालू डाली गई और दक्षिण साइड तो आनन-फानन खोदाई कराकर पाइप लाइन सीधे बिछा दी गई।
ये कृत्य मानक और गुणवत्ता के किये गए निर्धारण का गला घोटने जैसा है। खोदे गए गड्ढे में नीचे और अगल-बगल बालू न डालने से पाइप लाइन कभी भी खराब हो सकती है, जो पाइप लाइन पड़ रही है, उस मिट्टी में उपलब्ध कंकड़ और पत्थर के ऊपर जब इण्टर लाकिंग पर लोडेड गाड़ी कहीं आगे पीछे करते समय या पार्किंग के लिये खड़ी हो गई तो उसके दबाव से कमीशन युक्त डाली गई पाइप जल्दी ही टूट जाएगी। जनहित के ऐसे मुद्दों पर शासन-प्रशासन नींद में सोये हुए हैं। कोई पूछने वाला नही है। अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा माहौल है,प्रतापगढ़ की नगरपालिका का।