बुजुर्ग महिला कह रही है-मैं ज़िंदा हूं, अधिकारी कागज दिखा रहे हैं-तुम मर चुकी हो
चंदा देवी को कुछ समय पहले बताया गया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिलने वाला है। दर दर बटकने वाली चंदा देवी को लगा कि बाकी की उम्र कुछ आराम से बीत जाएगी। फिर गांव वालों से उन्हें पता चला कि उनका नाम आवास सूची में था, लेकिन कट गया।
शाहजहांपुर: एक बुजुर्ग महिला अधिकारियों के दफ्तरों में खुद हाजिरी लगा कर कह रही है कि वह जिंदा है। लेकिन अधिकारी मानने के लिए तैयार नहीं। अधिकारियों का कहना है कि वह कागजात में एक बार मर चुकी है, इसलिए अब उसे जिंदा नहीं माना जा सकता। दरअसल, बुजुर्ग महिला को एक सरकारी आवास अलॉट हुआ था, उसे हड़पने के लिए ग्राम प्रधान और अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत से बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया। बहरहाल, बुजुर्ग महिला का संघर्ष अब रंग ला रहा है।
बेघर बुजुर्ग
-जलालाबाद तहसील के मजरा नौगवां गांव निवासी 70 वर्षीया बुजुर्ग चंदा देवी निस्संतान हैं और पति की मृत्यु हो चुकी है।
-चंदा देवी के पति बनवारी मजदूरी करते थे, और उनके पास अपना घर नहीं है।
-चंदा देवी को कुछ समय पहले बताया गया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिलने वाला है।
-दर दर भटकने वाली चंदा देवी को लगा कि बाकी की उम्र कुछ आराम से बीत जाएगी।
-फिर गांव वालों से उन्हें पता चला कि उनका नाम आवास सूची में था, लेकिन कट गया।
प्रधान का घपला
-चंदा देवी गांव प्रधान के पास पहुंचीं, लेकिन उसने बुजुर्ग की बात सुनने से ही इनकार कर दिया।
-बार बार चक्कर लगाने पर प्रधान ने बताया कि उनका आवास किसी और को दे दिया गया है।
-चंदा देवी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटती रहीं। तभी उन्हें पता चला कि गांव के प्रधान पति दिलदार हुसैन, सेक्रेटरी प्रतिपाल और बीडीओ ने घपला करके उन्हें मृत घोषित कर दिया है।
न्याय की आस
-अब चंदा देवी अपने कपङों की पोटली के साथ पिछले 15 दिनों से अधिकारियों को अपने जिंदा होने का सुबूत दे रही हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं।
-इस बीच तहसील के वकील चंदा देवी के खाने पीने और अधिकारियों तक बात पहुंचाने में मदद करते रहे।
-आखिरकार एसडीएम जलालाबाद ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
-एसडीएम एसपी सिंह ने बताया कि उनके संज्ञान में मामला आया था और उन्होंने महिला को बुलाकर दरख्वास्त ले ली है।
-उन्होंने कहा कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल, न्याय की उम्मीद जगी है।
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