प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रहा घोटाला, गरीब झोपड़ियों में रहने को मजबूर
शाहजहांपुर: योगीराज में भी घोटालों का दौर लगातार जारी है। इस घोटाले बाजी के बीच ऐसे गरीब पिस रहे हैं, जिनके पास रहने को घर नहीं खाने को अनाज नहीं है। ताजा मामला यूपी के शाहजहांपुर का है, जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले आवासों में घोटाला कर अधिकारी अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं। तो वहीं सेक्रेटरी और प्रधान की मिलीभगत से पांच अपात्रों को आवास आवंटन कर दिए गए।
जिनको आवास दिए गए हैं, उनके दो-दो मकान से लेकर ट्रैक्टर और रायफलें भी है। लेकिन चंद कागज के टुकड़ों के चलते सेक्रेटरी और प्रधान की मिली-भगत ने इनको पात्र बना दिया। जबकि गांव मे कई परिवार ऐसे हैं, जिनकी सही झोपड़ी भी नहीं बनी है। फिलहाल घोटाला सामने आने के बाद एसडीओ ने कार्रवाई की बात की है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल तहसीलदार जलालाबाद में इस बङे घोटाले किए जा रहे हैं। यहां ग्राम बिघापुर कसारी और ग्राम पंचायत अलादादपुर बैहारी मे सेक्रेट्री राधेश्याम आनंद और प्रधान तारादेवी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जांच में 11 आवास पास किए थे। लेकिन जब आवास आवंटन करने का टाइम आया तो 11 मे से पांच आवास ऐसे लोगों को दे दिया गया, जिनके पास पहले से इसी योजना के अंतर्गत एक आवास मिला हुआ था और दूसरा आवास भी दे दिया गया।
इस तरह से सेक्रेट्री और प्रधान तारादेवी ने 15 हजार रुपए पर आवास घूस लेकर उनको आंवटन कर दिए, जिनके पास पहले दो-दो मकान हैं। उनके पास ट्रैक्टर भी और रायफलें भी हैं। ऐसे लोगों को पात्र बनाकर गरीबों के हक पर डाका डाला गया। ये पांचों फर्जी आवास नेकराम पुत्र तेजराम, रानी देवी पत्नी ऊदन, सुदामा पत्नी उमेश, सेविका पत्नी सीताराम व शीश राम पुत्र रामविलास के नाम से आवंटित किए गए हैं, जो पूरी तरह से अपात्र हैं, इनमें से नेकराम पुत्र तेजराम के घर में ही उसकी सास को पहले ही आवास मिल चुका है और इनमें से बाकी के लोगों के पास पक्के मकान, रायफल, ट्रैक्टर और कई बीघा खेती भी है।
इन अपात्रों को पहली किस्त जारी कर दी गई है, जो बैंक खाते से निकाली जा चुकी है। जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत डीएम से की तो उसकी जांच एडीओ पंचायत के पास आई है। जांच में एडीओ पंचायत ने इस घोटाले को पकड़ा और रिपोर्ट जिला अधिकारी को भेज दी है।
ऐसी योजनाएं सरकार इन गरीबों के लिए ही चलाती है, लेकिन उनके ही अधिकारी योजनाओं में पलीता लगा देते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि योजनाएं हम जैसे गरीबों के लिए बनाई जाती है। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से उनको हक नहीं मिल पाता है। जिनके पास पैसा होता है। आवास उनको दे दिया जाता है क्योंकि वो उसके बदले पैसा देते हैं और हम पैसे नहीं दे पाते हैं।
वहीं एडीओ पंचायत राम सरन सिंह ने बताया कि सेक्रेट्री राधेश्याम आनन्द का रवैया बहुत ही अड़ियल किस्म का है। वे अपने आगे अपने अधिकारियों की भी बात नही मानते हैं और न ही ब्लॉक में होने वाली किसी भी सभा में शामिल होते हैं। इसके संबंध में एडीओ पंचायत ने एक शिकायती पत्र मुख्य विकास अधिकारी को लिखा है, जिसमें उन्होने साफ-साफ राधेश्याम आनंद के बारे में बताया है कि वह अपने काम के प्रति कितने लापरवाह हैं, इसकी लिखित सूचना खंड विकास अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी को भेजा है।
एडीओ पंचायत के मुताबिक आवास घोटाले की जांच उनके द्वारा की गई है, जिनमें 11 मे से 5 आवास अपात्रों को दिए गए हैं, जिनके पास पहले से पक्के दो-दो घर बने हैं। उनके घर में ट्रैक्टर से लेकर रायफलें और कई बीघा खेती भी है। उसके बावजूद प्रधान और सेक्रेटरी ने अपात्रों को पात्र बनाकर आवास आंवटन कर पहली चालिस हजार रुपये किस्त भी बैंक से निकाल ली है। जिसकी रिपोर्ट जिला अधिकारी को भेज दिया गई है इसमे जो अपात्र है उनसे रिकवरी की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
इससे पहले भी प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घोटाला सामने आ चुका है। अब ये दोनों घोटाले एक ही तहसील के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि इस तरह के घोटाले और कितनी जगह पर चल रहे हैं। सूचना तो सभी तहसील क्षेत्रों से घोटाले की आई है, ऐसे में जरूरत है, उन आवासों की भी जांच कराई जाए, जो आज से पहले आवंटित कर दिए गए हैं। अगर इसकी बड़ी जांच कराई गई तो यह बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। जांच मे बड़े अधिकारियों की गर्दन भी जांच में फंस सकती हैं।