UoU के 72 पाठ्यक्रमों को नहीं मिली डेब की मान्यता, 242 स्टडी सेंटरों पर संकट
देहरादून: यूजीसी की कमेटी डिस्डेंस एजुकेशन ब्यूरो (डेब) के एक्शन से उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के 72 पाठ्यक्रमों को झटका लगा है। डेब से मान्यता नहीं मिल पाने के कारण राज्य में उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) के चल रहे 242 स्टडी सेंटरों के अस्तित्व के लिए भी संकट पैदा हो गया है।
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विश्वविद्यालय के 8 रिजनल सेंटरों पर भी इसका असर पड़ेगा। यदि विवि के तमाम पाठ्यक्रमों को यूजीसी से मान्यता नहीं मिलती है तो इसमें कई स्टडी सेंटर बंद हो सकते हैं। बता दें कि यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों से एक महीने के अन्दा स्पष्टीकरण मांगा है। इसके बाद यह सुनिश्चित कर दिया जायेगा कि किस युनिवर्सिटी के पास कौन कौन से मान्यताप्राप्त कोर्स हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए प्रदेशभर में 242 स्टडी सेंटर बनाए हैं। इन सेंटरों में प्रवेश लेकर विद्यार्थी यूओयू की तमाम पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं में शामिल होते हैं। साथ ही यूओयू ने विवि परिसर में स्वयं का अपना मॉडर्न स्टडी सेंटर बनाया है। इस सेंटर के माध्यम से भी विद्यार्थी विवि के पाठ्यक्रमों के प्रवेश लेने के साथ ही अपनी आशंकाओं को दूर करते हैं।
यूजीसी से अधिकांश पाठ्यक्रमों की मान्यता रद करने से स्टडी सेंटरों के साथ ही रीजनल सेंटरों पर भी व्यापक असर पड़ेगा। जिससे इन सेंटरों में तैनात प्राध्यापकों व स्टाफ की नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है। विवि में फैकल्टी की कमी व संसाधनों में कमी के चलते यूजीसी ने 72 पाठ्यक्रमों को मान्यता नहीं दी है। ऐसे में यदि विवि में अपने रीजनल व स्टडी सेंटर में आवश्यक प्राध्यापकों की तैनाती नहीं की तो पाठ्यक्रमों को फिर से मान्यता दिलाने की मुहिम को झटका लग सकता है।
यह हैं यूओयू के आठ रीजनल सेंटर
यूओयू के पाठ्यक्रमों को बेहतर ढंग से चलाने के लिए प्रदेश में 8 रीजनल सेंटर बनाए गए हैं। इनमें देहरादून, हल्द्वानी, रुड़की, पौड़ी, उत्तरकाशी, रानीखेत, पिथौरागढ़, बागेश्वर शामिल हैं।
इधर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.आरसी मिश्रा का कहना है कि विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों को फिर से मान्यता दिए जाने के लिए विवि प्रशासन स्तर से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जिसके लिए प्रत्यावेदन तैयार कर कुलपति के माध्यम से यूजीसी को भेजा जा रहा है। उम्मीद है कि विवि के सभी पाठ्यक्रमों को फिर से मान्यता मिल जाएगी। ताकि विवि रीजलन व स्टडी सेंटर्स में इसका कोई असर न पड़े।