जानना न भूलें 'फांसी' से जुड़े ये 6 राज, सूर्योदय से पहले क्यों होती है फांसी
नई दिल्ली : काल्पनिक जिंदगी से लेकर वास्तविकता में भी आपने अक्सर अपराधी को सूर्योदय से पहले फांसी की सजा सुनाते देखा होगा लेकिन क्या कभी आपने इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश की है अगर नहीं! तो आज हम आपको बताएंगे ‘फांसी’ से जुड़े कुछ अहम फैक्ट्स –
तो आइये सबसे पहले जानते हैं कि-
सुबह के वक्त ही क्यों दी जाती है फांसी -
जेल मैन्युअल के मुताबिक़, जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद शुरू हो जाते हैं। ऐसे में कोई भी कार्य प्रभावित न हो इसके लिए फांसी का समय सूर्योदय से पहले तय किया जाता है।
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कितनी देर तक फांसी पर लटकता है अपराधी -
फ़िलहाल इसका कोई निश्चित समय नहीं है हालांकि दस मिनट बाद डॉक्टर का पैनल फांसी के फंदे में ही चेकअप कर बताता है कि वह मृत है कि नहीं उसी के बाद मृत शरीर को फांसी के फंदे से उतारा जाता है।
फांसी के वक्त मौजूद रहते हैं ये लोग –
फांसी देते वक्त वहां पर जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद रहते है। इनके बिना फांसी नही दी जा सकती।
फांसी की सजा सुनाने के बाद जज क्यों तोड़ता है पेन की निब –
फांसी की सजा सबसे बड़ी सजा होती है क्योंकि इस फैसले के बाद किसी का जीवन समाप्त होता है इसलिए जज फैसला सुनाने के बाद अपने पेन की निब तोड़ देते है ताकि उस पेन का दोबारा इस्तेमाल न हो।
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आखिरी ख्वाहिश की मांग में जेल प्रशासन क्या दे सकता है?
जेल प्रशासन फांसी से पहले आखिरी ख्वाहिश पूछता है जो जेल के अंदर और जेल मैन्युअल के तहत होता है इसमें वो अपने परिजन से मिलने, कोई खास डिश खाने के लिए या फिर कोई धर्म ग्रंथ पढ़ने की इच्छा करता है अगर यह इच्छाएं जेल प्रशासन के मैन्युअल में है तो वो पूरी करता है।
फांसी देने से पहले अपराधी से ये बोलता है जल्लाद -
जल्लाद फांसी देने से पहले बोलता है कि मुझे माफ कर दो। हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो हुकुम के गुलाम है।