IIT मंडी में होगी जियोलॉजी एवं जियो मॉर्फोलॉजी की पढ़ायी, प्राकृतिक आपदाओं से जुझने में मिलेगी मदद

अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब हिमालय क्षेत्र की विषम परिस्थितियों के बारे में सूचना और संकेत जल्द मिल जाएंगे।ऐसा इसलिए संभव हो पायेगा क्यों कि आईआईटी मंडी में जियोलॉजी एवं जियो मॉर्फोलॉजी विषय की पढ़ायी शुरू की जा रही है।यह दोनों कोर्स एमएस, एमटेक और पीएचडी स्तर पर होंगे।

Update: 2019-03-19 09:23 GMT

मंडी: अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब हिमालय क्षेत्र की विषम परिस्थितियों के बारे में सूचना और संकेत जल्द मिल जाएंगे।ऐसा इसलिए संभव हो पायेगा क्यों कि आईआईटी मंडी में जियोलॉजी एवं जियो मॉर्फोलॉजी विषय की पढ़ायी शुरू की जा रही है।यह दोनों कोर्स एमएस, एमटेक और पीएचडी स्तर पर होंगे। आईआईटी में इन्हें दो नए इलेक्टिव कोर्स के रूप में शुरू किया जाएगा। इसके लिए आईआईटी प्रबंधन की ओर से अमेरिका के विजिटिंग फैकल्टी चैपमैन यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ लाइफ एवं इन्वायरनमेंटल साइंसेज, स्मिड कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कैलिफॉर्निया के प्रो. रमेश पी सिंह को तैनात किया गया है।

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कोर्स में जियोलॉजी और जियोमॉर्फोलॉजी दो मुख्य थीम पर केंद्रित जानकारियां दी जाएंगी। दोनों नए विषयों को हिमालय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों व भूकंप जैसी स्थितियों को समझने के लिए शुरू किया जा रहा है। साथ ही ऑप्टिकल एवं माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग से हिमालय क्षेत्र की निगरानी की जा सकती है।

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जियोलॉजी और जियोमॉर्फोलॉजी कोर्स का मकसद छात्रों को जियोलॉजी, चट्टान बनने, चट्टान के प्रकार और जियोमॉर्फोलॉजिकल फीचर्स के बुनियादी कंसेप्ट के बारे में जानकारी देना है। इसमें पृथ्वी की सतह बनने की प्रक्रिया को गहराई से समझने के लिए बुनियादी जानकारी दी जाएगी।

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इसके तहत पृथ्वी के निर्माण, प्लेट टेक्टोनिक्स, चट्टान के प्रकार, चक्रीय विकास के साथ विभिन्न प्रकार की चट्टानों के मुख्य खनिजों, उनकी उपलब्धता, कमजोरी और गुण आदि को शामिल किया गया है। साथ ही, पृथ्वी के विभिन्न फीचर्स बनने के बारे में और उन्हें नियंत्रित करने वाली परिघटनाओं के बारे में सीखने का अवसर मिलेगा।

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