व्यापम केस: SC ने कैंसिल किया सभी दागी 634 MBBS स्टूडेंट्स का एडमिशन

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (13 फरवरी) को मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले के दागी मेडिकल स्टूडेंट्स को किसी भी प्रकार की राहत देने से मन कर दिया है।

Update: 2017-02-13 22:58 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (13 फरवरी) को मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले के दागी मेडिकल स्टूडेंट्स को किसी भी प्रकार की राहत देने से मन कर दिया है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखते हुए मेडिकल में गलत तरीके से प्रवेश लेने वाले सभी 634 स्टूडेंट्स के प्रवेश रद करने का आदेश दिया।

इसके साथ ही चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गईं सभी पिटीशन्स रद्द कर दी हैं। स्टूडेंट्स ने आर्टिकल 142 के तहत राहत की मांग की थी। इन स्टूडेंट्स ने 2008 से 2012 के बीच में इस एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लिया था।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस अरुण मिश्र की बेंच ने सुनवाई के बाद पिछले दिनों ही इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे सोमवार को सुनाया गया।

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क्या है व्यापम घोटाला?

-व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) मध्य प्रदेश में उन पदों पर भर्तियां या मेडिकल और इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है, जिनकी भर्तियां मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं करता।

-व्यापम के तहत प्री-मेडिकल टेस्ट, प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं संचालित होती हैं।

-घोटाले की बात तब सामने आई जब कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स, ट्रैफिक पुलिस, सब इंस्पेक्टर्स की रिक्रूटमेंट एग्जाम के अलावा मेडिकल एग्जाम में ऐसे लोगों को पास किया गया, जिनके पास एग्जाम में बैठने तक की एलिजिबिलिटी नहीं थी।

-गवर्मेंट जॉब्स में करीब एक हजार से ज्यादा भर्तियां और मेडिकल एग्जाम में 500 से ज्यादा एडमिशन शक के घेरे में हैं।

-इस घोटाले की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी ने की। बाद में यह जांच सीबीआई को सौंपी गई।

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