Teachers Day 2022: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मनाया गया शिक्षक दिवस

Teachers Day 2022: प्रो.सदानंद शाही ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ सूचनाओं का संग्रह ही ज्ञान नहीं है बल्कि ज्ञान का अर्थ है विवेक और संवेदना का विकास। वैश्वीकरण ने ज्ञान को भी उत्पाद में बदल दिया है।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2022-09-05 20:34 IST

Teachers Day celebrated in Allahabad University (Social Media)

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Teachers Day 2022: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक विजयनगर हॉल में शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रोफेसर मनमोहन कृष्णा तथा प्रोफ़ेसर एलडीएस यादव को उनकी सेवाओं के लिए पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति ने कहा कि शिक्षक ही राष्ट्र का निर्माता होता है। विद्वता और छात्रों के प्रति स्नेहपूर्ण आचरण ही किसी शिक्षक को महान बनाता है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुराने अध्यापकों को याद करते हुए कहा कि जब हमारे पास संसाधन कम थे तब भी कई अध्यापकों ने विश्व स्तरीय कार्य किया। कुलपति ने कहा कि अगर काम करने का जज्बा हो और लक्ष्य को पाने का जुनून हो तो पर्वत भी रास्ता देता है। उन्होंने :-

वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।

परमारथ के कारने, साधु धरा सरीर।।

जैसे दोहे का उदाहरण देकर बताया कि शिक्षक का पूरा जीवन परमार्थ में ही गुजरता है। शिक्षक अपना जीवन और अपना शरीर छात्रों के लिए समर्पित कर देता है। इस अवसर पर प्रो.मनमोहन कृष्ण ने भी अपने अनुभवो को साझा किया। उन्होंने विजयनगर हॉल के पुनर्निर्माण के लिए कुलपति की प्रशंसा की। प्रोफेसर एलडीएस यादव ने कहा कि उन्होंने कई विदेशी विश्वविद्यालयों में भी थोड़े समय के लिए काम किया है, पर जो लगाव उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय से है वह किसी अन्य विश्वविद्यालय से नहीं।


जुनून हो तो पर्वत रास्ता देते हैं - कुलपति

कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफ़ेसर नरेंद्र कुमार शुक्ला, डीन कॉलेज डेवलपमेंट प्रोफ़ेसर पंकज कुमार, कुलानुशासक प्रोफेसर हर्ष कुमार, प्रोफेसर शिव मोहन प्रसाद, प्रोफेसर धनंजय यादव, प्रोफेसर आशीष सक्सेना, प्रोफेसर पीके घोष, प्रोफेसर नीलम यादव, प्रोफेसर आर.के. चौबे, समेत सैकड़ों शिक्षक और विभागाध्यक्ष उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.जया कपूर ने किया।

ज्ञान का मतलब है विवेक और संवेदना का विकास- प्रो.सदानंद शाही

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केंद्रीय सांस्कृतिक समिति के प्रयास से शिक्षक दिवस के अवसर पर "संतो भाई आई ज्ञान की आंधी" विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर सदानंद शाही ने विषय पर बोलते हुए कहा कि गुरु और शिक्षक में काफी भेद है। गुरु का संबंध परा विद्या से है जबकि शिक्षक का संबंध अपरा विद्या से है।


प्रो.सदानंद शाही ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ सूचनाओं का संग्रह ही ज्ञान नहीं है बल्कि ज्ञान का अर्थ है विवेक और संवेदना का विकास। वैश्वीकरण ने ज्ञान को भी उत्पाद में बदल दिया है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान को याद करते हुए बताया कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिमला स्थित राष्ट्रपति निवास को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में तब्दील कर दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अमृता ने किया। डॉक्टर चितरंजन ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा डॉ.प्रिया केशरी ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर केंद्रीय सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष प्रो अजय जेटली, प्रोफेसर संतोष भदौरिया, डॉ हरिओम समेत कई शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।


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