छोटी उम्र में बड़े कारनामे कर रहे हैं ये भावी वैज्ञानिक

इसी कड़ी में हम आपको आगे एक ऐसे कक्षा नौ के छात्र देवांश शर्मा के बारे में बता र​​हे ​​हैं जो कि अपने पिता की समस्या देखकर कुछ नया बनाने के लिए ठान लिया और उसके सोच और लगन रंग लाई और 'वैल्युएबल डीजल' बनाया|

Update: 2019-03-16 11:36 GMT

लखनऊ: आधुनिकता के इस दौर में वैज्ञानिक सोच और लगन को समेटे भावी वैज्ञानिक नई खोज की डगर पर चलकर बखूबी हुनर दिखा रहे हैं। इन विद्यार्थियों की वैज्ञानिक सोच को सलाम है। आज हम आपको कुछ छोटे छोटे भावी वैज्ञानिकों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि सार्थक प्रयास में अनवरत लगे हुए हैं।

मेडिटेशन चेयर करायेगी योग (प्रोजेक्ट- जयव्रत द्विवेदी, पुष्पेंद्र द्विवेदी)

इस दूषित पर्यावरण में हर कोई निरोगी काया चाहता है। इसके लिए योग एक बेहतर माध्यम है। योगाभ्यास में कई ऐसे आसन हैं, जिन्हें आसानी से करना संभव नहीं है। विशेषकर यदि किसी व्यक्ति की रीढ़ या कमर में दिक्कत है या उठने-बैठने में परेशानी हो। इस समस्या के निदान के लिए दो भाइयों जयव्रत एवं पुष्पेंद्र द्विवेदी ने मिलकर एक खास मेडिटेशन चेयर तैयार की है।

इस चेयर की खासियत है कि इस पर बैठकर आसानी से योग एवं ध्यान किया जा सकता है। विशेषकर यह मेडिटेशन चेयर उन मरीजों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जिनको मूवमेंट में परेशानी होती है। यह कमर दर्द, पीठ दर्द, गर्दन दर्द, रक्तचाप, तनाव आदि के उपचार के लिए योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में सहायक उपकरण है।

इन दोनों नौनिहालों के नवप्रवर्तन को बांदा के इनोवेशन इन स्टार्टअप समिट 2019 में खूब सराहा गया। इसको बनाने में लकड़ी, प्लाईवुड, कपड़े की बेल्ट, स्टील रॉड आदि का प्रयोग किया गया है। इस कुर्सी पर बैठकर सही से बेल्ट बांध लें। अगल-बगल दोनों स्टैंड पर हाथ रख लें। इसके बाद ध्यान की क्रिया करें।

सस्ता और सुलभ डीजल (प्रोजेक्ट- देवांश शर्मा )

इसी कड़ी में हम आपको आगे एक ऐसे कक्षा नौ के छात्र देवांश शर्मा के बारे में बता र​​हे ​​हैं जो कि अपने पिता की समस्या देखकर कुछ नया बनाने के लिए ठान लिया और उसके सोच और लगन रंग लाई और 'वैल्युएबल डीजल' बनाया|

सड़ी सब्जियों से बना दिये डीजल

देवांश बताते हैं, पिता वाहन चालक हैं। कई बार वह बढ़ते डीजल के दाम के कारण परेशान रहते थे। कई बार सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए कि डीजल आसान तरीके से हर किसी को उपलब्ध हो जाए। विचार आया कि क्यों न कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ एकत्र करें जिनमें ऐसे तत्व हों जो डीजल की तरह काम करें। फिर मैंने 2016 से अपने स्कूल में ही इस पर काम करना शुरू कर दिया। सफलता भी मिली। उसके बाद 2018 में फिर से इसे बनाने का प्रयास किया। पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड और मेथेनॉल से डीजल बनाया।

इसमें मुख्यत: उन सब्जियों का प्रयोग किया जो खाना बनाने के बाद सड़ जाती हैं। पचास माइक्रॉन के फिल्टर से इसे छाना। उसको दो घंटे के लिए रख दिया। उसके बाद उसमें मेथेनॉल और पोटैशियम हाइडॉक्साइड मिलाया। उसके एक घंटे बार डीजल मिल गया, जिसे स्कूल के जनरेटर में चलाकर टेस्ट किया। देवांश ने इसका प्रोविजनल पेटेंट भी करा लिया है।

ये कुर्सी सिखाएगी बैठने का तरीका (प्रोजेक्ट- कुलसुम रिजवी )

अक्सर कुर्सी पर बैठने के गलत तरीके से हम तमाम बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। कक्षा दस की छात्रा कुलसुम रिजवी ने एक ऐसी कुर्सी का निर्माण किया है जो उस पर बैठने वाले को सही तरीका सिखाती है। साथ ही गलत तरीके से कुर्सी पर बैठने वाले को आगाह भी करती है। कुलसुम बताती हैं, वह अक्सर देखती थीं कि लोग कुर्सी पर बेतरतीब तरीके से बैठते हैं।

राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री से हो चुकी हैं सम्मानित

स्वास्थ्य को नुकसान होने के साथ ही अक्सर कुर्सी टूट भी जाती है। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए पोस्चर करेक्टिंग चेयर बनाई, जो व्यक्ति के बैठने के पोस्चर को ठीक करती है। इस पोस्चर करेक्टिंग चेयर को बनाने के लिए कुलसुम को चार मार्च, 2017 में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, अहमदाबाद द्वारा आयोजित फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने स्टेट इनोवेशन अवार्ड प्रदान किया। कुलसुम को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मानित कर चुके हैं।

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