महमूद से याद आ गई एक चतुर नार कर के सिंगार..
Actor Mehmood death Anniversary: अपने अभिनय से सबको हंसाने वाला ये कलाकार 23 जुलाई 2004 को अमरीका के पेनसिल्वेनिया शहर में नींद के दौरान खामोशी के साथ दुनिया से रुखसत हो गया था।
Mehmood Ali death Anniversary: न जाने क्यों आज कुछ गाने जेहन में घूम रहे हैं फिल्म पड़ोसन का सुपरहिट गीत तेरे रे ने ने नु.. एक चतुर नार कर के सिंगार, एक चतुर नार कर के सिंगार, मेरे मन के द्वार ये घुसत जात, हम मरत जात अरे हे हे हे.. या भूत बंगला फिल्म का सुनो और गौर से सुनो, अररे पहले तालियां तो बजाओ, आज रात का मै आखिरी गाना गा रहा हूं और गाने में ये कहना चाहता हूं, के दुनिया में कुछ करना हो तो मारो मेरी बात, आओ ट्विस्ट करें जाग उठा मौसम या फिल्म जोहर मेहमूद इन गोवा का ये दो दीवाने दिल के चले हैं देखो मिलके या गुमनाम फिल्म का हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं... अब तो आप समझ गए होंगे मैं किसकी बात कर रहा हूं। हम बात कर रहे हैं गुजरे जमाने के हास्य अभिनय सम्राट महमूद की, जिनके अभिनय से आगे आज तक कोई नहीं निकल पाया। अपने अभिनय से सबको हंसाने वाला ये कलाकार 23 जुलाई 2004 को अमरीका के पेनसिल्वेनिया शहर में नींद के दौरान खामोशी के साथ दुनिया से रुखसत हो गया। बरसों से ह्रदयरोग से पीड़ित महमूद की सेहत बहुत खराब रहती थी लेकिन वह इतनी खामोशी से जाएंगे किसी को अहसास न था।
महमूद ने एक बाल कलाकार के रूप में काम शुरू किया था लेकिन उनकी जुबान का हैदराबादी पुट दर्शकों को बहुत पसंद आया। उनकी संवाद अदायगी के अंदाज और लाजवाब अभिनय ने जल्द ही करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बना लिया।
महमूद और किशोर कुमार की जुगलबंदी
महमूद जब बॉलीवुड की सीढियां चढ़ रहे थे उस दौर में एक और दिग्गज किशोर कुमार की कॉमेडी का जादू लोगों पर छाया हुआ था। इस संबंध में एक किस्सा मशहूर है बॉलीवुड में नवागंतुक महमूद ने अपने करियर के सुनहरे दौर से गुजर रहे किशोर कुमार से एक बार अपनी किसी फ़िल्म में भूमिका देने की गुजारिश की लेकिन महमूद की प्रतिभा को समझ चुके किशोर कुमार ने कहा कि वह ऐसे किसी व्यक्ति को मौका कैसे दे सकते, जो भविष्य में उन्हें चुनौती देने का माद्दा रखता हो। इस पर महमूद का जवाब बहुत ही दिलचस्प था उन्होंने कहा एक दिन मै भी बड़ा फ़िल्मकार बनूंगा और आपको अपनी फ़िल्म में भूमिका दे दूंगा। महमूद अपनी बात के पक्के साबित हुए और आगे चलकर अपनी होम प्रोडक्शन फ़िल्म पड़ोसन में किशोर को रोल दिया। इन दोनों महान कलाकारों की जुगलबंदी से यह फ़िल्म बॉलीवुड की सबसे विलक्षण कॉमेडी फ़िल्म बनी और सुपरहिट रही। ये फिल्म आज भी दर्शकों को बटोरने में कामयाब है।
एक और राज की बात महमूद अभिनेता के तौर पर काम से पहले वाहन चलाने का काम करते थे। एक वक्त मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने के लिये उन्हे नौकरी पर रखा गया था। बाद में उन्होंने मीना कुमारी की बहन मधु से शादी की। शादी करने और पिता बनने के बाद ज़्यादा पैसे कमाने के लिये उन्होने अभिनय करने का निश्चय किया। शुरुआत में उन्होने "दो बीघा ज़मीन" और "प्यासा" जैसी फ़िल्मों में छोटे किरदार निभायें।
अभिनेता महमूद की पहली फिल्म
महमूद को फ़िल्मों में पहला बड़ा ब्रेक फ़िल्म परवरिश (1958) में मिला था। इसमें उन्होंने फ़िल्म के नायक राजकपूर के भाई का किरदार निभाया था। बाद में उन्होंने फ़िल्म गुमनाम में एक दक्षिण भारतीय रसोइए का किरदार अदा किया। जिसको बहुत सराहा गया इसके बाद उन्होंने "प्यार किये जा, प्यार ही प्यार, ससुराल, लव इन टोक्यो और जिद्दी जैसी हिट फ़िल्में दीं। कुछ फ़िल्मों में उन्होंने मुख्य भूमिका भी निभाई लेकिन दर्शकों ने उन्हें एक कॉमेडियन के तौर पर ज्यादा पसंद किया।