रेटिंग- 3.5 /5
कलाकार- रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा, ऐशवर्या राय बच्चन, फवाद ख़ान, लिजा हेडेन, शाहरुख ख़ान और आलिया भट्ट।
निर्देशक- करण जौहर
संगीत- प्रीतम
अवधि- 2 घंटे 38 मिनट
पहली राय- ऐसा कम होता है कि एक ही दिन रिलीज़ हुई दो अलग-अलग मूड की फिल्मों का अपराध एक जैसा हो...'ऐ दिल है मुश्किल' भी 'शिवाय' की ही तरह क्लाईंमैक्स में आकर कहानी को अकेला छोड़ महत्वाकांक्षी हो जाती है, मगर फिर भी फिल्म असरदार तो है।
कहानी- 'ऐ दिल है मुश्किल' की कहानी शुरू होती है अयान सिंगर यानि की रणबीर कपूर के एक वीडियो इंटरव्यू से, जिसमें वो ले जाते हैं आपको अपनी पिछली जिंदगी में। वो जिंदगी जहां वो अचानक मिलते हैं लखनऊ की लड़की अलीजे़ह यानि अनुष्का शर्मा से, वो भी लंदन में। अयान उस वक्त एमबीए कर रहा होता है, जिस वक्त अनुष्का हॉट योगा, बॉलीवुड डांस और न जाने क्या-क्या कर रही होती हैं? दोनों के बीच दोस्ती होती है, लेकिन इस दोस्ती में किसिंग कोई बड़ी बात नहीं है। जबकि अलीजेह अपने वालिद की पसंद के एक लड़के को डेट कर रही होती हैं। लेकिन उनका फलसफ़ा है कि ब्वॉयफ्रेंड़ हिंदी फिल्मों की तरह होते हैं। कुछ टाइमपास.. ब्लॉकबस्टर तो कुछ फ्लॉप.. और इस वाले को तो वे फ्लॉप करके मानेंगी। अलीजेह का एक स्याह गुजरा कल है, जिसमें डीजे अली यानि कि फवाद खान उसे धोखा दे चुके हैं। तो अब अलीजेह को इश्क में तबाह होने का कोई शौक नहीं है।
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दूसरी तरफ हमारे एमबीए टर्न सिंगर अच्छे खासे अमीर हैं, वो प्राइवेट जेट से चलते हैं। लेकिन उन्हें धीरे-धीरे अलीजेह से इश्क हो गया है। इसी बीच एंट्री हो जाती है। अचानक से अलीजेह के पुराने प्यार डीजे अली की, जो अब अलीजेह से शादी करने को तैयार है। शादी का दिन निकल आता है और उस शादी में अयान गाता है, तो अलीजेह को उसके जज्बात पता चल जाते हैं। अब कुछ नहीं हो सकता तो अयान लखनऊ से विदा होते हैं। मगर अयान की जिंदगी जिस वक्त एयरपोर्ट पर सुबक रही होती है, उसी वक्त एक तलाकशुदा शायरा सबा यानि कि ऐशवर्या राय बच्चन उन्हें संभाल लेती हैं कहानी में शाहरुख खान की भी एंट्री होती है और थोड़े पलों के लिए आलिया भट्ट भी आती हैं और शेरों-शायरी बॉलीवुड क्लासिक गीत और पैरो़डी में आपको गिरफ्तार कर लिया जाता है। फिल्म का स्क्रीनप्ले इस तिलिस्म को सिर्फ क्लाइमेक्स तक संभाल पाता है। उसके बाद जो फिल्म बिखरती है, उसे रणबीर कपूर अपने तमाशा वाले अंदाज़ की किस्सागोई और गाने से बचा लेते हैं।
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एक्टिंग
- ये फिल्म अनुष्का की है पूरी फिल्म में आपका मन बार-बार उन्हें देखने को करेगा। छोटे मगर असरदार रोल में ऐश्वर्या राय एक सम्मोहन सा कर जाती हैं। वो शायरा लगें न लगें उनकी आंखे आपको सब भूल जाने पर विवश कर देंगी। लेकिन इन सबके ऊपर रणबीर कपूर अपने बेस्ट सांचे में हैं। वो भले रॉकस्टार या तमाशा में अपने अभिनय की याद दिलाएं। मगर यही तो उनकी खूबी है। उनकी आंखे इतनी सच्ची हैं कि फिल्म की कमियां वो उनसे ही छुपा लेते हैं। मेहमान भूमिका में शाहरुख आते हैं तालियां-सीटीयां बजेंगी। ये तय है तो आलिया का रोल जिक्र करने लायक नहीं है। वहीं लिजा हे़डन फिल्म का कॉमिक रिलीफ हैं।
तकनीक- संगीत-फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है संगीत और गीत...अमिताभ भट्टाचार्या के गीतों पर प्रीतम का संगीत मानो नशे जैसा है ये फिल्म को हर भावना में ऊपर उठाता है सिनेमैटोग्राफी उम्दा है लोकेशन्स या प्रो़डक्शन डिजाइन कॉस्ट्यूम सभी पर करण की छाप दिखती है।
वर्डिक्ट-रेटिंग- 'ऐ दिल है मुश्किल' को ऱणबीर और इम्तियाज़ की दो फिल्मों का घोल कहा जाए, तो कुछ हद तक सही होगा इसमें रॉकस्टार का प्लॉट भी मौजूद है। तो तमाशा जैसी किस्सागोई भी स्वादानुसार मगर साहब ये है तो करण जौहर की फिल्म तो इमोशंस का सैलाब हावी है। पूरी फिल्म पर...हालांकि ये करण जौहर की उनके तरीके की फिल्म नहीं है। वो इम्तियाज़ अली की फिल्मों की छाया में ही सही कुछ हटके ट्राई कर पाए हैं और हां रूह बिखरी बिखरी सी है क्योंकि करण आदत से मजबूर होकर फिल्म को बॉलीवुड पैरोडी की शक्ल देने से बाज़ नहीं आते। लेकिन बावजूद इसके ये अच्छी फिल्म है, ये गुदगुदाती है, ये रुलाती है,ये प्यार और दोस्ती की पेचीदगी को परदे पर शायराना अंदाज़ में भी कह जाती है। Newstrack.com की तरफ से फिल्म को पांच में से साढ़े तीन स्टार्स।