बर्थडे: एक दौर ऐसा भी था जब 'स्वर कोकिला' की आवाज ही बन गई थी उनकी दुश्मन

Update:2018-09-28 10:50 IST

मुंबई: दुनिया भर में 'स्वर कोकिला' के नाम से मशहूर लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है। अपनी दिलकश आवाज से करोड़ों श्रोताओं का दिल जीतने वाली लता को 'स्वर सम्राज्ञी', 'वाक् देवी' आदि अलग –अलग नामों से भी जाना जाता है। उन्होंने 30 हजार से भी ज्यादा गाने गाये है। उनके द्वारा गाये गये गीत सात दशकों से बॉलीवुड में छाए हुए है। ये बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि एक दौर ऐसा भी था जब प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को 'पतली आवाज' कहकर अपनी फिल्म 'शहीद' में गाने से मना कर दिया था।

newstrack.com आज आपको लता के जन्मदिन के मौके पर उनकी अनटोल्ड स्टोरी को बता रहा है।

ऐसा पड़ा लता नाम

लता मंगेशकर का जन्म 1929 में इंदौर में हुआ था। पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे। लता अपनी तीन बहनों मीना, आशा, उषा और एक भाई हृदयनाथ में सबसे बड़ी थी। जन्म के समय उनका नाम 'हेमा' रखा गया था, लेकिन कुछ साल बाद अपने थिएटर के एक पात्र 'लतिका' के नाम पर, दीनानाथ जी ने उनका नाम 'लता' रखा।

बचपन में ही सिर से उठ गया पिता का साया

पांच वर्ष की छोटी उम्र में ही लता जी ने अपने पिता से म्यूजिक की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और थिएटर में एक्टिंग किया करती थी। साल 1942 में जब लता जी मात्र 13 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया फिर पूरे परिवार की देखभाल करने के लिए लता निकल पड़ी। उन्होंने मराठी फिल्म 'पहली मंगला गौर' में एक्टिंग की।

'शहीद' में गाने से प्रोड्यूसर ने कर दिया था मना

साल 1945 में लता अपने भाई-बहनों के साथ मुंबई आ गयी और उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल गायन की शिक्षा ली। फिर साल 1946 में उन्होंने हिंदी फिल्म 'आपकी सेवा में' में 'पा लागूं कर जोरी' गीत गाया। प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को 'पतली आवाज' कहकर अपनी फिल्म 'शहीद' में गाने से मना कर दिया था। फिर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को फिल्म 'मजबूर' में 'दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा' गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया। लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में गुलाम हैदर को अपना 'गॉडफादर' कहा था।

हत्या की हुई थी साजिश

लता की जिंदगी का किस्सा शायद आपको हैरान कर सकता है। साल 1962 में जब लता 32 साल की थी तब उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया था। लता की बेहद करीबी पद्मा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में किया है। हालांकि, उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया।

36 से भी ज्यादा भाषाओं में गाया गाना

लता मंगेशकर ने 1942 से अब तक लगभग 7 दशकों में 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गीत गाये हैं।

लता मंगेशकर को साल 2001 में 'भारत रत्न' से भी नवाजा जा चुका है. लता जी को पद्म भूषण (1969) ,पद्म दादा साहब फाल्के अवार्ड (1989) , और पद्म विभूषण(1999) से भी सम्मानित किया जा चुका है।

 

 

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