Casteism In Bollywood: फिल्में समाज का दर्पण होती हैं, बॉलीवुड में जाति-व्यवस्था का क्या है हाल, जाने इसके बारे में
Casteism In Bollywood : 2011 में फिल्म निर्माता प्रकाश झा द्वारा निर्देशित 'आरक्षण' ने शैक्षणिक संस्थानों या सरकारी नौकरियों में निचली जाति के लोगों को दिए जाने वाले आरक्षण के संबंध में बहुत ही तार्किक और प्रासंगिक बिंदु उठाए
Casteism In Bollywood : प्राचीन काल से ही जाति व्यवस्था समाज में एक काला धब्बा के समान है। जहां एक ओर हम प्रत्येक क्षेत्र में समानता के लिए लड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी हम किसी भी तरह से जाति व्यवस्था और इसके द्वारा लाए गए आरक्षण को दूर नहीं करना चाहते हैं। चूंकि यह जाति व्यवस्था भारतीय समाज का एक अमिट हिस्सा है। इसलिए हमने बार-बार फिल्मों में इसका प्रतिनिधित्व देखा है।
वैसे भी कहा जाता है कि फिल्में समाज का दर्पण होती हैं। श्वेत-श्याम (Black & White) युग से लेकर अब तक, ऐसी कई फिल्में हैं जो जाति व्यवस्था और उसके आसपास की राजनीति पर आधारित हैं।
सुजाता (Sujata)
जब हम जाति व्यवस्था के बारे में बात करते हैं तो सबसे शुरुआती फिल्मों में से एक 1959 की फिल्म 'सुजाता' आती है। बिमल रॉय ( Bimal Roy) द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक ब्राह्मण परिवार के एक लड़के और एक दलित पृष्ठभूमि की महिला के बीच संबंधों के बारे में है। दलित लड़की का पालन-पोषण एक ब्राह्मण परिवार ने किया होता है। फिर भी जब उसे एक ब्राह्मण लड़के से प्यार हो जाता है, तो समाज उस रिश्ते को अस्वीकार कर देता है।
फिल्म की कहानी उन कठिनाइयों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो इस जोड़े को इसके कारण झेलनी पड़ीं। यह फिल्म एक बंगाली कहानी पर आधारित थी। उस वर्ष के राष्ट्रीय पुरस्कारों में, फिल्म के अभिनेता सुनील दत्त और अभिनेत्री नूतन को तीसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए अखिल भारतीय योग्यता प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया था।
अंकुर (Ankur)
दूसरे स्थान पर, 1974 में फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल की पहली निर्देशित फिल्म 'अंकुर' आती है। फिल्म में दर्शक एक दलित महिला को अपने मूक-बधिर शराबी पति के साथ खुशी से रहते हुए देखते हैं। लेकिन चीजें उस समय गलत हो जाती हैं जब अमीर जमींदार का बेटा घर वापस आता है और कार्यभार संभालता है। एक दिन वह दलित महिला के साथ अंतरंग हो जाता है और फिर उसे अपमान और आरोपों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। कहानी इस बात के इर्द-गिर्द
घूमती है कि पति सहित समाज बाद में दलित महिला के साथ कैसा व्यवहार करता है। इस फिल्म के लिए अभिनेत्री शबाना आज़मी ( Shabana Azmi) , अभिनेता साधु मेहर (Sadhu Meher) और श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) सभी ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते।
बैंडिट क्वीन (Bandit Queen)
'बैंडिट क्वीन' (Bandit Queen) तो हर भारतीय ने देखी होगी। शेखर कपूर द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1994 में सिनेमाघरों में आई। फिल्म इतनी मार्मिक और लोकप्रिय हो गई कि उस वर्ष के ऑस्कर में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के लिए इसे चुना गया। यह फिल्म एक निचली जाति की महिला के इर्द-गिर्द घूमती है।
इस महिला का किरदार अभिनेत्री सीमा बिस्वास ने निभाया है। जिसे उच्च जाति के लोगों ने इस हद तक प्रताड़ित किया था कि उसे बंदूक उठानी पड़ी और अंत में चंबल घाटी के सबसे खूंखार डकैतों में से एक बन गई। उसे न केवल मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित किया गया। उसकी दबी हुई भावनाएँ तब फूट पड़ीं जब उसने डकैत बनकर सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने का फैसला किया।
आरक्षण (Aarakshan)
2011 में फिल्म निर्माता प्रकाश झा द्वारा निर्देशित 'आरक्षण' ने शैक्षणिक संस्थानों या सरकारी नौकरियों में निचली जाति के लोगों को दिए जाने वाले आरक्षण के संबंध में बहुत ही तार्किक और प्रासंगिक बिंदु उठाए। यह फिल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि भारतीय स्वतंत्रता के 60 साल से अधिक समय हो गया।
फिर भी जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जा सका। क्योंकि निचली जाति के लोगों के साथ अभी भी बुरा व्यवहार किया जा रहा था, और उन्हें समान अधिकार नहीं दिए गए थे। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, प्रतीक बब्बर और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अभिनय किया था।
आर्टिकल 15 (Article 15)
2019 की फिल्म 'आर्टिकल 15' (Article 15) जातिगत भेदभाव के इर्द-गिर्द घूमती है। ये घटनाएं उत्तर प्रदेश के कई शहरों और गांवों में रोजमर्रा की जिंदगी में देखने को मिलती है। फिल्म में एक पुलिस अधिकारी दो दलित लड़कियों की मौत की जांच कर रहा है और उसे हर संभव विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
लेकिन वह सभी से आगे निकलने का फैसला करता है और लापता तीसरी दलित लड़की को खोजने की कोशिश करता है। इस फिल्म को समीक्षकों द्वारा काफी सराहा गया। फिल्म की कहानी काबिल - ए - तारीफ है। उस पर भी अभिनेता आयुष्मान खुराना की एक्टिंग बिल्कुल रियल और जबरदस्त।