शाहिद के बाद अब दीपिका ने दिया स्वरा भास्कर को जवाब, जानें क्या कहा?

Update:2018-02-01 09:42 IST

मुंबई: फिल्म 'पद्मावत' को लेकर पहले जहां करणी सेना के विवाद ने सुर्खियां बटोरी, और रिलीज के बाद एक्ट्रेस स्‍वरा भास्कर का ओपन लेटर चर्चा में है। स्वरा भास्कर के ओपन लेटर पर अब दीपिका पादुकोण ने अपनी बात रखी है। एक इंटरव्यू में दीपिका ने कहा कि पद्मावत जौहर का प्रचार नहीं करती है।' वहीं एक दिन पहले शाहिद कपूर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, 'हर प्रथा के पीछे कई कारण थे।' इस फिल्म ने रिलीज के बाद कुछ ही दिनों में 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया और अब इस फिल्म की कमाई 130 करोड़ से पार जा चुकी है।

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दीपिका ने कहा, 'मैं यह साफ कर दूं कि हम जौहर का प्रचार नहीं कर रहे हैं। फिल्म का सी या उससे जुड़ी प्रथा को उसी समय के संदर्भ में देखना चाहिए, जिसमें वह दिखायी जा रही हैं, और जब आप ऐसा करेंगे, तब समझ आएगा कि वह कितना दमदार है। फिर आपको नहीं लगेगा कि वह कुछ गलत कर रही है। वह अपने आप को आग के हवाले करती है क्योंकि वह जिस इंसान से प्यार करती है वह उससे दूर हो रही होती है।'

 

इसी बीत बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी फिल्म देखी और फिल्म देखने के बाद उन्होंने संजय लीला भंसाली को एक खुला खत लिखा। अपने इस खत में उन्होंने महिलाओं के अधिकार की बात की है। उन्हें लगा कि फिल्म में सती और जौहर का काफी महिमंडन किया गया है।

स्वरा ने अपने खत में लिखा, यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और सती और जौहर आदि कुप्रथाएं हमारे समाज का ही हिस्सा रही हैं। फिल्म की शुरुआत में सती-जौहर प्रथा के खिलाफ डिस्क्लेमर दिखा कर निंदा कर देने भर का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसके आगे तीन घंटे तक राजपूत आन-बान-शान का महिमंडन चलता है।' फिल्म को लेकर स्वरा ने अपनी नाराजगी खुले तौर पर जाहिर की है और महिलाओं के अधिकारों की बात की है।

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संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को हर जगह सरहाना मिल रही है लेकिन स्वरा ऐसी पहली एक्ट्रेस है, जिसने फिल्म को लेकर अपना पक्ष रखा है और आरोप लगाया है कि फिल्म में जौहर और सती प्रथा को बढ़ावा दिया गया है। हालांकि, इससे पहले हंसल मेहता ने भी कहा था कि फिल्म में जौहर और सती प्रथा को भी बढ़ावा दिया गया है। स्वरा ने लिखा, 'हम सब जीवन के अधिकार के बुनियादी सवाल पर पहुंच गए हैं। मुझे ऐसा लगा कि आपकी फिल्म ने हमें अंधकार युग के इस सवाल पर पहुंचा दिया है- क्या स्त्री- विधवा, बलत्कृत, युवा, बूढ़ी, गर्भवती, नाबालिग… को जिंदा रहने का अधिकार है?'

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